उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त परिवहन मंत्री अशोक कटारिया सोमवार को अचानक नोएडा पहुंचे। जहां उन्होंने सेक्टर-33 स्थित एआरटीओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। ड्राइविंग लाईसेंस बनवाने की पूरी प्रक्रिया की जांच की। जिसके बाद उन्होंने अफसरों के काम-काज पर संतोष जताया। साथ ही उन्होंने परिसर में सफाई की खराब हालत पर नाराजगी जताई।
लेकिन लगता है कि नवनियुक्त परिवहन मंत्री लाइसेंस बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को गहराई से नहीं देख पाए। जहा एक पूरा रैकेट चलता है। इसके जरिए उन आवेदकों को परेशान किया जाता है जो आनलाइन लाइसेंस बनवाने का एग्जाम देने आते है। मजबूरन लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों को दलालो की शरण में जाना पड़ता है।
हालांकि बताया जा रहा है कि परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने ड्राइविंग लाईसेंस बनवाने आए लोगों से बातचीत भी की। इस दौरान लोगों ने संतोषजनक जवाब दिया। लोगों ने कहा कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से ज्यादा सुविधा मिल रही है। उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है। परिवहन मंत्री ने कहा कि जनता के कार्य ठीक से हो रहे हैं। लेकिन कार्यालय और परिसर में स्वच्छता का अभाव है। उन्होंने परिसर में स्वच्छता रखने के भी निर्देश दिए है।
लाइसेंस बनवाने वाले एक आवेदक चेतन भाटी ने अपनी आपबीती में दलाली गैंग का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि वह कई बार नोएडा के सैक्टर – 33 स्थित एआरटीओ कार्यालय गए। जहा उनको ऑनलाइन टेस्ट देने के लिए बुलाया गया। लेकिन वहा जाते ही वह ऐसे ऐसे सवाल करने लगे जो अटपटे थे। जबकि गाड़ी चलाते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए इसके प्रश्न होने चाहिए थे। इस तरह सिर्फ 30 सेकेंड में जवाब देने का समय था। लेकिन समय से पहले ही उत्तर को गलत बता दिया जाता है।
इस तरह आवेदकों को फ़ैल कर दिया जाता। वह इसलिए कि निराश आवेदक बाद में दलालो की शरण में चले जाए। भाटी के मामले में हुआ भी ऐसा ही। थक हार कर वह दलालो से अपना लाइसेंस बनवाने को मजबूर हो गया। चेतन भाटी को दलाल से 3000 रुपए देकर लाइसेंस बनवाना पड़ा। जबकि सरकार की तरफ से लाइसेंस बनवाने की फीस मात्र 200 रुपए है।