भारत सरकार रेल परिवहन को बेहतर बनाने में निरंतर प्रयास कर रही है। हाल ही में सरकार ने ‘वंदे भारत’ ट्रैन की शुरुआत की थी। अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहली एल्युमिनियम ट्रेन का उद्घाटन किया है ।
यह देश की पहली ऐसी मालगाड़ी है जिसके डिब्बे एल्युमिनियम के बने हुए हैं। मालगाड़ी के इन डिब्बों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया गया है। रेलवे ने RDSO, BESCO और Hindalco की मदद से ये रैक बनाए हैं। एल्युमिनियम रैक होने की वजह से ये सामान्य स्टील रेक से 3.25 टन हल्के हैं। जिस कारण ये 180 टन ज्यादा भार ढोने में सक्षम हैं। इसलिए यह कहा जा रहा है कि एलुमिनियम से बनी यह पहली मालगाड़ी पहले से तेज चलेगी। दरअसल एल्युमिनियम रैकों से कार्बन उत्सर्जन कम होगा और साथ ही इससे ईंधन की भी बचत होगी ।
अधिक समय तक चलेंगे
एल्युमिनियम रैक सामान्य रैक की तुलना में 10 वर्ष अधिक चलेंगे। इसका मेंटेनेंस भी कम है। इसकी रीसेल वैल्यू 80 प्रतिशत तक है। हालांकि ये रैक सामान्य स्टील रैक से 35 फीसदी महंगे हैं। ये एल्युमिनियम रैक पहले के रैको से लगभग 14 हजार 500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा। इन डिब्बों को विशेष तौर पर माल ढुलाई के लिए ही बनाया गया है। जिनका डिजाइन इस तरह से किया गया है। इसमें स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगे होते हैं जो लॉक भी सही तरह से रहते हैं और सामानों को उतारते समय रोलर या स्लाइड का काम भी करते हैं।
रेलवे ने इसे माना मील का पत्थर
रेलवे का मानना है कि एल्युमिनियम फ्रेट रैक बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण अभियान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एल्युमिनियम पर स्विच करने से कार्बन फुटप्रिंट में काफी कमी आएगी। एक अनुमान के मुताबिक यदि केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए जाने वाले दो लाख रेलवे वैगनों में से पांच फीसदी अगर एल्युमिनियम के हैं तो एक साल में लगभग 1.5 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन बचाया जा सकता है।
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