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शास्त्रीय संगीत को नई पहचान देने वाले पं रविशंकर की आज है पुण्यतिथि   

 

सितारवादक पंडित रविशंकर को सदी के सबसे महान संगीतकारों में गिना जाता है। आज उनकी 7वीं पुण्यतिथि है। 1949 से 1956 तक उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक काम किया था फिर 1960 के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरु किये और येहूदी मेन्यूहिन व बिटल्स ग्रूप के जॉर्ज हैरिशन जैसे लोगों के साथ काम करके अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई पहचान दी थी। रवि शंकर और सितार मानों एक-दूसरे के लिए ही बने थे। कहा जाता है कि रविशंकर के संगीत में आध्यात्मिक शांति छिपी थी। 90 साल की उम्र में भी उनमें संगीत का जुनून जरा भी कम नहीं हुआ।

2011 में उनसे एक सवाल पूछा गया था कि 91 साल से अधिक उम्र होने के बाद भी वह जवानों जैसा जोश कहां से लाते हैं तब उन्होंने कहा था, ‘भले ही मेरा शरीर 91 साल का हो गया है, लेकिन मेरा मन तो अब भी जवान है।’भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण के अलावा 1999 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मनित किया था।

भारतीय सिनेमा की महानतम फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ में पंडित रविशंकर ने ही संगीत दिया था। अपु-त्रयी की तीनो फिल्मों में पंडित रविशंकर का ही संगीत था। अपु-त्रयी का निर्माण सत्यजित रे ने किया था। पंडित रविशंकर ने हिंदी फिल्म अनुराधा में भी संगीत दिया था। पंडित रविशंकर 1986 में राज्यसभा के मानद सदस्य भी नामित किए गए थे।

पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को बनारस में हुआ था। उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद अलाउद्दीन खां से ली थी। वह लंबे समय तक तबला उस्ताद अल्ला रक्खा खां, किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खां के साथ भी जुड़े रहे। शुरुआत में वह नृत्य में रुचि रखते थे लेकिन अठारह वर्ष की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया। इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म विभूषण दो ग्रैमी पुरस्कार, जापान का ग्रांड फुकुओका पुरस्कार और ‘ग्लोबल एंबेसडर’ के शीर्षक के साथ दावोस से क्रिस्टल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

पंडित रविशंकर को सांस लेने में तकलीफ थी। रविशंकर का 11 दिसंबर 2012 को 92 वर्ष की उम्र मे निधन हो गया था।
 

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