इस गिरावट को रोकने के लिए जापान ने एक राष्ट्रव्यापी प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया है। ‘साके वीवा’ नाम के इस अभियान का उद्देश्य युवाओं में साके के सेवन को आकर्षक बनाना है ताकि इंडस्ट्री को इसका लाभ मिल सके। टैक्स एजेंसी एक कॉन्टेस्ट चला रही है जिसमें 20 से 39 साल के बीच के लोग हिस्सा ले सकते हैं। उन्हें इस आयु वर्ग के बीच जापानी साके, शोचू, व्हिस्की, बीयर और वाइन को मशहूर बनाने का बिजनेस आयडिया देना है। प्रतिस्पर्धा चलाने वाली एजेंसी का कहना है कि कोविड के दौरान लोगों में शराब पीने की आदत कम हुई है। इसके अलावा जापान की बूढ़ी होती आबादी की वजह से भी शराब की बिक्री घटी है। एजेंसी चाहती है कि लोग शराब की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए प्रमोशनल कैंपेन, ब्रांडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए नए आइडियाज़ भी पेश कर सकते हैं।
सरकार का अभियान
जापानी मीडिया के मुताबिक, सरकार के इस अभियान पर लोगों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कुछ लोग इस बात की साफ़ आलोचना कर रहे हैं कि ये एक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आदत को प्रमोट करना है। लेकिन बहुत से लोग तमाम आयडिया ऑनलाइन ही शेयर कर रहे हैं। एक मशहूर अभिनेत्री ने अपना वीडियो डाला है जिसमें वो एक वर्चुअल क्लब में मेजबान की भूमिका में दिख रही है। इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले लोगों को सितंबर के आखिर तक अपने आइडियाज़ सरकारी एजेंसी को भेजने हैं। इसके बाद सामने आए बिजनेस आयडिया को विशेषज्ञों की मदद से बेहतर बनाया जाएगा। नवंबर में उनका अंतिम स्वरूप दिखाया जाएगा। इस सारे अभियान के लिए एक वेबसाइट बनाई गई है। उस वेबसाइट के मुताबिक़ जापान में शराब की मार्केट सिकुड़ रही है और इसके लिए देश की घटती जन्मदर के अलावा बूढ़ी होती आबादी भी जिम्मेदार है।
जापान में वर्ष 1995 की तुलना में 2020 में बहुत कम शराब पी रहे हैं। साल 1995 में जापान में शराब पीने वाला व्यक्ति एक वर्ष में औसतन सौ लीटर शराब पीता था। 2020 में ये औसत 75 लीटर हो गया है। इसका असर सरकार को शराब से होने वाली आमदनी पर पड़ा है। खबरों के अनुसार 1980 में देश के कुल राजस्व का 5 फीसदी हिस्सा शराब से आता था। लेकिन 2020 में ये घटकर महज़ 1.7 फीसदी ही रह गया है। वर्ल्ड बैंक के एक अनुमान के मुताबिक जापान की 29 फीसदी आबादी 65 वर्ष से अधिक आयु की है जो विश्व में सबसे अधिक अनुपात है।
सबसे बड़ी समस्या आवादी का बूढ़ा होना
देश में सबसे बड़ी दिक्कत तेजी से बूढ़ी होती आबादी है। जापानी कंपनियों को नौकरियों के लिए युवा नहीं मिल रहे हैं। स्टाफ की कमी के कारण कई रेस्तरां और ग्रोसरी की दुकानें समय से पहले बंद हो रही हैं। इनके जल्दी बंद होने की वजह ये भी है कि बूढ़े लोग देर रात तक शॉपिंग आदि नहीं करते हैं। तो क्या बूढ़ी होती आबादी जापान की अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में एक बड़ी चुनौती बनने वाली है। इसके बारे में जापानी कंपनी क्रिमसन फ़ीनिक्स के प्रबंध निदेशक यूचीरो नाकाजिका ने बताया, “कुछ सेक्टर और कुछ व्यवस्था में काम करने का तरीका बदलना होगा। उनका पुराना तरीका अब कम कारगर साबित हो रहा है। पहले पेट्रोल पंप, किराने की दुकानें और अन्य कई व्यवसाय 24 घंटे खुले रहते थे, लेकिन अब उन्हें काम करने के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं। “जापान में अब बहुत सारे बिज़नेस बुज़ुर्ग ग्राहकों को टारगेट कर रहे हैं। इन्हें जापान में सिल्वर इंडस्ट्री कहा जाने लगा है। इनमें नर्सिंग केयर होम्स और ओल्ड एज होम्स जैसे बिज़नेस हैं। जापान की अर्थव्यवस्था इस वक्त युवा मैनपॉवर के अभाव से जूझ रही है।