जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सन् 1990 जैसे हालात नजर आ रहे हैं। एक महीने में 9 लोगों की टारगेट किलिंग के चलते अनेक कश्मीरी हिंदू पलायन का मन बना चुके हैं
पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही टारगेट किलिंग केंद्र सरकार के गले की फांस बनती जा रही है। इसको लेकर केंद्र सरकार की एक दिन के भीतर तीन अहम बैठक हो चुकी हैं। इसी अवधि में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल दो बार मिल चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग, कश्मीरी पंडितों का पलायन व अमरनाथ यात्रा को लेकर बीते हफ्ते नॉर्थ ब्लॉक में दो उच्चस्तरीय बैठक हुई हैं। दूसरी तरफ विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार व भाजपा को घेरने का प्रयास किया है।
कश्मीरी पंडित आरोप लगा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में नौकरशाही संकट को सुलझाने में सरकार सक्षम नहीं है। साथ ही उन्होंने सरकार पर सिविल सोसाइटी को खत्म करने के आरोप लगाए हैं। दरअसल जब से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं तब से उनके द्वारा देश की सुरक्षा के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। खासकर जम्मू-कश्मीर को लेकर। जिनमें से एक महत्वपूर्ण कदम था’ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करना। लेकिन अभी तक इसका खासा प्रभाव होता दिख नहीं रहा है। पिछले एक महीने से जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का मौजूदा व्यवस्था से भरोसा उठता नजर आ रहा है।
डेढ़ साल में 55 नागरिकों की हत्या
नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, आर्मी चीफ मनोज पांडे, गृह सचिव अजय भल्ला, रा ़चीफ सामंत गोयल, आईबी चीफअरविंद कुमार, सीआरपीएफ, एनआईए डीजी कुलदीप सिंह व जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजी दिलबाग सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अफसरों ने भाग लिया। इस साल कश्मीर में टारगेट किलिंग की 20 घटना हुई हैं। तीन दिन में तीन बेगुनाह लोगों को मार दिया गया। जनवरी 2021 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में 55 लोगों की हत्या हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में इस समय लगभग डेढ़ सौ स्थानीय एवं विदेशी आतंकवादी सक्रिय बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ व ’जैश-ए-मोहम्मद’ के लिए अब घाटी में आतंकियों की नई भर्ती मुश्किल हो रही है। यही वजह है कि इन आतंकी संगठनों ने अब घाटी के स्थानीय युवाओं को किराए पर रखने की मुहिम शुरू की है। इसके लिए उन्हें एक तय राशि दी जाती है। इनमें अंडर ग्राउंड वर्कर, ओवर ग्राउंड वर्कर और हाइब्रिड आतंकी शामिल हैं। टारगेट किलिंग की वारदातों को इन्हीं लोगों के द्वारा अंजाम दिया जा रहा है।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर धरने पर कश्मीरी
गौरतलब है कि कश्मीर में फिर से हालात बिगड़ने शुरू हो गए हैं। आतंकी लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं, खासकर उन्हें जो गैर-कश्मीरी और गैर-मुस्लिम हैं। कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने या मरने के लिए तैयार रहने की धमकी दी जा रही है। पिछले एक महीने में टारगेट किलिंग की दर्जन भर घटनाएं सामने आने के बाद अब वहां से पलायन भी शुरू हो गया है। लगातार हो रही टारगेट किलिंग की घटनाओं से कश्मीरी हिंदुओं में इस बात का डर है कि ‘पता नहीं, कौन, कब, कहां से गोली मार दे।
कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा
नॉर्थ ब्लॉक में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि कश्मीरी पंडितों को पलायन करने से रोका जाएगा। अगर यह पलायन जारी रहता है, तो इससे केंद्र सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ेगा। अनुच्छेद 370 को लेकर अभी तक बयानबाजी कर रहे घाटी के राजनीतिक दल, समुदाय विशेष के नेता और पाकिस्तान, को अब कश्मीरी पंडितों के पलायन पर सरकार कोई मौका नहीं देना चाहती। कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा, पिस्टल किलिंग करने वाले आतंकियों का खात्मा और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे। घाटी में जिस तरह से टारगेट किलिंग हो रही हैं, ऐसे में अमरनाथ यात्रा भी जोखिम में पड़ सकती है। दो साल के अंतराल पर हो रही इस यात्रा को लेकर लोगों में भारी जोश है। अभी तक करीब ढ़ाई लाख लोगों ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। ऐसी संभावना है कि 25 जून तक यात्रियों का आंकड़ा चार लाख के पार जा सकता है। कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर जाने पर रोका जाएगा। उन्हें पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके लिए जम्मू- कश्मीर प्रशासन विशेष गाइडलाइंस जारी करेगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा कई ऐसी टीमों का गठन किया जा रहा है, जो हाइब्रिड आतंकियों का पता लगाएंगी। पूर्व में पत्थरबाज रहे युवाओं का रिकॉर्ड खंगाला जाएगा। आईबी एवं जम्मू-कश्मीर इंटेलिजेंस विंग के सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि लगभग तीन साल पहले 5 अगस्त 2019 वो तारीख, भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा में संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया था। 370 की बेड़ियों ने देश को एक देश, दो विधान, दो प्रधान और दो निशान का एहसास कराया। अनुच्छेद 370 के मुताबिक, जम्मू- कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार मिले हुए थे जिसमें जम्मू- कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था। रक्षा, विदेश और संचार के विषय छोड़कर सभी कानून बनाने के लिए राज्य की अनुमति जरुरी थी। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी। दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था, लेकिन ये संविधान के ही उन मूल अधिकारों पर भी चोट करता था, जिसे संविधान निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर ने संविधान की आत्मा कहा था। 72 सालों तक जम्मू-कश्मीर और देश के बीच अनुच्छेद 370 की जो फांस थी, जिसे लगभग तीन साल पहले इतिहास बना दिया गया और एक नए कश्मीर की कहानी जरूर लिख दी गई लेकिन अभी तक जम्मू-कश्मीर में बदलाव नजर नहीं आ रहा है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के अलावा केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में नोटबंदी का फैसला भी किया था। जिसे 8 नवम्बर 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अचानक राष्ट्र को किए गए संबोधन के द्वारा किया गया। इस घोषणा में 8 नवंबर की रात से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को खत्म करने का एलान किया गया। इसका उद्देश्य केवल कालेधन पर नियंत्रण, जाली नोटों से छुटकारा पाना ही नहीं बल्कि इसके जरिए आतंकवाद पर रोक लगाना भी पहली प्राथमिकता थी। लेकिन इसके बाबजूद आतंकवादी गतिविधियां चलती रही हैं। आये दिन आतंकवादी हमले की घटनाएं आती रहती हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई नोटबंदी का फॉर्मूला कामयाब होता दिख नहीं रहा है। नोटबंदी पूरी तरह फेल हो गई। जिससे फायदा कम नुकसान जरूर उठाने पड़े हैं। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करना भी आतंकवादी गतिविधियों को कम करना था लेकिन यह भी खासा कुछ काम नहीं आया।
कश्मीर घाटी में जून, 2021 से अब तक हुई हत्याएं
2 जून, 2021 : त्राल में आतंकियों ने बीजेपी काउंसलर राकेश पंडिता की गोली मारकर हत्या कर दी। उनकी हत्या पर बहनोई संजय रैना ने कहा कि ऐसा लगता है कि गांव में राकेश के होने की सूचना किसी ने आतंकवादियों को दी है।
22 जून, 2021 : जम्मू-कश्मीर में इंस्पेक्टर परवेज अहमद पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया। यह वारदात तब हुई, जब परवेज अहमद मस्जिद में नमाज अदा करने जा रहे थे। इस दौरान दो हथियारबंद आतंकवादियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी जान ले ली।
15 जुलाई, 2021 : सोपोर में बीजेपी लीडर मेहराजुद्दीन मल्ला को अगवा किया गया। हालांकि उन्हें 10 घंटे में ही छुड़ा लिया गया। इस घटना के करीब एक महीने पहले 8 जून को अनंतनाग में कांग्रेस नेता और सरपंच अजय पंडिता की हत्या कर दी गई थी।
17 सितंबर, 2021 : आतंकियों ने कुलगाम के बंटू शर्मा को नजदीक से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। बंटू का परिवार पिछले 30 सालों से भी ज्यादा समय से कश्मीर में रह रहा था।
5 अक्टूबर, 2021 : आतंकियों ने श्रीनगर के इकबाल पार्क के पास माखन लाल बिदरू पर गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी। इसी दिन श्रीनगर में लाल चौक के बाद लाल बाजार में आतंकियों ने हमला किया, जिसमें भेलपुरी बेचने वाले शख्स वीरेंद्र पासवान की हत्या कर दी गई। इसके अलावा आतंकियों ने बांदीपोरा के हाजिन इलाके में मोहम्मद शफी पर फायरिंग की, जिसमें वह घायल हो गया।
7 अक्टूबर, 2021 : श्रीनगर के सफाकदल एरिया में गवर्नमेंट ब्यॉज हायर सेकेंडरी स्कूल के भीतर घुसकर आतंकियों ने दो टीचरों की गोली मारकर हत्या कर दी। इनकी पहचान स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और टीचर दीपक चंद के रूप में हुई।
16 अक्टूबर, 2021 : आतंकियों ने पुराने श्रीनगर और पुलवामा में दौ गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाया। इनमें एक देवेंद्र साहा, बिहार का रहने वाला था और दूसरा सगीर अहमद, यूपी के सहारनपुर का निवासी था।
14 अप्रैल, 2022 : दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के काकरान इलाके में आतंकवादियों ने सतीश सिंह राजपूत की गोली मार कर हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक पेशे से ड्राइवर सतीश सिंह की हत्या की जिम्मेदारी कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स नाम के एक आतंकी संगठन ने ली थी।
12 मई, 2022 : जम्मू कश्मीर के बडगाम में आतंकियों ने राजस्व विभाग के अफसर को गोली मार दी। तहसील ऑफिस में आतंकियों ने राहुल भट्ट को निशाना बनाया। राहुल की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
25 मई, 2022 : एक्ट्रेस अमरीन भट्ट अपने घर के बाहर 10 साल के भतीजे संग खड़ी थीं। तभी अचानक आए हमलावरों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। बाद में अमरीन ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। हालांकि, 24 घंटे के अंदर ही सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर हत्या का बदला ले लिया।
31 मई, 2022 : कुलगाम के गोपालपोरा इलाके में हाई स्कूल टीचर रजनी बाला पर आतंकियों ने गोलियां बरसाईं। सांबा की रहने वाली रजनी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।