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कमलनाथ के वो तीन शब्द जिसके चलते सिंधिया ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा, प्रधानमंत्री से मिले

कमलनाथ के वो तीन शब्द जिसके चलते सिंधिया ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा, प्रधानमंत्री से की मुलाकात

सियासत की लड़ाई में एक बार फिर से कांग्रेस की हार होती दिख रही है। कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया का बीजेपी में जाने की जो अटकलें लगी थी वो समाप्त हो गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर इस बात की मोहर लगा दी है कि वो कांग्रेस का हाथ छोड़ रहे हैं। उन्होंने अपना इस्तीफा ट्वीट किया है। सिंधिया ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा है। इस्तीफा में जो तारीख दिख रही है वो 9 मार्च की है। लेकिन उस इस्तीफा को आज मंगलवार को सार्वजनिक किया गया है।

उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि वो कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहे हैं। उन्होंने लिखा, “मेरे जीवन का उद्देश्य शुरू से ही अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना रहा है। मुझे लगता है कि अब इस पार्टी (कांग्रेस) में रहकर मैं अपना ये काम नहीं कर पा रहा हूं।” सिंधिया ने आगे लिखा कि अपने लोगों और कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यही सही है कि अब वो इससे आगे बढ़ें और एक नई शुरुआत करें।

आपको बता दें कि सिंधिया ने सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। उनके साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी थे। इन सभी की मुलाक़ात में क्या बातें हुईं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। सिंधिया के इस फैसले से मध्य प्रदेश की सरकार पर संकट मंडरा रहा है। फिलहाल मुख्यमंत्री कमलनाथ के घर पर कांग्रेस की आपात बैठक चल रही है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन जी लखनऊ में थे। वो भी मध्यप्रदेश पहुंच रहे हैं। वहीं समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्र ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि मध्यप्रदेश की सरकार बच पाएगी। आपको बता दें कि आज मंगलवार शाम को बीजेपी संसदीय दल की बैठक होने वाली है जिसमें इस पर कोई फ़ैसला होने की सम्भावना है।

देखा जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज जो कदम उठाया वो तत्काल लिया गया फैसला नहीं है। इसकी शुरूआत कमलनाथ के 3 शब्द ‘तो उतर जाएं’ के बाद से ही शुरू हो गई थी। सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों से मुलाकात के बाद उन्हें आंदोलन न करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि सरकार को कुछ समय दीजिए। यदि उसके बाद भी वजन पूरा नहीं हुआ तो मैं आपके साथ सड़क पर उतर जाऊंगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बयान पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने शेष 3 शब्द कहे ‘तो उतर जाएं।’ यह तीन शब्द ज्योतिरादित्य सिंधिया को वह सब कुछ करने पर मजबूर किया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की ऑफिशियल मीटिंग कल भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई पर ऐसी मीटिंग पहले भी हो चुकी है। आज जो हो रहा है उसकी पटकथा पहले से ही तैयारी की जा चुकी थी। बस माधवराव सिंधिया की जयंती का इंतजार किया जा रहा था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ये धमाका करना चाहते थे। स्थानीय राजनीति पर नजर रखने वाले मानते हैं कि प्रधानमंत्री से सिंधिया की मुलाकात पहले भी होती रही है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री और सिंधिया के बीच मध्यस्थता सिंधिया के ससुराल पक्ष से बड़ौदा राजपरिवार की महारानी ने की। उन्होंने ही सिंधिया को भाजपा से संपर्क के लिए तैयार किया।

दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी ने सिंधिया को साधने और उनसे बातचीत के लिए नरेंद्र सिंह तोमर को जिम्मा दिया था, क्योंकि सिंधिया को लेकर ग्वालियर-चंबल के नेताओं में थोड़ा पसोपेश रहता आया है। राजनीतिक हल्कों में ये भी सुगबुगाहत है कि सिंधिया मीटिंग के लिए तीन दिन पहले नरेंद्र सिंह तोमर के घर भी जा चुके हैं। वहीं पर आगे की रणनीति पर विमर्श हुआ था। अगर बीते सप्ताह के घटनाक्रम पर नजर डालें तो निर्दलीय और कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से बातचीत करके नरोत्तम मिश्रा ने उन्हें लामबंद किया और दिल्ली ले गए। संजय पाठक, अरविंद भदोरिया और विश्वास सारंग का संगठन ने अपने तरीके से उपयोग किया। दिग्विजय सिंह को पहले इसकी जानकारी लग गई थी।

इसी लिए उन्होंने अप्रिय घटना घटित होने से पहले सरकार को रेस्क्यू करने की कोशिश की। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में न तो मुख्यमंत्री कमलनाथ को कुछ पता था और न ही दिग्विजय सिंह को। यह सब कुछ बिल्कुल योजना के अनुसार चलता रहा। फिर कल दिग्विजय सिंह का बयान आया कि उन्होंने सिंधिया संपर्क साधने की कोशिश की पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। आगे चलकर पता चला की सिंधिया को फ्लू हुआ है जिसके चलते वो फोन नहीं ले रहे हैं, जबकि दिल्ली की तैयारी हो चुकी थी। माना जा रहा है 16 मार्च तक भाजपा की तरफ से कोई नया दाँव खेला जा सकता है।

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