उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब विधानसभा में सत्र शुरू हो गया और कांग्रेस विधायक दल के कक्ष में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली थी। खाली कुर्सी को लेकर सभी कांग्रेसी असहज नजर आए। धामी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहले सत्र में नेता प्रतिपक्ष की खाली कुर्सी चर्चा का विषय बन गई।
अभी तक उत्तराखंड विधानसभा में जब भाजपा की सरकार बनती है तो कांग्रेस और जब कांग्रेस की सरकार बनती है तो भाजपा नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी संभालता आया है। सत्र शुरू होने से पहले ही नेता प्रतिपक्ष तय हो जाता है। लेकिन इस बार कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष चुनने में लेट लतीफ हो गई । सत्तारूढ़ भाजपा के पास मौका हाथ आ गया। भाजपा नेताओं के व्यंग बाण शुरू हो गए। उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस विधानसभा चुनाव के परिणाम आने से पहले सीएम की कुर्सी को लेकर आपस में लड़ रही थी वह कांग्रेस अब नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पा रही है।

हालांकि इसके पीछे एक बार फिर हरीश रावत और प्रीतम सिंह गुट के अपने-अपने दावे बताए जा रहे हैं । फिलहाल नेता प्रतिपक्ष तय करने का जिम्मा कांग्रेस हाईकमान के सर पर है। पार्टी के प्रभारी देवेंद्र यादव के सामने सभी विधायक इसकी सहमति दे चुके हैं। अभी पूरी तरह हार से नहीं उभरी कांग्रेस हाईकमान यह फैसला लेने में सक्षम नहीं हो पा रही है। जिसके चलते विपक्ष सत्तासीन पार्टी भाजपा के निशाने पर है।
उत्तराखंड के इतिहास में 28 मार्च को वह पहला विधानसभा सत्र लिखा जाएगा जो बिना नेता प्रतिपक्ष के शुरू हुआ। इस दौरान विधायक हरीश धामी, आदेश चौहान समेत कई विधायक प्रीतम सिंह को कहा कि वो नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठें। विधायकों का कहना था कि बनना तो आपको ही है, तो फिर किस बात की औपचारिकता?
यही नहीं बल्कि धारचूला के विधायक हरीश धामी ने चुटकी तक ली और कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझ छोटे भाई ने दावेदारी कर दी है तो आप नाराज हो? इस पर प्रीतम सिंह अपने चिरपरिचित अंदाज में बात को मुस्कुरा कर टाल गए। प्रीतम सिंह इतना ही कह पाए कि वो मर्यादा से बंधे व्यक्ति हैं। हाईकमान जिसे भी तय करेगा, वो पार्टी के सिपाही की तरह उसके पीछे खड़े हो जाएंगे।
पार्टी के सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में इस वक्त नेता प्रतिपक्ष पद के लिए निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह पहले नंबर पर दावेदार बताए जा रहे हैं। चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में लौटे पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य, धारचूला विधायक हरीश धामी, बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी तथा अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी का भी नाम भी चर्चाओं में है। इसके अलावा हरिद्वार के भगवानपुर की विधायक ममता राकेश भी महिला होने के नाते नेता प्रतिपक्ष का दावा कर चुकी है।