रिपोर्ट में कहा गया है कि नई परियोजनाओं की घोषणा की रफ्तार कई साल के निम्न स्तर पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ मध्यवर्ती और पूंजीगत सामानों, टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र की कमजोर मांग की वजह से उत्पादन की रफ्तार भी धीमी पड़ी है। रिजर्व बैंक की सर्वेक्षण रिपोर्टों में आय और रोजगार की स्थिति को लेकर उपभोक्ता धारणा में गिरावट का रुख परिलक्षित होता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह भी मांग में कमी को दर्शाते हैं. बैंकों और गैर- बैंकिंग क्षेत्र में ब्याज वृद्धि भी पहले के मुकाबले धीमी पड़ी है।
बैंकों ने कर्ज देने के मामले में छानबीन और दस्तावेजों की पड़ताल में सख्ती बरतनी शुरू की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति में संतुलन लाने के प्रयास स्वरूप वर्ष के शुरुआती महीनों में आम चुनाव की वजह से खर्च आवंटन धीमा रहने के बाद अब वित्तीय खर्च में तेजी आ सकती है। हालांकि, व्यापार की यदि बात की जाए तो निर्यात की सुस्ती के साथ गैर-तेल और गैर- स्वर्ण आयात की गिरावट से संतुलन बना रह सकता है। जुलाई- सितंबर तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े इसी सप्ताह जारी होने हैं।