ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के अनुसार, आर्सेनिक की मात्रा एक लीटर पेयजल में 0.01 मिलीग्राम से ज्यादा होना सेहत के लिए खतरनाक है। क्योंकि इससे स्किन कैंसर , फेफड़े, लीवर और बच्चेदानी की गंभीर बीमारी होने की संभावना है।
क्या है आर्सेनिक ?
आर्सेनिक एक अत्यधिक विषैला तत्व है और इसकी थोड़ी मात्रा भी मानव शरीर को प्रभावित कर सकती है। विज्ञान, चिकित्सा और तकनीकी कार्यों में आर्सेनिक की उपयोगिता जगजाहिर है, लेकिन भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होने पर स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव दिखने लगते हैं।
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उत्तर प्रदेश
यूपी के बहराइच, देवरिया, लखीमपुर, आज़मगढ़ और बलिया जिले में भी भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर की है। इन जिलों में कई गांव कैंसर पीड़ितों से भरे हुए हैं।
पंजाब
अमृतसर, रोपड़ और तरण तारण जिले के भूजल में आर्सेनिक 0.05 मिलीग्राम प्रतिलीटर से ज्यादा है। आर्सेनिक वाले पानी से सिंचाई करने पर यह भोजन में भी घुल जाता है।
मणिपुर
पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में बिष्णुपुर और थोबाल जिले में भूजल आर्सेनिक के कारण अत्यधिक दूषित पाया गया। इसका जिक्र भी भारत के केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में है।
हरियाणा
कृषि प्रधान राज्यों में शुमार हरियाणा के अंबाला और झज्जर जिले में भी भूजल आर्सेनिक से दूषित है। जमीन से पानी निकालने के लिए लगातार और गहराई तक ड्रिल करने से भी आर्सेनिक पानी में घुल जाता है।
बिहार
बिहार के पटना, गोंडा, कटिहार, सारण और वैशाली समेत 11 जिलों में आर्सेनिक वाले भूजल के कारण 90 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। गोंडा में तो आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा है।
झारखंड
कोयला खनन के लिए विख्यात या कुख्यात धनबाद और साहेबगंज जिले में कई गांव आर्सेनिक वाले पानी के चलते बुरी तरह बीमार हैं।
असम
असम के राज्य के तीन जिलों कछार, जोरहाट और नगांव में भूजल के सैंपल लिए गए तो उनमेंआर्सेनिक 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा पाया गया ।
केंद्रीय भूजल बोर्ड को जमीन से जब छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव, कर्नाटक के राइचुर में पानी निकाला गया तब भी अत्यधिक मात्रा में आर्सेनिक मिला। गौरतलब है कि हर साल भारत में दूषित पानी पीने की वजह से दो लाख लोग अपनी ज़िंदगी से हाथ धो बैठते हैं।