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संयुक्त किसान मोर्चा में पड़ी फूट, 11 संगठनों ने किया किनारा

देश की राजधानी दिल्ली में आज संयुक्त किसान मोर्चा के सभी संगठनों की मीटिंग हुई। लेकिन मीटिंग होने से पहले ही मोर्चा में फूट पड़ गई। जिसमें 11 संगठनों ने मीटिंग से ही किनारा कर लिया। मोर्चा में आई इस फूट से केंद्र सरकार में खुशी देखी जा रही है।  हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में जिस तरह पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों में भाजपा को वोट दिया उससे यह संदेश गया कि संयुक्त किसान मोर्चा कमजोर पड़ गया। आज की मीटिंग में चुनाव का कोई मुद्दा एजेंडा में नहीं रखा गया। संयुक्त किसान मोर्चा की विधानसभा चुनाव के बाद हुई पहली बैठक से 11 संगठनों ने भाग लेने से साफ मना कर दिया।
बैठक में सभी 32 संगठनों को पहुंचने का संदेश भेजा था। उसमें से 18 संगठनों के नेता बैठक मे मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि तीन संगठनों ने फोन पर अपनी सहमति दे दी।  वहीं पश्चिमी उप्र से भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बैठक में भाग लिया। करीब 4 घंटे चली मीटिंग में खूब गहमागहमी हुई कई मुद्दों पर बातचीत हुई।  मीटिंग में कहा गया कि किसानों पर दिल्ली और दिल्ली की सीमाओं पर दर्ज मुकदमे भी वापस नहीं लिए जा रहे। खराब मौसम के चलते बर्बाद हुई फसल का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
गन्ने की फसल मे किये गए 35 रुपये प्रति क्विंटल के इजाफे की रकम किसानों को अब तक नहीं मिल सकी। संयुक्त किसान मोर्चा के धर्मेंद्र मलिक के अनुसार किसानों के सभी संगठनों को एकजुट होकर रहना चाहिए। इस तरह की फूट किसानों की एकता के लिए घातक है। अगर कुछ आपसी मतभेद हैं तो इनको बैठकर बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए।

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