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मासिक धर्म के दौरान कामकाजी महिलाओं को अलग से छुट्टी देने को लेकर छिड़ी बहस 

कामकाजी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान छुट्टी मिलनी चाहिए या नहीं इसको लेकर  विश्व भर में एक बहस छिड़ गयी हैं।  दरअसल जापान में इस मामले को लेकर 70 वर्ष पहले ही निर्णय ले लिया गया था।  जिसमें यह तय किया गया था कि कोई भी महिला चाहे वो किसी भी सेक्टर में कार्य करती हो वह  संस्था द्वारा तय दिनों के लिए छुट्टी ले सकती हैं। 
 
भारत की अगर बात करें तो अभी तक यहां पर ऐसी कोई सरकारी पॉलिसी नहीं आयी है। लेकिन ‘जोमैटो’ जो कि एक भारतीय फूड  डिलीवरी एप्प है उसने फैसला लिया है कि वे अपने यहाँ काम कर रही महिलाओं को मासिक धर्म से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए हर वर्ष 10 दिनों की छुट्टी देगा। उन दस दिनों को अपने सुविधा अनुसार साल में किसी भी माह में वह प्रयोग कर सकेगी। 
 
आपको बता दें कि जोमैटो एक फूड एप्प है जिसके द्वारा आप ऑनलाइन खाना आर्डर कर सकते हैं। यह एप्प आपको आपके पास के सभी रेस्टारेंट को दिखाता है और उन रेस्टारेंट के मेनू भी दिखाता है जिससे आप अपनी पसंद का फूड देख सकते है और उसे आर्डर कर सकते है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको Zomato App डाउनलोड करना होता है।

जोमैटो ने मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को छुट्टी देने की कवायद की

 
भारत में पहली बार किसी संस्था ने मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को छुट्टी देने की कवायद की है। इस फैसले को लेते हुए जोमैटो के मुख्य कार्यकारी दीपिंदर गोयल ने अपने एक संस्थागत मेल में कहा है कि,”यहां किसी भी तरह का कोई स्टिग्मा नहीं होना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को छुट्टी लेना है या नहीं ये उनकी स्वतंत्रता होनी चाहिए।”
 
लेकिन भारत में ही इससे पहले वर्ष 1992 में बिहार सरकार ने इस पर पहल की थी और उस दौरान कहा गया था कि साल भर में दो छुट्टियां ऐसी होनी चाहिए जो मासिक धर्म के लिए अलग से जुडी हों।  
 
पर इसी देश में मासिक धर्म के दौरान छुट्टियों को लेकर देश में नारीवादियों के बीच एक अलग ही बहस छिड़ी हुई है। कुछ इस पहल का ह्रदय से स्वागत कर रहे हैं तो कुछ यह तर्क दे रहे हैं कि यह लीव तो औरतों को कमजोर साबित करने की कवायद कर रहा है। 
 
यह डिबेट कहाँ जाकर समाप्त होगा यह कहा नहीं जा सकता पर फिलहाल यह नियम विश्व भर के विभिन्न देशों द्वारा अपनाया गया है। साउथ कोरिया में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को वर्ष 1953 से ही लीव दी जा रही है। 
 
भारत को इस संदर्भ में अभी कई पॉलिसीस जोड़ने की आवश्यकता है वो भी तब जब एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 88% महिलाओं मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड ही नहीं मिल पाता है। 
 

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