कोरोना महामारी से सुरक्षित रहने के लिए कई लोग प्रयास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी का फायदा उठाकर कई लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में धन का गबन किया जा रहा है। कई देशों में कोरोना टीकाकरण का प्रमाणपत्र होना अनिवार्य कर दिया गया है। जिसके कारण मौके का लाभ उठाते हुए कुछ लोगों ने अब नकली कोरोना टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया है।
लगभग सभी देशों में कोरोना टीकाकरण प्रमाणन लागू किया जा रहा है। इस प्रमाण पत्र के आधार पर सार्वजनिक स्थानों पर यात्रा करने की अनुमति है। दावा किया गया है कि पिछले कुछ महीनों में फर्जी कोरोना टीकाकरण प्रमाणपत्रों की संख्या में 10 गुना वृद्धि हुई है। कोरोना टीकाकरण के फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने वालों की मोटी कमाई जारी है।
एक सॉफ्टवेयर कंपनी चेकप्वाइंट ने नकली वैक्सीन प्रमाणपत्रों पर एक शोध अध्ययन किया। वहीं से मामला प्रकाश में आया। भारत समेत करीब 29 देशों में नकली टीकाकरण प्रमाणपत्रों की संख्या 10 गुना बढ़ गई है। ये फर्जी सर्टिफिकेट टेलीग्राम पर करीब 6272 में उपलब्ध करा दिए जाते हैं। भारत समेत ऑस्ट्रिया, लातविया, लिथुआनिया, माल्टा, पुर्तगाल, सिंगापुर, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
चेक प्वाइंट रिसर्च (सीपीआर) के विशेषज्ञों के मुताबिक 10 अगस्त को टेलीग्राम मैसेजिंग एप पर फर्जी कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र के करीब एक हजार विक्रेता थे। अगले कुछ दिनों में यह संख्या बढ़कर 10,000 हो गई है।
टेलीग्राम पर नकली वैक्सीन प्रमाण पत्र बेचने वाले समूहों की संख्या लगभग 30,000 थी। तब से यह संख्या नाटकीय रूप से बढ़ी है। डार्कनेट पर दिसंबर 2020 का कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र 250 डॉलर में बेचा जा रहा था। यह अब 130 से 150 डॉलर में बिक रहा है।