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…तो राहुल ही बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष

‘दि संडे पोस्ट विशेष’

‘दि ग्रान्ड ओल्ड पार्टी’ में इन दिनों भारी उथल-पुथल और चिंतन का माहौल है। 19 दिसंबर को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बड़े नेताओं संग पांच घंटे तक बातचीत कर संगठन में नई जान फूंकने की कवायद शुरू कर दी है। सोनिया के 10 जनपथ स्थित आवास पर हुई इस बैठक के दौरान जी-23 समूह के 19 नेता मौजूद थे जिन्होंने पार्टी में केंद्रीय अध्यक्ष से लेकर सभी महत्वपूर्ण पदों को चुनाव के जरिए भरे जाने, पार्टी की आंतरिक कमजोरियों को दूर करने के लिए शीर्ष स्तर पर संवाद प्रणाली बनाए जाने पर जोर दिया। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इन दोनों ही नेताओं से कांग्रेस का असंतुष्ट खेमा सबसे ज्यादा नाराज बताया जाता है। बैठक में शामिल एक बड़े नेता ने ‘दि संडे पोस्ट’ को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राहुल गांधी ही पार्टी के अध्यक्ष दोबारा बनाए जाएंगे। उन्होंने मीडिया में चल रही इन कयासबाजियों को सिरे से नकार दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ-साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनने जा रहे हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के इन स्थाई सदस्य का कहना है कि राहुल गांधी की वापसी से पहले बड़े स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रदेशों के नेताओं संग सोनिया गांधी संवाद करने जा रही हैं। बहुत संभव है कि सितंबर 1998 में पार्टी की कमान संभालने के बाद सोनिया गांधी द्वारा पंचमड़ी में जैसा चिंतन शिविर आयोजित किया गया था, उर्सी तर्ज पर एक बार फिर कम से कम दो चिंतन शिविर कराए जाएं ताकि राहुल गांधी की वापसी को लेकर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की चुपचाप की जा रही खिलाफत पर लगाम लगाई जा सके।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐसे असंतुष्ट नेताओं में से कम से कम आठ नेताओं की नाराजगी को पार्टी आलाकमान ने दूर कर दिया है। इन नेताओं में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चाह्नाण, जतिन प्रसाद और मुकुल वासनिक शामिल हैं। पृथ्वीराज चह्नाण ने तो बकायदा सोनिया गांधी संग 19 दिसंबर को हुई मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी हिस्सा लिया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ कांग्रेस महासचिव हरीश रावत और पवन बंसल भी मौजूद थे। पार्टी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी की वापसी के तुरंत बाद कांग्रेस संसदीय दल और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्षों में बड़ा बदलाव किया जाएगा। अगले वर्ष होने जा रहे पश्चिम बंगाल, असम, केरल, गोवा और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों की कमान सीधे राहुल गांधी संभालने जा रहे हैं। इन चुनावों के दृष्टिगत सोशल मीडिया, आईटी सेल एवं कांग्रेस के दो महत्वपूर्ण संगठन एनएसयूआई एवं सेवा दल को भी चुस्त-दुरुस्त किया जाना तय है।

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