देश में एक बार फिर कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है। अब तक कोरोना के नया वेरिएंट यानी जेएन.1 दुनिया के 40 देशों में फ़ैल चुका है। देश में केरल सहित गोवा और महाराष्ट्र से इस नए वैरिएंट से संक्रमित होने वाले 21 मामले सामने आ चुके हैं।वहीं कोविड-19 कुल 2 हजार 300 से ज़्यादा मामले सक्रीय हैं।
अगर एक दिन की बात की जाये तो पिछले 24 घंटों में कोरोना के 341 मामले सामने आये हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा कोरोना के मामले केरल से देखने को मिल रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इन पिछले 24 घंटे में अकेले केरल से ही कोरोना के कुल 292 मामले सामने आएं हैं। इसके अलावा इन 24 घंटे में भीतर केरल में कोरोना से तीन लोगों की मौत भी हो चुकि है। यही नहीं बीते चौदह दिनों में कोविड- 19 करीब 16 लोगों की मौत की नींद सुला चुका है।
कोविड-19 के नए सबवेरिएंट जेएन.1, कोविड वेरिएंट पिरोला या बीए.2.86 का हिस्सा है। इसके बढ़ते मामलों ने केरल की स्वास्थ्य सेवाओं की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि नया स्ट्रेन राज्य में पहले से ही बढ़ रहे मामलों को और बढ़ा सकता है। इस नए सबवेरिएंट की पुष्टि केरल में भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) द्वारा की गई है। नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कोविड टास्क फोर्स के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, भारत के राज्य केरल में हाल ही में कोविड-19 मामलों में वृद्धि के पीछे जेएन.1 मुख्य कारक है।
इसके लक्षण क्या हैं?
बुखार
लगातार खांसी
बंद नाक
बहती नाक
दस्त
सिरदर्द
WHO कर चुका है आगाह
कोरोना के बढ़ते मम्मलों को देख डब्लूएचओ अपने सदस्य देशों को इसके बारे में पहले ही अलर्ट जारी कर चुका है। साथ ही स्वास्थ्य संगठन ने कोविड की तकनीकी प्रमुख ‘मारिया वान केरखोव’ का एक वीडियो भी साझा किया था। जिसमें केरखोव ने सांस संबंधी बीमारियों के फैलने की वजह बताते हुए इसे इसे रोकने के उपाय बता रही हैं। मारिया वान केरखोव ने के अनुसार सांस संबंधी बीमारियां दुनिया में लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन बीमारियों में कोरोना वायरल, फ्लू, रिनो वायरस, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया जैसी अन्य बीमारियां शामिल हैं। क्योंकि सार्स कोव-2 नाम का वायरस अपने आपको बदल रहा है। इसी के साथ कोरोना का सबवैरिएंट भी फैल रहा है। इनके द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार सांस संबंधी बीमारियों के फैलने की कई वजह है। जिसमें से एक मौजूदा छुट्टियों का दौर भी है, जिसमें परिवार के लोग रिश्तेदार एकत्रित होते हैं और बड़ी संख्या में लोग यात्राएं भी करते हैं। इस आधार पर सरकारों को कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है।
केरखोव का कहना है कि ठण्ड के मौसम में लोग अधिक समय घर के अंदर ही गुजारते हैं। जिसके कारण अगर घर में वेंटिलेशन का अभाव है तो साँस सम्बन्धी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। जो कोरोना और उसके नए वेरियंट के फैलने का कारण बनता है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत सहित में कोरोना के लगभग 68 फीसदी मामले सबवैरिएंट जेएन.1 की वजह से हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सदस्य देशों से अपील की है कि वह मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों को लागू करें और कड़ी निगरानी करें।