कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले जनता कर्फ्यू करने का अहवान किया और उसके बाद देशभर में लॉकडाउन कर दिया। देखते-ही-देखते कुछ ही घंटों में सब कुछ बंद हो गया। यातायात की सारी सुविधाएं ठप हो गईं, जो जहां था वहीं थम गया। सबसे अधिक मार इसका मजदूरों पर पड़ा हैं। कई जगहों से लगातार खबरें आ रही हैं कि काम बंद होने के चलते मजदूरों को उनके मकान मालिकों ने कमरे से निकाल दिया।
कुछ के पास काम नहीं तो रहने-खाने के लाले पड़ गए हैं। जिसके चलते सभी मजदूर अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं। अधिकतर पैदल ही निकल पड़े हैं अपने बच्चों और परिवार के साथ। जो नजदिक के रहने वाले हैं वो तो पहुंच गए हैं। लेकिन अधिकतर वैसे लोग हैं जिनका घर कई सौ किलोमीटर दूर है। तीन-चार दिन से निकले हैं मगर मंजिल पर पहुंचने में अभी भी कई दिन लगेंगे।
एक ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सामने आया है। मुराकीम की मां का निधन वाराणसी में हो गया। वो घर जाना चाहते थे पर लॉकडाउन होने की वजह से उन्हें वाराणसी तक पहुंचने का कोई साधन नहीं मिला। मजबूरी में मुराकीम अपने दो दोस्तों संग पैदल ही वाराणसी के लिए निकल पड़े।
Chhattisgarh: A man, Murakeem (in chequered shirt) is covering the distance from Raipur to UP's Varanasi, along with his two friends, Vivek &Praveen, as his mother passed away in Varanasi on March 25. They reached Baikunthpur in Koriya district from Raipur in 3 days. (27.03.20) pic.twitter.com/tj9aO2swsn
— ANI (@ANI) March 28, 2020
सामाचार एजेंसी ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुराकीम वाराणसी के लिए अपने दो दोस्त विवेक और प्रवीण के साथ निकल पड़े हैं। मुराकीम की मां का निधन 25 मार्च को वाराणसी में हुआ था। मुराकीम पैदल रायपुर से कोरिया जिले के बैकुंठपुर पहुंचा है। मुराकीम के दोस्तों ने बताया कि हम लगभग 20 किलोमीटर तक चले और 2-3 लोगों से हमारे रास्ते में लिफ्ट भी ली। हम जब बैकुण्ठपुर पहुंचे तो वहां एक मेडिकल स्टोर संचालक ने हमारी मदद की।
ऐसी सैकड़ों कहानियां हैं। भले सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जा रही है लेकिन इसका इन मजदूरों के लिए कई मायने नहीं। राहुल गांधी ने आज ट्वीट कर ये मामला उठाया है। उन्होंने लिखा, “आज हमारे सैकड़ों भाई-बहनों को भूखे-प्यासे परिवार सहित अपने गाँवों की ओर पैदल जाना पड़ रहा है। इस कठिन रास्ते पर आप में से जो भी उन्हें खाना-पानी-आसरा-सहारा दे सके, कृपा करके दे! कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं-नेताओं से मदद की ख़ास अपील करता हूँ। जय हिंद!”
आज हमारे सैकड़ों भाई-बहनों को भूखे-प्यासे परिवार सहित अपने गाँवों की ओर पैदल जाना पड़ रहा है।इस कठिन रास्ते पर आप में से जो भी उन्हें खाना-पानी-आसरा-सहारा दे सके,कृपा करके दे! कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं-नेताओं से मदद की ख़ास अपील करता हूँ।
जय हिंद! pic.twitter.com/ni7vkhRQAZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 28, 2020
पैदल और रिक्शा जैसी अपनी सवारी से निकले मजदूरों में सबसे अधिक संख्या पश्चिम बंगाल और बिहार के लोगों की है। दो मजदूर पिछले दिनों रिक्शा से पश्चिम बंगाल के लिए निकले थे जिन्हें पुलिस ने रास्ते में रोक दिया। मजदूरों ने बताया कि उन्हें रिक्शा से पश्चिम बंगाल पहुंचने में कम-से-कम 7 दिन लगेंगे। सभी राज्य अलग-अलग दावे कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे अपने लोगों के लिए इंतेजाम कर रहे हैं पर कतारें बढ़ती ही जा रही हैं।
सरकार से एक चूक हो गई है। हाईवेज़ के किनारे बड़े बड़े LED स्क्रीन लगाए जाने चाहिए थे ताकि सैकड़ों KM अपने घर को पैदल लौटते ये मज़दूर रामायण देख कर अपनी भूख और पीड़ा मिटा पाते।
अब भी देर नहीं हुई है। चुनावी रैलियों में बड़ी स्क्रीन लगाने वालों से कंटैक्ट कर ये काम फ़ौरन किया जाए। pic.twitter.com/hPtVgYIb5H
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) March 28, 2020
बता दें कि अब तक देश में 834 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। मंत्रालय के मुताबित, संक्रमित लोगों में 47 विदेशी नागरिक है। इसमें 748 एक्टिव केस हैं। जबकि 66 लोग रिकवर हो चुके हैं। आज शनिवार तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। केरल में शुक्रवार को अकेले 39 पॉजिटिव कोरोना मरीज पाए गए।
कल कर्नाटक में एक और शख्स की मौत हो गई थी। वहीं महाराष्ट्र में 130 और कर्नाटक में 55 लोगों के टेस्ट पॉजिटिव मिले हैं। आज लॉकडाउन का चौथा दिन है। सब राहत की एक खबर ये है कि 67 ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था और अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं।