[gtranslate]
Country

वायु प्रदूषण की चपेट में पूरी दुनिया

एक बार फिर साबित हो रहा है कि दुनिया का हर एक इंसान प्रदूषित हवा में सांस ले रहे है। ये बात विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है। दुनिया के सभी देश प्रदूषित हवा का कोई हल नहीं निकाल सके हैं।

वर्ष 2021 में कोई भी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर पाया है। एक संगठन, स्विस ने 6,475 शहरों का सर्वे कर यह चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है।

2021 में भारत की वायु गुणवत्ता खराब से बदतर होती चली गई। स्विस फर्म IQAir द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत का वायु प्रदूषण खराब हो गया है। दिल्ली लगातार दूसरे वर्ष सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है। दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 96.4 हो गया है।

दिल्ली के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका का नंबर आता है। सबसे प्रदूषित देशों की सूची में बांग्लादेश पहले स्थान पर है। डब्ल्यूएचओ ने पिछले साल अपने दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए सिफारिश की थी कि पीएम 2.5 के रूप में जाने जाने वाले छोटे और खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर की औसत वार्षिक रीडिंग 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

शीर्ष 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से दस भारत में हैं और ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी के आसपास हैं। इन शहरों में राजस्थान में भिवाड़ी, उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद, जौनपुर और नोएडा आदि शामिल हैं।

सर्वेक्षण किए गए शहरों में, लगभग 93 शहरों में वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों की तुलना में 10 गुना अधिक थी। चीन 2014 से प्रदूषण से युद्ध कर रहा है, जो 2021 में पीएम 2.5 रैंकिंग में 22वें स्थान पर आ गया, जो एक साल पहले 14वें स्थान पर था।

जापान, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, पुर्तगाल, एस्टोनिया और बहामास के कई देश वायु गुणवत्ता के मामले में थोड़ा बेहतर कर रहे हैं और उनकी रैंकिंग में सुधार हुआ है।

क्या होता है पीएम ?

पार्टिकुलेट मैटर या पीएम 2.5 में धूल और गंदगी के सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस के जरिए हमारे अंदर प्रवेश करते हैं। पीएम 2.5 के कण स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक माने जाते हैं। ये कण दिल और फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा के गंभीर अटैक का भी खतरा होता है।

लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में 16 लाख 70 हजार मौतों का कारण वायु प्रदूषण था। हालांकि, घरेलू प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वर्ष 1990 की तुलना में काफी कमी आई है। इसका कारण एलपीजी और पीएनजी का बढ़ता उपयोग है। वहीं, PM2.5 से होने वाली मौतों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 15 भारत के हैं। इनमें से अधिकतर शहर उत्तर भारत में हैं।

यह भी पढ़ें : प्रदूषण के कारण लॉकडाउन की ओर बढ़ती दिल्ली

You may also like

MERA DDDD DDD DD