केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग का मुद्दा भी विपक्षी दलों मध्य एकता करा पाने में विफल होता नजर आ रहा है। दिल्ली सरकार में मंत्री रहते मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी बाद जहां कांग्रेस और उससे जुड़े विपक्षी दलों ने प्रतिरोध करना उचित नहीं समझा तो कई अन्य विपक्षी दल खुलकर आम आदमी पार्टी के साथ खड़े हो गए हैं। राजनीतिक पंडितों की राय में यह कांग्रेस से इतर एक नए गठबंधन की तरफ उठा कदम है
देश में इन दिनों एक ओर जहां संसद के दोनों सदनों में आम बजट का दूसरा सत्र चल रहा है वहीं अडानी समूह के खिलाफ आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और पिछले कुछ समय से केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर विपक्षी पार्टियों का हंगामा जारी है। ऐसे में इस साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एजेंसियों की जांच को लेकर विपक्षी दलों का रिएक्शन भी नजर आने लगा है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र की मोदी सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप तो सारे ही विपक्षी दल लगाते रहे हैं। कई बार विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से जोरदार विरोध देखा गया है, लेकिन इस बार नई बात देखने को मिली है कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद विपक्षी नेताओं का एक बड़ा तबका दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ा नजर आ रहा है। 9 विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से पहले ही एक पत्र लिखा जा चुका था। उसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन दसवें नेता हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई और ईडी के एक्शन का विरोध किया है।
विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से ऐसी ही एकजुटता सोनिया गांधी के मामले में भी देखी जा चुकी है। जैसे विपक्षी दलों के नेताओं ने अभी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है, तब सोनिया गांधी के समर्थन में साझा बयान जारी किया गया था। यह तब की है जब प्रवर्तन निदेशालय ने ‘नेशनल हेराल्ड’ केस में सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया था।
विपक्षी नेताओं को राजनीतिक नेतृत्व के इशारे पर एजेंसियों द्वारा टारगेट किये जाने का इल्जाम लगाये जाने या किसी एक्शन पर बयान देकर या सोशल मीडिया पर लिख कर अलग -अलग विरोध जताने और एक औपचारिक रूप में संगठित विरोध जताने में काफी फर्क है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि ऐसा कदम सोनिया गांधी के बाद अरविंद केजरीवाल के समर्थन में ही उठाया गया है, वरना छापेमारी और गिरफ्तारियां तो और भी होती रही हैं।
ऐसे में सवाल है कि केजरीवाल को विपक्ष की तरफ से जो समर्थन मिला है क्या यह नये मिजाज के किसी गठबंधन का कोई बड़ा संकेत है, जिसमें राहुल गांधी बहुत फासले पर नजर आ रहे हैं?
क्योंकि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाते कम ही देखा गया है। ऐसा इसलिए भी होता होगा क्योंकि लेफ्ट दलों के केंद्रीय नेता ही राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा एक्टिव रहे हैं। कुछ दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की रैली में पी.विजयन भी पहुंचे थे और अरविंद केजरीवाल के साथ मंच भी शेयर किया था। अब विजयन भी विपक्षी दलों के उन 10 नेताओं की सूची में शामिल हो गये हैं, जिनकी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर जांच एजेंसियों के कामकाज पर सवाल उठाये गये हैं। विजयन से पहले विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से लिखे गये पत्र में केंद्रीय एजेंसियों की खराब होती छवि पर भी गहरी चिंता जतायी गयी थी।
केरल के मुख्यमंत्री विजयन का आरोप है कि सिसोदिया को राजनीतिक कारणों से टारगेट किया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल सहित विपक्षी नेताओं के पत्र में भी ऐसी ही बातें हैं, और यह भी लिखा है कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ हुई कार्रवाई से ऐसा लगता है जैसे हम लोकतंत्र से निरंकुशता के दौर में चले गये हैं। मोदी को भेजे गये पत्र में अरविंद केजरीवाल के अलावा जिन नेताओं ने दस्तखत किये हैं, वे हैं ममता बनर्जी, केसीआर, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, फारूक अब्दुल्ला, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव। ऐसे ही सोनिया गांधी से पूछताछ के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से समर्थन जताया गया था। तब नेताओं ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी तो नहीं लिखी थी, लेकिन एक साझा बयान जरूर जारी किया गया था। जिन दो नेताओं ने साझा बयान से दूरी बना ली थी, वे थे अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी, लेकिन एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने साझा बयान पर हस्ताक्षर जरूर किये थे।
अरविंद केजरीवाल के मामले में भी नीतीश कुमार दूरी बनाते हुए नजर आ रहे हैं। सोनिया के लिए साझा बयान जारी किये जाने के वक्त तो नीतीश कुमार एनडीए में ही रहे, लेकिन महीने भर बाद ही वे पाला बदल कर
महागठबंधन के नेता बन गये। अरविंद केजरीवाल के मामले में एक और खास बात है कि कांग्रेस ने भी बदला पूरा कर लिया है।
विपक्ष की उम्मीद बन रहे हैं केजरीवाल?
मनीष सिसोदिया के मामले में कांग्रेस शुरू से ही हमलावर रही है और विपक्षी नेताओं की चिट्ठी के बाद तो अपना स्टैंड भी साफ कर दिया है। मतलब कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी खेमे से अरविंद केजरीवाल को अब भी बाहर रखने की एक बड़ी वजह ईडी के मामले में सोनिया गांधी को सपोर्ट न करना भी है। ऐसे में जबकि सीबीआई के बाद अब ईडी ने भी मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है, सीबीआई ने पहले पटना जाकर राबड़ी देवी और दिल्ली में लालू यादव से पूछताछ की तो केसीआर की बेटी के ़कविता से भी पूछताछ जारी है।
इस बीच यह भी देखने में आया है कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई एक्शन को तो अजय माकन जैसे कांग्रेस नेता सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वही सीबीआई जब लालू-राबड़ी के दरवाजे पर दस्तक देती है तो कांग्रेस फॉर्म में लौट आई है। बहरहाल अब कांग्रेस ने यह भी साफ कर दिया है कि ऐसा वह क्यों करती है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं, ‘हम बिल्कुल कन्फ्यूज नहीं हैं। हमारा रुख साफ है। हम राबड़ी देवी के खिलाफ हुई कार्रवाई की निंदा करते हैं, क्योंकि यह कोई संयोग नहीं है कि 2014 के बाद ईडी के मामले चार गुना हो गये और 95 फीसदी मामले विपक्ष के खिलाफ हैं। वहीं अरविंद केजरीवाल के प्रति भी कांग्रेस प्रवक्ता अपना स्टैंड साफ कर देती हैं, ‘जब एजेंसियां विपक्ष के पीछे जाती हैं। फिर चाहे हमारे नेता हों या बिहार या महाराष्ट्र के नेताओं के खिलाफ मामला हो, आम आदमी पार्टी एक शब्द नहीं कहती। वे क्यों नहीं बोलते?’
सोनिया गांधी के मामले में अरविंद केजरीवाल के साथ न देने का मुद्दा उठाते हुए सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं, ‘जब ईडी हमारे नेताओं के खिलाफ साजिश कर रही थी तो पूरा विपक्ष हमारे साथ था, तो क्या यह पूछा गया कि आम आदमी पार्टी कहां थी?’
एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ एकजुट विपक्ष बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक बुलाई जिसमें 16 दलों के नेता शामिल हुए। बैठक में फैसला हुआ कि केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) और सीबीआई की कार्रवाई के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरेगा। लेकिन इस सत्र से पहले राज्यसभा में राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान को लेकर सत्तापक्ष की ओर से जमकर हंगामा हुआ। सदन के नेता पीयूष गोयल ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर पलटवार किया। बैठक में आप, जदयू, डीएमके समेत करीब 16 दलों के नेता शामिल हुए।
विपक्ष की बैठक में सत्र के दौरान केंद्र सरकार को घेरने की रणनीति तय की गई। बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने संकेत दिए कि वे विपक्षी नेताओं पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे। इस बैठक में कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी समेत तमाम नेता शामिल हुए। साथ ही अन्य दलों से डीएमके, जदयू, आप, सीपीएम, आरएलडी, एनसीपी, एनसी, सीपीआई, आईयूएमएल, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना, एमडीएमके, आरएसपी, आरजेडी और जेएमएम शामिल हुईं। इस बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, राहुल गांधी ने लोकतंत्र के तहत जो कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कहा था, इसे इन्होंने राज्यसभा में उठाया है। यह नियम के खिलाफ है। राज्यसभा के सभापति जो हमेशा नियमों की बात करते हैं। उन्होंने इसकी अनुमति कैसे दी। एक व्यक्ति जो दूसरे सदन में हैं वे इस मुद्दे पर सवाल कर रहे हैं। हम एक-एक मुद्दा उठाएंगे, चाहे वह बेरोजगारी हो, महंगाई हो या ईडी और सीबीआई द्वारा विपक्षी नेताओं पर छापेमारी हो।
हाल ही में सीबीआई और ईडी ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया है वहीं लैंड फॉर जॉब घोटाले में सीबीआई ने लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के यहां छापेमारी की थी। इस पर भी विपक्षी दल एकजुट हैं।
बजट सत्र 6 अप्रैल तक चलेगा
31 जनवरी 2023 को संसद के बजट सत्र की शुरुआत हुई थी। यह सत्र का दूसरा चरण है जो 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। इस सत्र में राज्यसभा में लंबित 26 और लोकसभा में लंबित 9 विधेयक पास हो सकते हैं। इसके अलावा सरकार का प्राथमिक प्रयास वित्त विधेयक को पास कराने का रहेगा। इस सत्र में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।