जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद वहां कई महीनों तक इंटरनेट पर बैन लगाया गया था। जिसको लेकर पाकिस्तान भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कोसता रहता है। हालांकि अब वहां पर लोग इंटरनेट सेवाओं का आंनद ले रहे हैं। इस साल के शीतकालीन सत्र के दौरान देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को लेकर काफी बयानबाजी की थी, और जम्मू-कश्मीर में शांति पर चर्चा की थी। जम्मू-कश्मीर में इस समय विदेशी राजनयिकों का दौरा चल रहा है। जहां एक तरफ केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि जम्मू-कश्मीर में आंतकियों का दबदबा कम हो गया है तो वहीं आतंकियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए केंद्र सरकार के दावे को नाकाम कर दिया है। एक तरफ केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में विदेशी राजनयिकों को यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि घाटी में अब शांति कायम है तो वहीं दूसरी तरफ आंतकियों ने श्रीनगर में प्रसिद्ध कृष्णा ढाबे के मालिक के बेटे को गोली मारकर जख्मी कर दिया है।
घटना को अंजाम देने के बाद आंतकी फरार हो गए। हमले की जिम्मेदारी दो आतंकी संगठनों मुस्लिम जांबाज फोर्स और टीआरएफ ने अलग-अलग बयान जारी कर ली है।आंतकियों ने अपने संदेश में यह साफ कहा है कि जो भी कश्मीर में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश करेगा या भारत के एजेंड़ों का साथ देगा उसका यही हाल होगा। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यह हमला कोई आम हमला नहीं, बल्कि यह संकेत है अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का, और व्यापारी और निवेशक वर्ग को खुली धमकी है।
आंतकियों का यह सदेंश है गृहमंत्री की संसद में रखी गई बात से स्थिति उलट दिखाने की। आंतकियों ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही गुपकार, डल और जम्मू रोड़ के संगम पर स्थित ढाबे पर हमला किया। यह ढाबा केवल श्रीनगर का ही नहीं, अपितु कश्मीर का भी प्रसिद्ध ढाबा है। जम्मू-कश्मीर घूमने वाले सैलानी अक्सर यहां आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। कहा जाता है कि कोई पर्यटक आए और कृष्णा ढाबे पर खाना न खाए, यह बहुत कम होता है।
कृष्णा ढाबा मुख्य न्यायाधीश के बंगले से 200 मीटर दूरी पर है तो वहीं साथ ही इसके यूएन मिलिट्री कार्यालय भी है। आंतकियों ने इस ढाबे पर हमला करके यह बता दिया है कि उनकी पहुंच से कोई दूर नहीं है। कृष्णा ढाबा जम्मू-कश्मीर में बड़े-बड़े होस्टों को कमाई के मामले में पीछे धकेलता है। इसलिए इस हमले को लोग व्यापारिक दृष्टि से भी जोड़ रहे है। यहां एक तरफ सरकार दावे कर रही है कि जम्मू-कश्मीर में आंतकियों का कोई नामो-निशान नहीं, दूसरी तरफ आंतकियों ने यह हमला करके सरकार के मुंह पर करारा तमाचा मारा है।
इस हमले का एक एंगल यह भी देखा जा रहा है कि आंतकियों के पास पैसों को लेकर भी काफी दिक्कत चल रही होगी, इसलिए यह हमला करके वह कश्मीर के व्यापारिक लोगों के लिए भी संकेत हो सकता है। मुस्लिम जांबाज फोर्स, लश्कर-ए-मुस्तफा घाटी के नए आंतकी संगठनों का नाम है। माना जा रहा है कि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे खुंखार आंतकियों संगठनों की छत्रछाया से चल रहे है। भारतीय सेना ने 2019 में 152 और 2020 में 203 आंतकियों को मौत के घाट उतारा है।