किसी ख़रीददार को शिकायत है कि बना हुआ फ्लैट, वादे किए गए नक्शे के मुताबिक नहीं है, किसी को शिकायत है कि फ्लैट की फिनिशिंग ठीक नहीं है को कई को इस बात की शिकायत है कि जितना वादा किया था उससे छोटा फ़्लैट मिला.
ऐसी तमाम शिकायतों के बीच सबसे बड़ी शिकायत ये है कि फ्लैट का पूरा पैसा चुकाने के बाद भी लोगों को कई महीनों से बिल्डरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें फ्लैट का स्वामित्व नहीं मिला है। इस सबके मद्देनजर ही कल सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा , ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में घर खरीददारों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर पर कानून का डंडा चलाते हुए वह फ्लैट खरीदने वाले 10 हजार लोगो की तुरंत रजिस्ट्री कराकर उन्हें घर उपलब्ध कराने के सख्त आदेश दिए है ।
बिल्डरों की मनमानी पर अब ब्रेक लगने की उम्मीद है। साथ ही नोएडा ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के लाखो लोगो को आशियाना मिलने की आस जगी है। याद रहे कि अकेले आम्रपाली में ही 42 हजार फ्लैट लोगो ने बुक करा रखे है। फिलहाल कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारिओ को चेताया कि देरी करने पर उन्हें भी बिल्डरों की तरह जेल जाना पड़ेगा।
ये हाल केवल नोएडा या ग्रेटर नोयडा और नोयडा एक्सेटेंशन का ही नही हैं। बल्कि नोएडा और गाजियाबाद के दूसरे हिस्सों में बनने वाले प्रोजेक्टों का भी यही हाल है। नोएडा एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे पर कई विकसित हो रहे प्रोजेक्ट पर काम काफी देरी से चल रहा है। इन सबके लिए सुप्रीम कोर्ट के आम्रपाली को दिए गए आदेशो को एक चेतावनी के तौर पर समझा जा रहा है
आम्रपाली के अलावा नोएडा में ही बन रहे जेपी विश टाउन समेत दर्जनों बिल्डरों के प्रोजेक्ट सालों से अटके हुए है। इन टाउनशिप में एक फ्लैट बुक कराने वाली सुप्रिया नेगी बताती हैं कि 2011 में बुकिंग कराने और 2013 तक 95 फ़ीसदी पैसा देने के बाद भी वो आज तक फ्लैट का इंतजार कर रही हैं।
वहीं बिल्डरों की शिकायत है कि किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने और नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में कथित भ्रष्टाचार की वजह से उन्हें भी ख़ासी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.