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Country Uttarakhand

उत्तराखंड के इस गांव में अब सूर्य अस्त होगा पर पहाड़ मस्त नहीं 

‘सूर्य अस्त – पहाड़ मस्त,’ उत्तराखंड में यह व्यगात्मक टिप्पणी अक्सर सुनी जाती है। बताते है कि पहाड़ो में शाम होते ही लोग जब शराब की चुस्कियों में डूब जाते थे तब से यह व्यंगात्मक बातें कही जाने लगी। 80 के दशक में पहाड़ में शराब का प्रचलन बहुत बढ़ गया था।  जिसके फलसवरूप शराब विरोधी आंदोलन ” नशा नहीं आंदोलन दो ” शुरू हुआ। जिसमे पीसी तिवारी सहित पहाड़ के कई नेताओ ने जनांदोलन करके शराब पर काफी हद तक नियंत्रण किया था।  लेकिन इसके बाद फिर से शराब का प्रचलन पहाड़ में बढ़ता ही जा रहा है।

हालात यह है कि अब तो शराब के बिना कोई कार्यक्रम होता ही नहीं। चाहे वह शादी हो विवाह हो या मेला।  यहां तक कि पूजा में भी शराब का वितरण होने लगा है। शायद यही वजह है कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने यह बयान दे डाला था कि बिना शराब के तो पंडित भी मंत्र नहीं पढता है।

हालाँकि भट्ट के इस बयान पर प्रदेश में खूब बवाल मचा था। फिलहाल बागेश्वर के गांव रातिरकेटी के ग्रामीणों ने इस मामले में नए साल पर एक जनवरी के दिन नई मिसाल कायम कर दी है। उन्होंने न केवल पुरे गांव में शराबबंदी लागु कर दी है बल्कि शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट तक दर्ज कराने का नियम बना दिया गया है।

ग्राम प्रधान की इस पहल का गांव के लोग पालन कर रहे है। ग्रामीणों ने गांव में शराबबंदी के लिए कड़े नियम बना दिए हैं।इसके तहत शराब बेचने और पीने वालों की तत्काल सूचना नजदीकी थानों में दी जाती है। रातिरकेटी में शराब बेचने और पीने पर कड़ी कार्रवाई होगी। गांव के लोग अब शराब पीने वाले और बेचने वाले व्यक्ति को खुद पुलिस के हवाले कर रहे है। यही नहीं बल्कि अगर कोई तब भी नहीं मान रहा है तो उसका सामाजिक बहिष्कार तक किया जाता है।

इस मामले में रातिरकेटी ग्राम पंचायत के लोग एकजुट हो गए हैं। उनकी एकजुटता का ही परिणाम है कि यह गांव पूर्णत शराबबंदी पर खरा उतर रहा है। इस शराबबंदी का श्रेय पूरी तरह रातिरकेठी के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह को जाता है।  जिन्होने गांव को नशामुक्त करने के लिए जबरदस्त अभियान छेड़ा हुआ है।  ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह ने शराबबंदी के लिए सबसे पहले ग्रामीणों के साथ बैठक की।

बैठक में 80 परिवारों के सदस्यों ने भाग लिया। जिसमे कहा गया कि शराब से गांव का माहौल खराब हो रहा है। शराब पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है। इस दौरान गांव में शराबबंदी के लिए प्रस्ताव पारित किए गए, जिनका सभी लोगों ने सर्वसम्मति से पालन करने का संकल्प लिया।

 बाद तय हुआ कि अब गांव में शराब बेचने, पीने, सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीकर हुड़दंग मचाने, घरेलू हिंसा करने और शादी-विवाह, मेले, पूजा में शराब का वितरण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके सुखद परिणाम सामने आने लगे है। गांव में अब कोई व्यक्ति शराब पीता हुआ नहीं दीखता है।

रातिरकेटी के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह बताते है कि गांवों में अधिकतर लोग नशे का सेवन करने लगे थे।  जिस पर लगाम लगाना बेहद जरुरी हो गया था। वह कहते है कि शराब बर्बादी की जड़ है। इससे नई पीढ़ी का भविष्य खराब हो रहा था । इसका प्रचलन रोकने के लिए गांव के सभी लोग एकजुट होकर आगे आए है। प्रधान की इस मुहिम की गांव  रातिरकेटी में ही नहीं बल्कि आसपास के कई गावो में सराहना हो रही है।

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