साल 2019 में जनता ने एक ऐसी इबारत लिखी जो देश की राजनीति के लिए सबक है कि वह किसी को अर्श पर पहुंचा सकती है तो फर्श पर पटकने में भी देर नहीं लगाएगी। ‘अति’ और ‘अहंकार’ में लिखा गया कोई भी फैसला बर्दाश्त नहीं करेगी। जनता के इसी संकल्प से अंधेरा छंटेगा और नई सुबह होगी
भारत के लिए 2019 का साल कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। राजनीति में पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद जनता ने किसी गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतना प्रचंड बहुमत दिया कि जिसने भारतीय राजनीति में एक नई इबारत लिखी। लेकिन साल के अंत तक यह संदेश भी दिया कि वादों और नारों से हटकर वास्तविक धरातल पर भी काम दिखना चाहिए। सदन में समर्थन और विरोधों के बीच नए-नए कानून पारित या संशोधित हुए तो न्यायालयों ने भी अहम फैसले दिए। सरकार ने स्टार्टअप के जरिये रोजगार की नई उम्मीदें जगाने की कोशिश तो की, लेकिन निजी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने से निराशा के भाव भी पैदा हुए। मंदी और महंगाई ने घरों की चिंताएं बढ़ाई, तो समाज में बढ़ते अपराधों खासकर बलात्कार के जघन्य मामलों ने लोगों के कलेजे अंदर तक हिला दिए।
साल के शुरुआत में देश की राजनीति आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर गरमा गई। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 43 सैनिकों की शहादत से विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हुआ। इसके बाद सेना ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की तो इससे भाजपा को विपक्ष को जवाब देने का मौका मिला कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने देशभर में यही कहा कि मोदी सरकार कड़े फैसले लेने में सक्षम है। अप्रैल में लोकसभा चुनाव हुए और मई में रिजल्ट आने पर विपक्ष को भारी निराशा हाथ लगी। इस चुनाव में विपक्ष न तो महागठबंधन के अपने प्रयोग को अंजाम दे पाया और न ही अपने परंपरागत गढ़ ही बचा पाने में सफल हो सका। अमेठी में राहुल गांधी की हार के रूप में कांग्रेस का परंपरागत किला ढह गया। दो बार सपा सांसद रह चुकीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी चुनाव हार गईं। विपक्ष के बिखराव का ही कारण रहा कि यूपी में चिर प्रतिद्वंद्वी सपा और बसपा का गठबंधन भी नाकामयाब साबित हुआ। दक्षिणी राज्यों और बंगाल तक भाजपा अपनी लहर चलाने में सफल रही। लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे जिन तीन राज्यों में कांग्रेस को सफलता मिली थी, वहां भी कांग्रेस लोकसभा चुनाव में पिछड़ गई। सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस में राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठे तो उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और नये नेतृत्व के तौर पर ले-देकर फिर सोनिया गांधी के हाथ में ही कमान सौंपनी पड़ी। विपक्ष को मिली इस घोर निराशा के बादल साल के अंतिम महीनों में कुछ छंटने भी लगे। हरियाणा विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा। महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की रणनीति शिव सेना के साथ सरकार बनाकर भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में सफल रही तो झारखण्ड में जेएएमएम -कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी। यानी साल के शुरुआती महीनों में भाजपा विपक्ष पर जितनी हावी रही साल के जाते- जाते उतनी ही निष्प्रभावी होती गई। राजनीतिक मूल्यों और मर्यादाओं के क्षरण की दृष्टि से 2019 का साल याद रखा जाएगा। लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ नेताओं ने आरोप- प्रत्यारोपों की सीमाएं लांघकर अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया। साथ ही दंभ भी रखा कि अपनी बात से पीछे नहीं हटेंगे। चुनाव प्रचार में सीमाएं लांघने पर चुनाव आयोग ने कुछ बड़े नेताओं के प्रचार करने पर भी रोक लगाई।
प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले किए। इनमें अनुच्छेद 370, तीन तलाक, और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा रही। सरकार ही नहीं, बल्कि सर्वोच्च न्यायलय ने भी इस साल अयोध्या के दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में ऐतिहसिक फैसला दिया।
देश की युवा शक्ति में इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। उन्हें उम्मीदें जगी थी कि अपनी नई पारी में प्रधानमंत्री मोदी ऐसे सटीक रास्ते तलाशेंगे जिससे उनका भविष्य उज्जवल होगा। युवा शक्ति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस साल 1300 स्टार्टअप शुरू भी किये। विदेशों के दौरे कर प्रधानमंत्री ने विदेशी निवेश के लिए भी उत्साहजनक माहौल बनाने की कोशिश अवश्य की, लेकिन निजी क्षेत्रों में रोजगार सृजन की उम्मीदें घटने के साथ ही बहुत बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां भी जाती रही। महंगाई और मंदी के एक साथ चलने के कारण सरकार से आशाएं लगाए बैठे देश के लोगों को निराशाओं से भी जूझना पड़ा।
हालांकि पिछले कई वर्षों से देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है, लेकिन इस साल भी सरकार खराब अर्थव्यवस्था को लेकर आलोचनाओं के निशाने पर रही। जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन, खपत, महंगाई सभी के आंकड़े परेशान करने वाले रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक जीडीपी अर्थव्यवस्था को मापने का पैमाना होती है, लेकिन इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 की सितंबर में खत्म दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट महज 45 फीसदी रही है। बढ़ती महंगाई का आलम यह है कि प्याज जैसी खाने- पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। औद्योगिक उत्पादन में भी भारी गिरावट देखी गई।
कानून व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से यह साल बेहद डरावना साबित हुआ है। हैदराबाद, उन्नाव और देश में अन्य जगहों पर बलात्कार और हत्याआें के जो जघन्य मामले सामने आए, उन्होंने समाज में डरावना माहौल पैदा किया। हैदराबाद पुलिस द्वारा बलात्कार के आरोपी चार लोगों को जिस तरह कथित एन्काउंटर में मार गिराया गया, उसे लेकर देशभर में चर्चा रही। सवाल उठे कि सजा देना अदालतों का काम है न कि पुलिस का। इस कथित एन्काउंटर का जनता के एक बड़े वर्ग ने जिस तरह समर्थन किया उसका साफ संदेश गया कि देश में न्याय व्यवस्था को चुस्त करने की जरूरत है। वर्षों तक न्यायालयों में मामलों को नहीं लटकाया जाना चाहिए।
प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाएं भी इस साल डराती रहीं। दिल्ली में आग लगने की भीषण घटनाएं हुई। दक्षिणी राज्यों और उत्तर प्रदेश व बिहार में बाढ़ से करोड़ों का नुकसान हुआ। केरल में 106 लोग बारिश और बाढ़ के कारण बेमौत मारे गए। आंध्र में गोदावरी नदी में नाव पलटने से 51 लोग मारे गए। राजस्थान के धौलपुर में मूर्ति विसर्जन के दौरान 10 लोग डूब गए। उत्तराखण्ड और हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्यों से सड़क हादसों की बुरी खबरें आई तो भूकंप और चक्रवाती तूफान अपना ज्यादा प्रकोप तो नहीं दिखा पाए, लेकिन लोगों को डराते रहे।
साल के घटनाक्रम
अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाना
6 अगस्त 2019-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने का प्रस्ताव मंजूर किया।
9 अगस्त 2019 जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को मंजूरी, इससे 31 अक्टूबर 2019 से दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू- कश्मीर, लद्दाख) में बंट गया।
‘तीन तलाक’ कानूनन जुर्म हुआ
26 जुलाई 2019-संसद ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ पारित किया। एक अगस्त से कानूनन जुर्म बन गई तीन तलाक प्रथा।
दस सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा
30 अगस्त 2019-मोदी सरकार ने दस सरकारी बैंकों के विलय से चार बड़े बैंक बनाने का ऐलान किया। 2017 में 27 सरकारी बैंक थे, अब यह संख्या घटकर 12 रह गई। 2017 में मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच अनुषांगी बैंकों और महिला बैंक का विलय किया था
नया मोटर वाहन अधिनियम लागू
5 अगस्त 2019-संसद के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नए मोटर वाहन अधिनियम पर दस्तखत किए।
यूएपीए एक्ट में संशोधन
24 जुलाई 2019-लोकसभा और दो अगस्त को राज्यसभा में पारित हुआ यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक- 2019। 8 अगस्त 2019-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लगाई मुहर।
हाफिज सईद और दाऊद आतंकी घोषित
चार सितंबर 2019 को नए यूएपीए कानून के तहत मोदी सरकार ने की कार्रवाई। मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम के अलावा हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर और जकीउर रहमान लखवी को आतंकी घोषित किया गया।