एक ऐसी बारात जो धूमधाम से दूल्हे को लेकर दुल्हन के पास पहुंची। शादी की रस्मे भी पूरे रीति रिवाजों के साथ हुई और फिर मना जश्न। अब बारी थी दुल्हन की विदाई की, लेकिन बारात में शामिल 12 लोग चाहकर भी दुल्हन को लेकर वापिस नहीं आ सके। पूरी बारात को एक या दो दिन नहीं, बल्कि पूरे 35 दिन तक दुल्हन के ही गाँव मे बितानी पड़ी।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बारात को 22 मार्च को वापिस लौटना था, लेकिन इसके ठीक एक दिन पहले कोरोना वायरस के कारण पहले पूरे देश मे जनता कर्फ्यू लगा और इसके अगले दिन से पूरे देश मे लॉकडाउन हो गया।
सरकार और जिला प्रशासन ने अब सुध ली तो बारात को वापिस झारखंड भेजने का इंतजाम हुआ, लेकिन 35 दिनों से रुकी बारात जब वापिस हुई तो विधीपुर गांव के लोग भावुक हो गए। क्योंकि सभी गांववासियों ने बारातियों की खुब आवभगत की। मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास विधिपुर गाँव का है।
जानकारी के अनुसार, गांव विधीपुर निवासी नरपत सिंह की बेटी सावित्री की शादी 22 मार्च को झारखंड के धनबाद की तहसील तोपचांची के गांव वैली निवासी रामनाथ के बेटे विजय कुमार से हुई थी। लड़का और लड़की पहले पतंजलि स्टोर में साथ काम करते थे। वहीं इनमें दोस्ती हो गई थी। दोनों के परिवार ने रजामंदी देकर इस दोस्ती को रिश्ते में बदल दिया।
21 मार्च की रात को बरात आई। 23 मार्च को बरात लौटनी थी, लेकिन 22 मार्च को जनता कर्फ्यू फिर लॉकडाउन की घोषणा ने सारी योजना पर पानी फेर दिया। दुल्हन की विदाई नहीं हो सकी। बरात में शामिल सभी 12 लोग नरपत सिंह के यहां ही 35 दिन से रुके हुए थे। इनके खाने की व्यवस्था शुरू के एक सप्ताह तो नरपत सिंह ने पड़ोसियों के सहयोग से की, लेकिन फिर पूरे गांव ने बारातियों की खूब आवभगत किया।
बता दें कि 30 मार्च को अधिकारी नरपत के घर पहुंचे और बताया कि लॉकडाउन खत्म होने पर ही जाना संभव हो सकेगा। इसके बाद प्रशासन ने भोजन की व्यवस्था कर दी, लेकिन 14 अप्रैल को लॉकडाउन का समय बढ़ाने की घोषणा होने पर बरातियों के साथ घरातियों की भी चिंता बढ़ गई। तीन दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे और एटा सीट से भाजपा सांसद राजवीर सिंह से संपर्क किया गया।
इसके बाद जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने बरात को विदा करने की इजाजत दे दी। लड़की पक्ष ने 45 हजार रुपये में मिनी बस तय की, जिसके शीशे पर प्रशासन की ओर से जारी पास लगाया गया है। दोपहर दुल्हन को विदाई की रस्म की गईं। इसके बाद गांव के लोगों ने बरातियों को विदा किया।
दूल्हे के पिता रामनाथ का कहना था कि लॉकडाउन कष्टदायक भले रहा, लेकिन परिवार से परिवार जुडऩे का मौका खूब मिला। शुरू में परेशानी लगी पर बाद में गांव अपना सा महसूस होने लगा। लड़की के ताऊ दिगंबर सिंह इस मौके को बेटी के ससुरालीजनों की सेवा का बड़ा अवसर मान रहे हैं।