ट्रांसजेंडर यानी वो जिसका जन्म के समय जो लिंग निर्धारित किया जाए बड़े होकर उससे विपरीत लिंग का हो। हिन्दी में शब्दार्थ करें तो ‘परलैंगिंक’।
परलैंगिंक बोलने में उतना प्रचलित नहीं। हाँ, आज के समय में ट्रांसजेंडर लगभग हर कोई जानता है। अगर न भी जाने तो छक्का, हिंजड़ा कहने पर तुरंत परिभाषित करने लगेंगे। ख़ैर 21वीं सदी में भी हम उनके साथ हो रहे दुर्व्यवहार और भेद भाव को रोक नहीं सके हैं। सामान्य जीवन जीने की उनकी लड़ाई अभी बहुत लंबी है।
ऐसे में यह सुनना कि,’भारत की पहली ट्रांसजेंडर फोटोग्राफर’ जोया लोबो हैं, यह पढ़ने में कितना अच्छा लगता है। है न! एकदम से आपका ध्यान खींचने वाली लाइन है। ऐसी ही हेडलाइन के साथ कई खबरें इस ट्रांसजेंडर फोटोग्राफर zoya lobo पर लिखी जा चुकी हैं।
भारत की पहली महिला ट्रांसजेंडर फोटोग्राफर (India’s First Transwoman Photojournalist) का नाम जोया लोबो (Zoya Lobo) है। जोया (zoya) फिलहाल सपनों की नगरी मुंबई,महाराष्ट्र में रहती हैं।
इंसान को समय पर खाना-पीना और मुंबई (mumbai) जैसे शहर में गुजारा करने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। ऐसे में zoya का पेट सिर्फ़ लोगों के हौसला अफजाई से नही भर सकता न। पर एक ट्रांसजेंडर कहां से पैसे लेकर आएगी, यह समाज के विभिन्न संस्थानों को सोचने की ज़रूरत है। हालाँकि कुछ ज़हीन लोगों ने सोचना शुरू कर दिया है। कई संस्थान ऐसे खुल गए हैं जहाँ ट्रांसजेंडर्स आसानी से काम करके पैसा कमा सकते हैं।
जोया का सफ़र इतना आसान नहीं है
जोया(Zoya) भी आम ट्रांसजेंडर्स की तरह मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीख मांगती थीं। उन्होंने कई बार लोगों से यह पूछते हुए सुना, “अरे भीख क्या मांगती हो? तुम सब कमाते क्यों नहीं हो? हमको देखो, हम लोग कमा रहे हैं, तब जाकर हमारा गुजारा होता है।”
यह बात जोया(zoya) को झकझोर कर उसे काम शुरू करने के लिए प्रेरित करती रहती है। तभी जोया ने एक शॉर्ट फिल्म देखी, जो किन्नरों पर बनी थी। मगर उसमें किरदार किन्नर नहीं बल्कि आमजन लोग किन्नर का किरदार निभा रहे थे। जिन्होंने ट्रांसजेंडर बनने की नौटंकी की थी, यानी रोल प्ले किया था।
जोया(zoya) उस मूवी के डायरेक्टर को फोन कर बात किया। “सर आपकी फिल्म अच्छी है लेकिन आपने उसमें किसी किन्नर को क्यों नहीं लिया। आपको किसी न किसी ट्रांसजेंडर (transgender) को मौका देना चाहिए। इसके बाद निर्देशक ने उस मूवी की अगली कड़ी के लिए जोया(zoya) को चुन लिया।”
जोया को पता था यही मौका है अपने लिए अपने लोगों के लिए कुछ कर दिखाने का, zoya ने कमाल की एक्टिंग की और उसे अपने रोल के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला। यह बात वर्ष 2018 की है। इसके बाद जोया ट्रेन की भीख मांगने वाली जिंदगी से अपना रुख अलग करने लगी। अब उसकी रुचि दूसरी ओर जागने लगी थी।पर बिना पैसे के भला कैसे गुजारा हो सकता था।
जोया ने कुछ यूँ शुरू किया फोटोग्राफी करना
इस तरह जोया ने पहले मोबाइल (mobile) से फोटोग्राफी करना शुरू किया। उसकी फोटो को कुछ लोगों ने देखा और उनको पसंद आईं ,उन्होंने zoya को शुभकामनाएं दीं। जोया ने तब अपनी फोटोग्राफी को बेहतर करने के लिए भीख के पैसों से DSLR camera खरीदा। क्योंकि उसने सुना था, कि उससे फोटो(photo) अच्छी आती है।
सच मे जब जोया ने उन कैमरों से फोटो खींची तो देखने वाले हैरान रह गए। जोया की फोटोग्राफी(photography) पर एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर की नजर पड़ी। उन्होंने जोया(zoya) को फोटोग्राफी की कुछ बारीकियों को सिखाया। इस तरह जोया ने फ्रीलांस फोटोग्राफर का काम करना शुरू किया।
कोरोना काल में ली गयी फोटो ने ख़ूब चर्चा बटोरी
लॉकडाउन के दौरान जोया(zoya) ने कमाल के फोटो खींचे। जिसे पसंद किया गया और कई जगहों पर उनके फोटो प्रकाशित किए। मगर उससे जोया क्या फायदा हुआ?
जोया (zoya)ने सोचा था कि शायद यहां से उसकी किस्मत बदल जाएगी। इसी इंतजार में जोया अब तक बैठी है। क्योंकि वह अभी तक इतना पैसे नहीं कमा पाती है कि कमरे(camera का किराया दे सके और मुंबई में गुजारा कर सके।पर सब सोचा हुआ कहाँ हो पाता है।
“मैं अभी भी पूरी तरह से भीख मांगना नहीं छोड़ पाई हूं। मेरे अंदर योग्यता होने के बावजूद भी मुझे कोई मौका नहीं दे रहा है। सच में दिखावटी दुनिया यह कब समझेगी कि केवल उपदेश या वाहवाही करने से पेट नहीं भरता।”
– ज़ोया लोबो
जोया कहती है, “आप मेरी बात का बुरा मत मानें लेकिन अब मुझे काम चाहिए। मेरे अंदर टैलेंट है। मुझे उसकी वजह से लोग पहचान रहे हैं। लेकिन कोई कंपनी मुझे काम का मौका नहीं दे रही है। कोई मुझे नौकरी देगा तभी तो मैं भीख मांगना छोड़ पाऊंगी। मैं फिर से ट्रेन, दुकानों में भीख नहीं मांगना नहीं चाहती। ”
मगर जोया कहती हैं, “मैं अभी भी पूरी तरह से भीख मांगना नहीं छोड़ पाई हूं। मेरे अंदर काबिलियत होने के बावजूद भी मुझे कोई मौका नहीं दे रहा है।” सच में दिखावटी दुनिया यह कब समझेगी कि केवल उपदेश या वाहवाही करने से पेट नहीं भरता।