भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कल 6 जुलाई देर शाम निधन हो गया। भारत की विदेश मंत्री के तौर पर दुनिया के बड़े नेताओं के साथ काम करने वाली सुषमा स्वराज के निधन पर दुनिया भर के नेता शोक व्यक्त कर रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। जैसे-जैसे यह दुखद ख़बर नेताओं तक पहुँच रही है वे संवेदना व्यक्त कर रहे हैं।
नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सुषमा स्वराज के निधन पर लिखा कि “दुख की इस घड़ी में वह भारत के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।” फ्रांस के राजदूत एलेक्ज़ेंडर जीग्लर ने सुषमा स्वराज के निधन पर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “भारत और फ्रांस के रिश्तों को बेहतर करने में सुषमा का अहम योगदान रहा।” अफ़गानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कहा कि” वह कद्दावर नेता और महान वक्ता थीं। करज़ई ने भारत और स्वराज के परिवार के प्रति सहानुभूति जताई है। अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री एस रब्बानी ने कहा कि “वह भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अचानक निधन से दुखी हैं। “उन्होंने भारतीयों और भारत सरकार के साथ सहानुभूति प्रकट करते हुए स्वराज को विशिष्ट और दृढ़निश्चयी प्रतिनिधि बताया। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने भी स्वराज के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि “वह एक ‘अच्छे दोस्त’ के निधन से बहुत दुखी हैं।”
भारतीय राजनीति की बड़े चेहरों में से एक सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं हैं। ये बात सच है कि वो एक खास विचारधारा से जुड़ी थीं।लेकिन उनके चाहने वालों की कमी किसी एक पार्टी तक सीमित नहीं थी। वो सभी दलों में सर्वमान्य थीं। कहते हैं कि पद किसी शख्स की शख्सियत बयां करता है। लेकिन उनका कद किसी पद का मोहताज नहीं था। वो एक शक्तिशाली वक्ता थीं जो न केवल सार्वजनिक भाषणों में लोगों के दिल को जीत लेती थीं बल्कि उसका असर आम लोगों के दिमाग पर भी होता था। यही नहीं संसद में जब वो बोलने के लिए खड़ी होती थीं तो तर्कों के कठोर प्रहार के जरिए न केवल अपनी पार्टी या सरकार का पक्ष रखती थीं। बल्कि विरोधियों की जुबान बंद करा देती थीं।
सुषमा स्वराज के निधन पर केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों के कई राजनेताओं ने भी दुख जताया है। सड़क से लेकर संसद तक और चुनावी मंचों से लेकर यूनाइटेड नेशन तक उनके भाषणों ने करोड़ों लोगों का दिल जीता। सुषमा स्वराज जितनी राष्ट्रवाद की समर्थक रहीं उतना ही हिंदी के प्रति उनका प्रेम रहा। देशवासियों को एक सूत्र में पिरोने की बात हो या फिर पाकिस्तान जैसे आतंकवाद समर्थक देशों को बेनकाब करने की बात। हिंदी में दिए गए भाषणों के जरिए उन्होंने हर अवसर को साधा था ।यूं तो वह हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई और भाषाएं जानती थीं। यहां तक कि सोनिया गांधी के खिलाफ कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ने वाली सुषमा ने लोगों से जुड़ाव के लिए कन्नड़ भाषा सीख ली थी। एक रैली के दौरान सुषमा स्वराज ने कन्नड़ भाषा में जबरदस्त भाषण दिया था और सोनिया गांधी पर जमकर निशाना साधा था। उनके कन्नड़ में भाषण देने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी जमकर तारीफ की थी।हिंदी में उनकी भाषा शैली इतनी कमाल की थीए इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा में वह जब भी संबोधन करतीं तो पक्ष में या विपक्ष में हर कोई उनकी बातों को ध्यान से सुनता था।
सुषमा को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही विदेश मंत्री बनाया गया था। वह इंदिरा गाँधी के बाद विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालने वाली दूसरी महिला रही हैं। प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गाँधी ने कुछ समय के लिए विदेश मंत्रालय का पदभार संभाला था।विदेश मंत्री के अपने पूरे कार्यकाल के दौरान लोगों की मदद करने के लिए प्रसिद्ध रहीं सुषमा ने सोशल मीडिया के माध्यम से विदेश मंत्रालय तक आम लोगों की पहुँच को आसान बनाया।
ऐसी ही स्थिति में जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह ख़बर आई कि सुषमा दोबारा विदेश मंत्री नहीं बनेंगी तो करोड़ों लोगों को निराशा हुई। सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य की वजहों से पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। वह अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थीं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थीं। वह जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से भी जुड़ी थीं। सुषमा स्वराज को काफ़ी पहले से किडनी की समस्या थी। उन्होंने अप्रैल 2016 में किडनी का प्रत्यारोपण भी कराया था। इस बीमारी के बाद से ही उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियता कम कर दी थी। हालाँकि, इसके बावजूद वह मोदी सरकार में एक बेहद महत्वपूर्ण मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालती रहीं। कार्यकाल पूरा होने के बाद वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गई थीं।
निधन से तीन घंटे पहले सुषमा ने एक ट्वीट में
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी। इसमें उन्होंने लिखा कि ” जीवन में इसी दिन की प्रतीक्षा कर रही थी। “पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि सुषमा जी का निधन मेरे लिए निजी क्षति है।और उनके जाने से भारतीय राजनीति के एक अध्याय का अंत हो गया है। सुषमा स्वराज जी अपनी तरह की अलग महिला थीं जो करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत थीं।”
कांग्रेस के पार्टी के नेता राहुल गांधी ने भी सुषमा स्सुषमा स्वराज के निधन पर दुःख जताते हुए लिखा ” मै स्तब्ध हूं. वे असधारण नेता और प्रखर वक्ता रहीं जिनकी दूसरी पार्टियों में भी मित्रता थी। ”
भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा, “राष्ट्र ने एक असाधारण नेता खो दिया है। मेरे लिए, यह एक अपूर्णीय क्षति है और मुझे सुषमाजी की उपस्थिति बहुत याद आएगी। उनकी आत्मा को शांति मिले। स्वराज जी, बांसुरी और उनके परिवार के सभी सदस्यों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। ओम शांति।”
सुषमा का पार्थिव शरीर एम्स से उनके घर ले जाया गया। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि आज बुधवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक सुषमा के पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा।शाम चार बजे लोधी रोड में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।