एक तरफ कोरोना का कहर जारी है वहीं लॉकडाउन में भी मॉब लिंचिंग का मामला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा ही एक मामला झारखंड के हजारीबाग जिले से सामने आया है। यहां शनिवार को चोरी की अफवाह के बाद उग्र भीड़ ने 25 साल के जाबिर अंसारी उर्फ राजू की बेरहमी से पिटाई कर दी। पुलिस ने इस मामले में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पीड़ित जाबिर रामगढ़ जिले के पतरातू प्रखंड के जयनगर के रहने वाले हैं और वाल पुट्टी का काम करते हैं। द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना 18 अप्रैल की रात की है, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि जाबिर के मोहल्ले के एक व्यक्ति ने पिटाई का वीडियो बनाया था और उसे ट्विटर पर पोस्ट किया था।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि उग्र भीड़ जाहिर को पीट रही है। उनके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं है। वे जमीन पर अपने सिर पकड़े पड़े हैं और उन्हें भीड़ ने चारों तरफ से घेरा हुआ है। लोग जाबिर को लाठी और डंडे से पीट रहे हैं। जाबिर भीड़ से छोड़ देने की अपील कर रहे हैं। बचाव की गुहार लगा लगा रहे हैं। वहीं भीड़ में शामिल लोग जाबिर को जान से मार देने की धमकी दे रहे हैं।
ट्वीटर पर घटना का वीडियो 19 अप्रैल को आया था। वीडियो सामने आने के बाद रामगढ़ पुलिस ने 20 अप्रैल को जवाब दिया था, “हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि घटना कहां हुई और मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी क्योंकि हमें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है।”
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जाबिर के भाई साबिर अंसारी ने बताया, “भाभी गर्भवती थी इसलिए भैया उनको छोड़ने अपने ससुराल गए हुए थे। यह हादसा ससुराल से वापस लौटने के दौरान हुआ।” परिवारवालों ने बताया कि जाबिर अंसारी की शादी पांच महीने पहले गिद्दी थानाक्षेत्र के हैदरनगर के पछाड़ी गांव में हुई है।
जाबिर के भाई साबिर ने आगे बताया, “भैया रास्ते में पेशाब करने के लिए टेहराटांड़ में रुके थे। उसी बीच वहां कुछ लोग आ गए और उनसे नाम पूछा। भैया ने अपना नाम राजू बताया। इससे वह लोग भैया की पहचान नहीं कर पाएं। फिर उन्होंने असली नाम पूछा तब भैया ने अपना नाम जाबिर अंसारी बताया और इसके बाद वे लोग उन्हें मुसलमान बताकर मारने पीटने लगे।”
साबिर से जब उनसे पूछा गया कि वीडियो में भीड़ उनके भाई जाबिर को बच्चा चोर क्यों बता रही थी तो उन्होंने कहा, “कोई तो वजह चाहिए न मारने के लिए इसलिए वो सब कहा जा रहा है।” वहीं जाबिर के पिता अलीजान का कहना है, “थाने पहुंचने के बाद देखा कि हमारा लड़का बेंच पर बैठा था। हमें लगा पुलिस ने उसे तालाबंदी का उल्लंघन करने की वजह से पकड़ लिया है। इसलिए हम उल्टा पुलिस से माफी मांगते हुए उसे छोड़ने की गुहार लगाने लगे।”
अलीजान ने आगे कहा, “थाने में हमसे एक कागज पर अंगूठा लगाने को कहा गया। हम लोग अनपढ़ है। हमें नहीं पता था कि उस कागज में क्या लिखा था। कहा गया अंगूठा लगाने तो लगा दिया।” अलीजान ने बताया कि उसके बाद वे लोग गिद्दी थाने से जाबिर को लेकर घर आ गए। जाबिर के पिता से जिस कागज पर अंगूठा लगवाया गया था दरअसल, वह एक जिम्मानामा था।
जिम्मानामा में लिखा गया है, “मैं अलीजान अंसारी पतरातू थाना अंतर्गत जयनगर का रहने वाला हूं। 18 तारीख को जाबिर अंसारी बिना बोले घर से निकल गए थे। मुझे दिनांक 18-04-20 पता चला कि मेरा बेटा गिद्दी थाना में है। जिसको मैं 19 तारीख को हमारे संबंधी मुनव्वर अंसारी, गिद्दी पंचायत के मुखिया हीरालाल की उपस्थिति में हम अपने लड़के जाबिर अंसारी को सही सलामत अपने साथ घर ले जा रहा हूं और मैं अपने लड़के को ले जाकर रांची कांके में समुचित इलाज करूंगा।”
जाबिर के पिता अलीजान बताते हैं कि जब वे लोग घर पहुंचे तब मोहल्ले के एक व्यक्ति ने पढ़कर बताया कि उस जिम्मानामे में क्या लिखा है। उनका कहना है कि पुलिस ने जाबिर के मानसिक संतुलन को खराब बताया जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने आगे बताया, “घर पहुंचने के बाद जब जाबिर ने अपना शर्ट उतारा, तो उनके शरीर की चोटों को देखकर उसकी मां बेहोश हो गई। घर आने के बाद हमने जाबिर पर भीड़ के हमले का वीडियो देखा। वीडियो में पुलिस मेरे बेटे को बिना किसी कपड़ों के पकड़कर ले जा रही है। पुलिस को कम-से-कम एक तौलिया तो देना चाहिए था उसे! हम शर्मसार हैं।”
जाबिर के परिवारवालों ने बताया कि घटना के दो दिन बाद स्थानीय पतरातू थाने की टीम यानी 20 अप्रैल की रात को करीब दो बजे के आसपास जाबिर के घर पहुंची। उसके बाद जाबिर को ब्लॉक मोड़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। उनकी हालात को बिगड़ता देख वहां से उन्हें रांची के राजेन्द्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) रेफर कर दिया गया।
साबिर बताते हैं कि उनके भाई को सिर में काफी अधिक चोटें आई हैं। मगर डॉक्टर ने टेस्ट के तुरंत बाद बताया कि सब ठीक है आप इसे घर ले जाइए। साबिर ने बताया कि शायद चोट की वजह से उनके भाई उल्टी-सीधी हरकतें कर रहे हैं, ऐसे में हम उन्हें घर कैसे ले जाएं?
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर मॉब लिंचिंग की एक ऐसी ही घटना सामने आई थी। इस घटना में दो साधु और उनके एक ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले को सांप्रदायिक तूल देने के लिए सोशल मीडिया पर चलाया कि मुस्लिमों ने हिंदू साधुओं की हत्या कर दी। हालांकि, जांच रिपोर्ट में ये सामने आया है कि 101 आरोपियों की लिस्ट में कोई भी मुस्लमान नहीं हैं। दरअसल, घटना से पहले सोशल मीडिया पर ये अफवाह उड़ाया गया कि मुसलमान लोग साधु का रूप धारण कर लोगों को कोरोना से संक्रमित कर रहे हैं। उसी अफवाह में आकर भीड़ ने ड्राइवर समेत दोनों साधुओं की हत्या कर दी थी।