लॉकडाउन से पहले लोग अभिनेताओं को समाजसेवा करते हुए सिर्फ सिनेमाई पर्दे पर देखा करते थे। लोग समंझते थे कि हीरो सिर्फ फ़िल्मी पर्दे पर ही एक्टिंग करने वाले प्राणी होते है। लेकिन अभिनेता सोनू सूद ने लोगो की इस धारणा को कोरोनाकाल में बदल दिया। इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च को जैसे ही अचानक लॉकडाउन लगाया तो लोग जहा के तहा फसकर रह गए। खासकर अप्रवासी मजदूर तबका . इस तबके के लोग मुंबई जैसे महानगर में रहकर जीविकापार्जन कर रहे थे। लेकिन जब वे लॉकडाउन में फसे तो उनके लिए अभिनेता सोनू सूद जैसे मसीहा बनकर सामने आए।
अपने पैसे से देश के हजारो मजदूरों को सोनू सूद ने हवाईजहाज और बसों से उनके घर भिजवाया। यही नहीं बल्कि देश के किसी भी कोने से लॉकडाउन में फसे व्यक्ति की पुकार जब उनके कानो में पहुंची तो वह उसकी बिना सहायता किए रह नहीं सके। इस तरह कोरोनाकाल में देश के युवाओ के लिए सोनू सूद आइकॉन बनकर सामने आए। इसके चलते ही सोनू सूद को अब एशिया की 50 शीर्ष हस्तियों में पहले नंबर पर सुमार किया गया है। ब्रिटेन के साप्ताहिक अख़बार ईस्टर्न आई ने यह सूचि प्रकाशित की है। जिसमे सोनू सूद को समाजसेवा के लिए एशिया में सबसे अव्वल बताया गया है।
जब भी देश में हजारो प्रवासियों और मजदूरों की निशुल्क सेवा का जिक्र आता है तो सोनू सूद का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। लेकिन इसके साथ ही बहुत से लोग ऐसे भी है जो गाहे बगाहे यह कहते नजर आ रहे है कि इतना पैसा उनके पास आता कहा से है। इसका साक्षात् उदहारण सोनू सूद का फिलहाल उठाया गया वह कदम है जिसकी हर कोई सराहना कर रहा है। दरअसल,सोनू सूद ने अब अपने पास समाजसेवा के लिए पैसा खत्म होने पर अपनी संपत्ति को गिरवी रख दिया है। सूद ने जुहू इलाके में अपनी दो दुकाने और 6 फ्लैट्स गिरवी रख 10 करोड़ का लोन लिया है। इस 10 करोड़ के लोन से वह बुजुर्गो की सेवा करेंगे। जिसमे उनकी प्राथमिकता में ऐसे बुजुर्ग होंगे जो घुटनो के दर्द से पीड़ित है। ऐसे पीड़ित बुजुर्गो के घुटनो का दर्द खत्म कराने के लिए सोनू सूद ने बीड़ा उठाया है।