लगभग डेढ़ वर्ष बाद यूपी की योगी सरकार एक बार फिर से एक्शन के मूड में दिख रही है। लेकिन इस बार सरकार का मूड पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में किए गए घोटालों को लेकर प्रभावी कार्रवाई करने का नहीं अपितु सपा-बसपा गठबन्धन के प्रमुखों पर दबाव बनाने का है। दबाव इसलिए भी ताकि भाजपा के खिलाफ महागठबन्धन के दलों का जोश ठण्डा पड़े। शायद यही वजह है कि लोकसभा चुनाव तैयारियों के अन्तिम महीनों में एक बार फिर से रिवर फ्रंट घोटाले की फाइल ही तलब नहीं की गयी बल्कि घोटाले से जुडे़ ठेकेदारों, अभियंताओं के ठिकानों पर छापेमारी भी की गयी। यह छापेमारी राजधानी लखनऊ समेत हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली तक की गयी। ये वह स्थान हैं जहां पर रिवर फ्रंट से जुडे़ ठेकेदारों और अभियंताओं के ठिकाने बने हुए हैं। कहा जा रहा है कि यही वह स्थान हैं जहां रिवर फ्रंट घोटाले की बड़ी रकम छिपाकर कर रखी गयी है अथवा किसी प्राॅपर्टी आदि में इन्वेस्ट की गयी है।
खासतौर से राजधानी लखनऊ के पाॅश इलाके गोमती नगर और राजाजीपुरम सहित उन इलाकों में ईडी ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया जहां-जहां पर आरोपियों की सम्पत्ति मौजूद होने का अंदेशा था। इस छापेमारी को लेकर मीडिया भले ही हडकम्प मचे होने की बात कर रहा हो लेकिन हकीकत यह है कि रिवर फ्रंट के लगभग समस्त आरोपी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं योगी सरकार के आदेश पर ईडी की नजर आखिर कहां पर टिकी है। सपा कार्यकर्ता भी यही मानते हैं कि सरकार चाहती तो सीधे पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के निवास पर भी छापेमारी कर सकती थी लेकिन इससे सपा को ही लाभ मिलने की उम्मीद थी लिहाजा उसने उन अधिकारियों और अभियंताओं पर निशाना साधा है जो किसी न किसी रूप में सपा प्रमुख के खास लोगों में शुमार रहे हैं। खासतौर से कुछ ठेकेदार ऐसे हैं जिनका सीधा सम्बन्ध सपा प्रमुख अखिलेश यादव से रहा है। छापे की जद में आए अभियंता और ठेकेदारों के चेहरों पर किसी प्रकार का भय नजर नही आता। वे भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि रिवर फ्रंट नाम के गड़े मुर्दे को सिर्फ इसलिए जिंदा किया जा रहा है ताकि आम जनता के बीच सपा की छवि को लुटरी सरकार के रूप में साबित किया जा सके क्योंकि सपा-बसपा महागठबन्धन ही है तो यूपी में भाजपा को टक्कर देने की हैसियत रखता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी की टीम ने लखनऊ के गोमती नगर स्थित विशालखंड इलाके में छापेमारी की। रिवर फ्रंट से जुडे़ इंजीनियरों और ठेकेदारों का पूरा घर खंगाला गया। टीम ने राजाजीपुरम इलाके में भी इंजीनियरों, ठेकेदारों और कंपनी के गठजोड़ को ध्यान में रखते हुए छापेमारी की। बताते चलें कि इस बार की छापेमारी के ईडी के हाथ कुछ भी नहीं लगा है महज सनसनी फैलाने में कामयाबी के। सपा नेताओं का कहना है कि राजनीतिक दुश्मनी निभाने की गरज से की गयी छापेमारी के दौरान सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों और गैमन इंडिया कंपनी के अधिकारियों के आठ ठिकानों पर ईडी की टीम पहुंची और घंटों तलाशी ली। जिस वक्त राजधानी लखनऊ में छापेमारी चल रही थी उसी वक्त राजस्थान के भिवाड़ी और हरियाणा के गुरुग्राम में भी ईडी ने छापेमारी की है। इसके अलावा नोएडा के सेक्टर-62 स्थित आईथम टाॅवर में भी छापेमारी की गई है।
बताते चलें कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के कार्यकाल में रिवर फ्रंट योजना के तहत लखनऊ के बीचोंबीच बहने वाली गोमती नदी के 13 किलोमीटर लंबे किनारों का सौंदर्यीकरण किया जाना था। शुरू में यह प्रोजेक्ट 656 करोड़ का था जो बाद में बढ़कर 1513 करोड़ का हो गया। प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार का आरोप है कि इस रकम का 95 फीसद यानी 1435 करोड़ खर्च होने के बावजूद सिर्फ 60 फीसदी काम ही पूरा हो सका। इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत गोमती नदी के दोनों किनारों पर डायफ्रॅाम वाॅल बननी थी और लैंडस्केपिंग करके खूबसूरत लाॅन भी बनाया जाना था। इसके अलावा स्थायी और मौसमी फूलों का बागीचा, साइकल ट्रैक, जाॅगिंग ट्रैक, वाॅकिंग प्लाजा भी बनाया जाना था। यह सारा काम 1513 करोड़ में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था। आरोप है कि अभियंताओं और ठेकेदारों के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के विधायक और मंत्रियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए आवंटित रकम में खूब हाथ साफ किया। परिणामस्वरूप 95 प्रतिशत रकम खर्च होने के बाद भी प्रोजेक्ट का 60 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो पाया। अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लगभग 11 सौ करोड़ रुपयों की और दरकार है। यही वह वजह है कि योगी सरकार का मानना है कि इस प्रोजेक्ट की आड़ में सरकारी खजाने को खूब लूटा गया। दावा किया जा रहा है कि जांच के दौरान लूट की रकम और लुटेरों की पहचान भी हो चुकी है लेकिन कार्रवाई कब और किस पर और कितने लोगों के खिलाफ होगी और कार्रवाई की जद में क्या पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी फंसेगे अथवा नहीं, यह अभी तक गुप्त रखा गया है।
फिलहाल मौजूदा योगी सरकार द्वारा ऐन लोकसभा चुनाव तैयारियों के दौरान गडे़ मुर्दों को उखाड़ा जाना शुद्ध रूप से राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है लिहाजा सपा ने भी इसका जवाब देने के लिए अपनी कमर कस ली है।