‘दि संडे पोस्ट’ ने जिला औरैया के अजीतमल तहसील के ग्राम अमावता की गौशाला की दशा और दुर्दशा को सुधारने के लिए एक ख़बर किया था। ख़बर में गौशाला की अव्यवस्थाओं की वजह से गायों की स्थिति को लेकर यह सवाल उठाया गया था कि आख़िर यहां लगभग सौ की संख्या में मरी पड़ी हुई गायों का और अधमरी भूखी-प्यासी गायों का जिम्मेदार कौन है?
जहां हमने तमाम गौरक्षक संगठनों से बातचीत की और जिला औरैया के प्रतिनिधियों से इस बाबत उनका जवाब मांगा था।
उसी ख़बर का यह असर हुआ है कि राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी गौ सेवा संघ ने ली इस गौशाला को गोद ले लिया है। राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी गौसेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव सिंह सेंगर ने गौशाला पहुंचकर गौशाला को अपने संगठन के लिए गोद लिया है।
‘दि संडे पोस्ट’ की ख़बर का असर
जनपद के अजीतमल तहसील के ग्राम अमावता में गौशाला की दशा और दुर्दशा को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी गौ सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव सिंह सेंगर ने प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ गौशाला का कुछ दिन पूर्व निरीक्षण किया था ।
जहां पाया गया था कि अकाल बेमौत कुछ गौ वंश की मौतें सामने हुईं हैं और शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते ये तस्वीर सामने आई है। इस पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी गौ सेवा संघ ने इस गौशाला को गोद लेने का निर्णय लिया ।
इसी के क्रम में 4 दिसंबर को राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी गौ सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव सिंह सेंगर के साथ प्रदेश के उपाध्यक्ष राहुल सिंह ,प्रदेश मीडिया सचिव वीरेंद्र सिंह सेंगर, प्रदेश सचिव अंजनी कुमार, राजेश यादव प्रदेश उपाध्यक्ष ,अधिवक्ता प्रकोष्ठ मिश्रा के साथ-साथ कई जिलों के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर वहां पर स्थानीय कार्यकारिणी का गठन कर गौशाला को उनकी देखरेख में सुपुर्द किया।
राष्ट्रीय गौ रक्षा वाहिनी गौ सेवा संघ के पदाधिकारियों द्वारा वहां पर बनी टीन सेट को चारों ओर से त्रिपाल से ढका गया और सौ कंबल गोवंश और गौ माताओं को उढ़ाए गए, गायों के खाने के लिए 20 किलो गुड़ के साथ-साथ दाना और चारे की व्यवस्था की गई।
अंत में स्थानीय लोगों की एक कार्यकारिणी बनाकर गौशाला को उनकी देखरेख में दिया गया तथा प्रतिदिन गांव में प्रभात फेरी निकालकर घरों से निकलने वाले अग्रसन को के रूप में रोटियों को एक एकत्रित कर गौशाला में लाने के लिए निर्देश दिए गए।
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एक ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौ सेवा करते हुए गौ माता की रक्षा हेतु हर सम्भव मदद की घोषणा करते हैं, दूसरी ओर इसी प्रदेश से ऐसे गौशाला की भयावह तस्वीरें आती हैं जो झकझोर कर रख देती हैं।
भले ही राष्ट्रीय गौरक्षा वाहिनी ने इस गौशाला को गोद लेकर अपना दायित्व निभा दिया है। पर जो असल मुद्दा है वह यह कि इस गौशाला की यह दुर्गति आखिर हुई ही क्यों? प्रधान को इस गौशाला की देखभाल के लिए और गायों के भोजन आदि के लिए जो सरकारी धनराशि मिलती है, उसका दुरुपयोग क्यों किया गया?
गौशाला में जब लगभग 100 गायें मर चुकी तब स्थानीय जिम्मेदार लोगों को यह ख़बर क्यों मिली,इससे पहले क्यों नहीं?
इस देश में गाय के नाम पर राजनीति करने वालों से क्या उनकी जिम्मेदारी और गौशाला के देखभाल हेतु उनकी गंभीरता को कटघरे में नहीं खड़ा करना चाहिए!
(गोशाला के गोद लिए जाने की जानकारी हमें घुमंतू पत्रकार शाह आलम ने दी)