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हाईकोर्ट ने पूछा कि तेलंगाना कैसे पहुंचे रेगिस्तान के ऊंट

रमजान और बकरीद  के मौके पर हैदराबाद में ऊंट का मांस बेचने वालों की खैर नहीं। हाईकोर्ट ने तेलंगाना सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह ख्याल रखे कि त्योहार की परंपरा के नाम पर ऊंट न काटे जाएं। हाईकोर्ट ने सरकार से इसकी वजह भी पूछी कि आखिर रेगिस्तान में पाए जाने वाले ऊंट तेलंगाना कैसे पहुंचे।

दरअसल, हैदराबाद की डॉ. के. शशिकला ने उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दाखिल कर अपील की थी कि ऊंट मांस विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए और ऊंट के वध को रोका जाना चाहिए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा बकरीद त्योहार में ख्याल रखा जाना चाहिए कि किसी परम्परा के नाम पर ऊंट न काटे जाएंगे। इसके साथ ही राज्य के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विभाग की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दूसरे राज्यों से तेलंगाना में ऊंट लाने पर सख्त रोक है और कोई भी राज्य में ऊंच को नहीं मारेगा।

दरअसल, तेलंगाना सरकार की ओर से राजस्थान ऊंट (वध निषेध और अस्थाई विस्थापन या निर्यात नियामन) अधिनियम 2015 का भी उल्लेख किया है, जिसमें इस पश्चिमी राज्य से ऊंट को लाना गैरकानूनी है। साथ ही इसपर कानून तोड़ने वालों पर मामला दर्ज किया जाएगा।

Scoop

हाई कोर्ट को जीएचएमसी आयुक्त डी.एस. लोकेश की ओर से एक रिपोर्ट दी गई है जिसमें बताया गया कि रमजान और बकरीद के अवसर पर हैदराबाद में ऊंट का मांस बेचने वालों के खिलाफ जीएचएमसी कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है।  वेटर्नरी विभाग के निदेशक लक्ष्मा रेड्डी ने हाईकोर्ट को बताया कि रमजान के महीने में एक समुदाय विशेष के लोगों का ऊंट का मांस खाने की परंपरा चली आ रही है।

सरकार के  विशेष अधिवक्त संजीव कुमार ओर से  हाईकोर्ट को बताया गया कि राज्यस्थान से ऊंट तेलंगाना न भेजे, इसके लिए सभी प्रकार के निर्णय लिए जा रहे हैं। साथ  ही जिन ऊंटों को अवैध रूप से लाया गया है उन्हें वापस सुरक्षित राजस्थान भेजा जाएगा। हाईकोर्ट ने ऊंट की तस्करी को रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से की जा रही कार्रवाइयों  का ब्यारा देने का आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

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