बिल्डर्स निर्माण में अग्रणी कंपनी सुपरटेक पर नोएडा प्राधिकरण का 645 करोड रूपया बकाया था। जिसका भुगतान न होने पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी कि एनसीएलटी की दिल्ली बेंच ने सुपरटेक को दिवालिया घोषित कर दिया है। सुपरटेक के दिवालिया घोषित होते ही इस कंपनी से जुड़े करीब 11000 होमबायर्स को परेशानी हो सकती है। कहा जा रहा है कि 11000 होमबायर्स का भविष्य दांव पर लग गया है।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि इससे पहले 114 करोड रुपए बकाया पर सुपरटेक के कमर्शियल ऑफिस को नोएडा प्राधिकरण ने सील किया था। इसी के साथ बाकी के 645 करोड रुपए चुकाने के जल्दी ही आदेश भी दिए थे । लेकिन कंपनी ने इस पर गौर नहीं किया ।जिससे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आखिर सुपरटेक को दिवालिया घोषित कर दिया।
सुपरटेक के ट्विन टावर पर पहले ही विवाद है। नोएडा के सेक्टर 93 ए में बने 40 मंजिला ट्विन टावर पर कई साल तक जांच चली। जिसमें जांच के बाद सामने आया कि टावर की ऊंचाई 73 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर कर दी गई। जो कि कानूनन गलत है। यह नोएडा विकास प्राधिकरण के नक्शे के विपरीत हुए काम के अंतर्गत आता है। फिलहाल, आगामी 22 मई को विस्फोट के जरिए ट्विन टावर की 40 मंजिलों को 9 सेकंड में धराशाई कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में ही हाईकोर्ट ने ट्विन टावर की 40 मंजिला इमारतों को गिराने के आदेश दे दिए थे। इसके बाद सुपरटेक कई सालों तक इस मामले पर कोर्ट के चक्कर लगाता रहा। सुपरटेक कंपनी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गई। लेकिन आखिर में नियम विपरीत होने के चलते ट्विन टावर के 40 मंजिलों को गिराने के आदेश कर दिए गए। जिससे सुपरटेक की हालत बहुत खस्ता हो गई।
गौरतलब यह भी है कि सुपरटेक ही ऐसा बिल्डर्स नहीं है जिस पर नोएडा अथॉरिटी के रुपए बकाया है, बल्कि इससे पहले स्थान पर यूनिटेक कंपनी है। यूनीटेक पर ₹8 हजार करोड़ रूपया प्राधिकरण का बकाया है। इसके अलावा आमरपाली पर 3000 करोड, ऐम्स मैक्स गार्डेनिया पर 1123 करोड, ग्रेनाइट ग्रेट प्रॉपर्टी प्राइवेट लिमिटेड पर 780 करोड़ रुपए बकाया है। नोएडा विकास प्राधिकरण में कुछ की प्रॉपर्टी सीज कर दी है जबकि अभी कई कंपनियों की प्रॉपर्टी सीज करने की कार्रवाई चल रही है।
दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ सालों में तेजी से फ्लैट्स बन रहे हैं। इस बीच पिछले साल से नोएडा स्थित डेवलपर्स के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड के 40-मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का ऑर्डर दिया था। उसके बाद अब यह दिवालिया कानून का नया झटका कंपनी के लिए तो झटके वाला है ही ग्राहकों के लिए भी इसमें खतरा है। इससे 11 हजार ग्राहकों को नुकसान हो सकता है और उन्हें घर मिलने में अब नए अड़ंगे लग सकते है।