मध्यप्रदेश की राजनीति में दो दिन से चला आ रहा पॉलिटिकली हाई फाई ड्रामा फिलहाल दि एंड की ओर है। हालांकि, आखिरी पलों में भाजपा यह गेम हार गई। इस ड्रामे में भाजपा पर खलनायक का रोल प्ले करने का ठप्पा जरूर लग गया। साथ ही एक बार फिर भाजपा पर हार्स ट्रेडिंग का आरोप लग गया। भाजपा नेता पहले भी कई बार कमलनाथ सरकार गिराने की बात कर चुके हैं। लेकिन उसको गंभीरता से नहीं लिया जाता था।
मंगलवार और बुधवार की रात पहली बार ऐसा मौका आया, जब उन्होंने खुलकर सरकार गिराने की कोशिश की। इस कोशिश में भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को आगे किया गया और उन्हें विधायकों को लाने का काम सौंपा गया। उनके साथ अरविंद भदौरिया, विश्वास सारंग को भी यही काम दिया। जबकि पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को रणनीति के तहत बाकी काम संभालने की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन बताते है कि बाद में सीएम पद के दो दावेदारों में से एक को फाईनल न कर पाना भाजपा के लिए बेक रिटर्न का कारण बना।
मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की तैयारी के तहत दो दिन पूर्व सुबह भाजपा करीब 12 विधायकों को दिल्ली लाने में सफल रही। बताया जा रहा है कि यह विधायक दो जगहों पर रोके गए। कुछ विधायकों को मध्यांचल में रोका गया, जबकि कुछ विधायक भाजपा नेताओं के साथ मनेसर के आईटीसी ग्रांड भारत में ठहरे। दिग्विजय सिंह को जैसे ही मालूम हुआ तो वह देर रात दो मंत्री जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी के साथ सीधे ग्रांड भारत पहुंचे, जहां पर उनका विवाद नरोत्तम मिश्रा से भी हुआ। वहां पर पहले से मौजूद बसपा विधायक रामबाई को दिग्विजय अपने साथ लेकर आ गए।
हालांकि, इस बीच में भाजपा नेताओं के बीच में ही एमपी के सीएम बनने को लेकर विवाद हो गया। एक पक्ष जहां वापस पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहता था। जबकि एक पक्ष ऐसा भी था जो चाहता था कि बागी विधायकों की राय के हिसाब से ही मुख्यमंत्री का चयन किया जाए। जबकि बागी विधायकों का बड़ा धड़ा नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में था।
हालांकि, कांग्रेस की सक्रियता के चलते फिलहाल छह विधायक वापस लौट आए हैं। उनमें समाजवादी पार्टी के राजेश शुक्ला (बब्लू), बीएसपी के संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस के ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव और बीएसपी से निष्कासित रामबाई शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, चार विधायक कांग्रेस के बिसाहूलाल, हरदीप सिंह डंग, रघुराज कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा की लोकेशन अभी भी नहीं मिल रही है। इस बाबत कल दिग्विजय सिंह ने कहा था कि भाजपा ने इन चारों विधायकों को जबरदस्ती गुड़गांव से बेंगलुरु शिफ्ट किया है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी का विधायक है। कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है।