मणिपुर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए आज 28 फरवरी को पांच जिलों के 38 सीटों में वोटिंग जारी है। पहले चरण में हो रहे मतदान के लिए 15 महिलाओं सहित कुल 173 उम्मीदवार मैदान में हैं। राज्य में इस बार सत्ताधारी भाजपा जहां अकेले चुनाव लड़ रही है वहीं कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में चुनावी मैदान में है। ऐसे में भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम अफस्पा का दांव चला है।

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह
दरअसल ,प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य में उनकी सरकार के पांच साल ने शांति सुनिश्चित की है। जिसने भविष्य में ‘अफस्पा’ को निरस्त करने की नींव रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा के इस दांव से उसे फायदा उसे मिल सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भाजपा की अपने अभियान और घोषणापत्र में ‘अफस्पा’ पर चुप्पी साधने के लिए आलोचना हो रही थी । मैदान में अन्य सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने मणिपुर में एक प्रमुख चुनावी वादे के रूप में अफस्पा को निरस्त करने की वकालत की थी ।
इसके बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन एक बयान में कहा, “म्यांमार के साथ हमारी संवेदनशील सीमा है। इसलिए अफस्पा हटाने से पहले केंद्र को खुद को आश्वस्त करना होगा। विद्रोही समूहों के साथ शांति वार्ता प्रक्रिया इसके लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। राज्य सरकार को जमीनी स्थिति बनानी होगी और पिछले पांच साल से हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली पिछले पांच वर्षों की सरकार ने भविष्य में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम अफस्पा को समाप्त करने की नींव रखी है।
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अफस्पा से नागालैंड को मिल सकती है राहत
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मणिपुर के मतदाता ‘डबल इंजन’ वाली सरकार पसंद करेंगे? गौरतलब है कि वर्ष 2017 के चुनावों में भाजपा आंतरिक मणिपुर (मैदानी) और कुछ राज्य की पश्चिमी सीमाओं पर अधिकांश सीटें जीतने में सफल रही थी । इस बार भी उनकी कोशिश पहाड़ी इलाकों में भी इसी तरह की पैठ बनाने की है।