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राजनीतिक दिग्गजों की बिगड़ती तबीयत

देश में कोरोना एक महामारी के रूप में आई है जो लगभग दो महीने के लाॅकडाउन के बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। इसके मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस महामारी से निपटने में सरकार और शासन-प्रशासन हर संभव कोशिश में जुटी है। इसी दौरान कई राजनीतिक दिग्गजों की भी तबीयत बिगड़ने लगी है, वह काफी चिंताजनक है।

दरअसल, 6 मई की शाम को पूर्व सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। कई दिन से उनका पेट फूल रहा था जिसके चलते तत्काल उन्हें लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो दिन तक चले इलाज के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर डाॅक्टर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया था।

10 मई की देर रात एक बार फिर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की तबीयत बिगड़ने लगी जिसके बाद लखनऊ के मेंदाता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के डायरेक्टर डाॅक्टर राकेश कपूर ने बताया कि मुलायम सिंह यादव का पेट फूल रहा था। कई दिन से दस्त नहीं हो रही थी। जांच के बाद पता चला कि बड़ी आंत में समस्या है। कोलोनोस्कोपी करके साफ किया गया।

मेदांता के गेस्ट्रोइंट्रोलाॅजिस्टिक डाॅ अभय कुमार वर्मा और गेस्ट्रो सर्जन डाॅक्टर आनंद प्रकाश की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। डाॅक्टरों के मुताबिक स्वास्थ्य सामान्य होने पर एक दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी। इधर रविवार यानी 10 मई की रात करीब 9 बजे पूर्व प्रधानमंत्री डाॅक्टर मनमोहन सिंह को सीने में दर्द होने की शिकायत के बाद दिल्ली स्थित एम्स के हृदय और सीने से संबंधित वार्ड में भर्ती कराया गया है। इससे पूर्व 2009 में उन्हें बायपास सर्जरी हुई थी।

मौजूदा कोरोना महामारी के दौर में डाॅक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक नीतियों की लगातार आलोचना करते आ रहे हैं। अप्रैल 2020 में भी उन्होंने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता रोके जाने को लेकर मोदी सरकार के फैसले की आलोचना की थी और कहा था कि कोविड-19 के बीच सरकार का यह कड़ा कदम अनावश्यक तौर पर उठाया गया है।

इसी महीने उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंद सिंह के इस अनुरोध को भी स्वीकार किया था कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद राज्य की बेहतरी और अर्थव्यवस्था को लेकर वे मार्ग दर्शन करेंगे। मनमोहन सिंह विपक्षी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं।

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की हालत भी गंभीर बनी हुई है। वे कोमा में चले गए हैं। डाॅक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए है। आपको बता दें कि 9 मई के दोपहर में अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें रायपुर के नारायण अस्तपाल में भर्ती कराया गया था। दरअसल, जंगली फल यानी गंगा इमली खाने से उनकी श्वसन नली में बीज फंस गया जिसके बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा। डाॅक्टरों के मुताबिक अजीत जोगी के लिए अगले दो दिन बेहद कठिन हैं। अस्पताल के डायरेक्टर डाॅ सुनील खेमका ने बताया कि अजीत जोगी को वेंटिलेटर पर रखा गया है। उनके लिए अगले 48 से 72 घंटे काफी अहम हैं।

अजीत जोगी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। वे आईएएस पद से इस्तीफा देने के बाद राजनीति में शामिल हुए और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने। साल 2004 में अजीत जोगी एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। तब से वे व्हील चेयर पर हैं। वह राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।

लेख: जनार्दन कुमार सिंह

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