दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी के हिमाचल प्रदेश प्रभारी सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन से जुड़े एक ऐसे मामले में गत् सप्ताह गिरफ्तार कर लिया जिसकी जांच पहले ही सीबीआई द्वारा की जा चुकी है। तब सीबीआई जैन के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाई थी। इस गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक दलों के मध्य आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चला है। आप ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है तो भाजपा इस गिरफ्तारी के जरिए आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में जुट गई है। इन सबके बीच संघीय लोकतांत्रिक ढांचे के तेजी से दरकने का खतरा चरम पर पहुंचता स्पष्ट दिखाई देने लगा है
पिछले कुछ सालों से केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वह विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। तो वही भाजपा के इस एजेंसियों के इस्तेमाल ने गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को नींद से जगा कर याद दिलाया कि अगर केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल करके उन्हें धमका, डरा, और कैद कर सकती है तो वे भी ऐसा क्यों नहीं करते है। फिर क्या राज्य सरकारों ने भी जांच एजेंसियों इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अभी कुछ ही महीने पहले महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार ने एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को गिरफ्तार कर लिया था। ये तो फिर भी दूर की बात है। हाल ही में पंजाब में बनी आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी कुछ ऐसा कर के दिखाया है। सरकार बनने के तुरंत बाद अपने पुराने साथी कुमार विश्वास और कांग्रेस नेता अलका लांबा पर अपनी जांच एजेंसियों के सहारे नकेल कसनी शुरू कर दी है।
अब खबर आई है कि प्रवर्तन निदेशालय ने को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को पांच वर्ष पुराने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है। एजेंसी ने पिछले महीने कहा था कि जैन के परिवार और जैन से संबंधित कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति को उनके खिलाफ एक धनशोधन मामले की जांच के तहत अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया गया है। वर्ष 2018 में ईडी ने इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता जैन से पूछताछ की थी रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला 2017 में आप नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज सीबीआई की पहली सूचना रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें जैन और अन्य पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया गया था। उनकी गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब जैन आप के हिमाचल प्रदेश के प्रभारी के रूप में पार्टी के संगठनात्मक और राजनीतिक मामलों में व्यस्त हैं। हालांकि ईडी ने इस मामले में जैन से 2018 में पूछताछ की थी लेकिन अगले तीन साल तक इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई।
इस वर्ष की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा था ‘हमारे सूत्रों से पता चला है कि आने वाले कुछ दिनों में पंजाब चुनाव से ठीक पहले ईडी सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने जा रहा है। उनका बहुत स्वागत है। पहले भी केंद्र सरकार ने सत्येंद्र जैन पर छापे मारे थे लेकिन कुछ नहीं मिला। तब जैन ने भी इस मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ‘जब भी वे चाहें, उनका स्वागत है। इससे पहले भी वे दो बार मुझ पर छापा मार चुके हैं लेकिन सब व्यर्थ गया है। यह सब राजनीति है और उन्होंने पिछले पंजाब चुनाव के दौरान भी ऐसा किया था। ईडी, सीबीआई सभी का स्वागत है। मैं तैयार हूं, अगर वे मुझे गिरफ्तार करना चाहते हैं तो मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं।
ईडी के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जांच से पता चला है कि 2015-16 की अवधि के दौरान जब सत्येंद्र कुमार जैन एक लोक सेवक थे, उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों में कोलकाता के हवाला कारोबारियों से फर्जी लेन-देन का काम हुआ था। केंद्रीय एजेंसी की मानें तो इन धनराशि का उपयोग जमीन की सीधी खरीद या दिल्ली और उसके आस-पास कृषि भूमि की खरीदने के लिए लिए गए ऋण की अदायगी के लिए किया गया था। शकूर बस्ती से विधायक 57 वर्षीय जैन अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, उद्योग, बिजली, गृह, शहरी विकास और जल मंत्री हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने हैं और आम आदमी पार्टी इस साल की शुरुआत में पंजाब में अपनी शानदार जीत के बाद राज्य में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। आप का कहना है कि गिरफ्तारी आगामी हिमाचल प्रदेश चुनाव से जुड़ी है जैन की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि यह एक ‘फर्जी मामला’ बताया है।
गौरतलब है कि देश में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस तरह के टकराव लगातर देखने को मिल रहे हैं। कुछ ही महीने पहले सीबीआई और ईडी ने जब एमवीए के मंत्रियों अनिल देशमुख और नवाब मालिक पर निशाना साधा तो राज्य पुलिस ने केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को कुछ दिनों तक जेल में डाल दिया था। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने कथित रूप से उद्धव को थप्पड़ मारने की धमकी दी थी। इसके कुछ दिनों बाद उनके विधायक बेटे नीतेश को शिवसेना के एक सदस्य की शिकायत पर हत्या का एक मामला दायर किया था।
सबसे ताजा मामला भाजपा समर्थक सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को मुख्यमंत्री के निवास के आगे हनुमान चालीसा का पाठ करने की धमकी देने और देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने का है। इस बीच, महाराष्ट्र में शाहरुख खान के बेटे की गिरफ्तारी और उसके अलावा भी और भी बहुत कुछ हुआ है। लेकिन यह प्रवृत्ति एक ही राज्य में सीमित नहीं है। कुछ इसी तरह से आप आदमी पार्टी के सरकार का है जिसने कांग्रेस नेता अलका लांबा, भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह, और अपने पुराने साथी कवि कुमार विश्वास के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई की थी।
पश्चिम बंगाल पर भी नजर डाल लें तो देखेंगे कि वहां भाजपा सांसद अर्जुन सिंह पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोप दर्ज किया गया है कि उन्होंने भाटपाड़ा नैहाटी सहकारिता बैंक के अध्यक्ष के नाते फर्जी कामों के ठेके के लिए कर्ज जारी किए। वर्ष 2020 में पश्चिम बंगाल सीआईडी ने तृणमूल कांग्रेस विधायक सत्यजित विश्वास की 2019 में हुई हत्या के मामले में भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार के खिलाफ आरोप दर्ज किया था। बाद में एक पूरक आरोप पत्र में तत्कालीन भाजपा उपाध्यक्ष मुकुल राय को भी ‘सहयोगी साजिशकर्ता’ बताकर आरोप दर्ज किया गया था। वर्ष 2021 में, राज्य सीआईडी ने विपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी को अपने बॉडीगार्ड सुब्रत चक्रवर्ती की ‘हत्या’ के आरोप में उनकी पत्नी की शिकायत पर समन भेजा था।
विपक्ष का आरोप
केंद्रीय जांच एजेंसियों के कामकाज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी होती रहती है। सत्ता पक्ष, जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ‘ईडी’ की कार्रवाई को जायज ठहराता है तो वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक मंशा से की गई ‘बदले की कार्रवाई’ बता देता है। कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस जांच एजेंसी को भाजपा का पसंदीदा हथियार बताया था। उन्होंने दावा किया था कि ‘सीबीआई और ईडी’, राजनीतिक तंत्र को नियंत्रित करती है। इसी तरह से लगातार तमाम विपक्षी पार्टी आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर जांच एजेंसियों के छापे के बाद कहा गया था की केंद्र सरकार एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। इससे पहले कई बार शिवसेना ने आरोप लगया है कि भाजपा केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। गत् दिनों इस पर शिवसेना ने अपने मुख्य पत्र ‘सामना’ में तीखी टिप्पणी करते हुए लिख डाला ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ के नारे को जोड़ कर हर कोई हर-हर ईडी, घर-घर ईडी’ का नारा दे रहा है। अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन गिरफ्तारी के बाद केंद्र की मोदी सरकार पर फिर हमला बोला है। ममता ने केंद्र सरकार पर सरकारी एजेंसियों के दुरुप्रयोग का आरोप लगाया है। ममता ने कहा कि भाजपा सरकार इन एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्ष को चुप करना चाहती है।