प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ‘मन की बात’ में कर्नाटक के एक 85 साल के बुजुर्ग की भरपूर प्रशंसा की। वह शख्स है कामेगोडा। आज हर कोई उस सख्श के बारें में जानना चाहता है कि आखिर ऐसा कर दिखाया कामेगोडा ने जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके मुरीद हुए है। उन्होंने बताया कि कर्नाटक के मंडावली में 80-85 साल के एक बुजुर्ग हैं, कामेगौड़ा, कामेगौड़ा जी एक साधारण किसान हैं लेकिन उनका व्यक्तित्व बहुत असाधारण है। उन्होंने, एक ऐसा काम किया है कि कोई भी आश्चर्य में पड़ जाएगा।
कामेगौड़ा जी अपने जानवरों को चराते हैं। लेकिन साथ-साथ उन्होंने अपने क्षेत्र में नये तालाब बनाने का भी बीड़ा उठाया हुआ है। वे अपने इलाके में पानी की समस्या को दूर करना चाहते हैं। इसलिए, जल-संरक्षण के काम में छोटे-छोटे तालाब बनाने के काम में जुटे हैं। आप हैरान होंगे कि 85 वर्ष के कामेगौड़ा जी अब तक 16 तालाब खोद चुके हैं। अपनी मेहनत से, अपने परिश्रम से। हो सकता है कि ये जो तालाब उन्होंने बनाए वो बहुत बड़े न हों, लेकिन उनका ये प्रयास बहुत बड़ा है। आज पूरे इलाके को इन तालाबों से एक नया जीवन मिला है।
85 साल के कामेगोडा कर्नाटक के मंडावली में रहते हैं वह एक साधारण से किसान हैं लेकिन उनका व्यक्तित्व असाधारण है उनके द्वारा किए गए काम दूसरों से अलग करते हैं 50 साल के कामेगोडा इस उम्र में भी अपने जानवरों को चराने ले जाते हैं साथ-साथ उन्होंने अपने गांव में नए तालाब खोदने का बीड़ा उठाया है कामेगोडा ने इस पूरे मामले में जब बात की उन्होंने कहा कि उनके इलाके में पानी की समस्या है इसलिए अपने क्षेत्र में पानी की समस्या को दूर करने के लिए जल संरक्षण करने के लिए तालाब में जुटे हुए हैं।
जानकर हैरानी होगी अब तक कामगोडा ने अपनी मेहनत से 16 तालाब खोद लिए हैं यह भी हो सकता है कि उन्होंने जो तालाब बनाए हैं वह बहुत बड़ा नाम बड़े ना हो लेकिन उनकी कोशिश काफी बड़ी है आज पूरे इलाके में इतने सारे तालाबों की वजह से एक नया जीवन मिला है आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में लद्दाख में चीन के साथ तनावपूर्ण संकट समेत तमाम विषयों पर अपनी बात रखी।
मोदी ने आकाशवाणी से प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में कहा कि देश के एक बड़े हिस्से में अब मानसून पहुँच चुका है। इस बार बारिश को लेकर मौसम विज्ञानी भी बहुत उत्साहित हैं, बहुत उम्मीद जता रहे हैं। बारिश अच्छी होगी तो हमारे किसानों की फसलें अच्छी होंगी, वातावरण भी हरा-भरा होगा। बारिश के मौसम में प्रकृति खुद को पुनर्जीवित करती दिखती है।
मोदी बोले कि बारिश के जरिये प्रकृति प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की भरपाई करती है लेकिन प्राकृतिक संसाधनों को यह पुनर्जीवन भी तभी मिलता है, जब इस कार्य में हम सभी अपनी धरती मां का साथ दें और अपना दायित्व निभायें। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा किया गया थोड़ा सा प्रयास, प्रकृति को, पर्यावरण को, बहुत मदद करता है। हमारे कई देशवासी तो इसमें बहुत बड़ा काम कर रहे हैं।