[gtranslate]
Country

जिन कोरोना योद्धाओं के लिए थाली भी बजी फूल भी बरसे, उन्हें नहीं मिला 4 माह से वेतन

जिन कोरोना योद्धाओं के लिए थाली भी बजी फूल भी बरसे, उन्हें नहीं मिला 4 माह से वेतन

याद कीजिए 22 मार्च का वह दिन जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना योद्धाओं खासकर डाक्टरों के सम्मान में 5 मिनट के लिए ताली और थाली बजवाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा में लगे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में जनता से ताली और थाली बजाने की अपील की तो लोग बालकनी में आकर ताली और थाली बजाने लगे थे। कहीं-कहीं हेलिकॉप्टर से स्वास्थकर्मियों पर फूल भी बरसाए गए थे।

कितनी अच्छी बात है कि हम अपने डॉक्टरों और सफाई कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त कर रहे थे कि वह कोरोना महामारी से इंसानो को बचाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर रहे थे। सवाल यह है कि ताली-थाली पीटने या फूल फेंकने से क्या काम चल जाएगा? क्योंकि जिनके लिए आप ताली-थाली पीट रहे हैं उनको पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिला है। वह भी देश की राजधानी दिल्ली में। सोचिए जब देश की राजधानी में यह हाल है तो बाकी दूरदराज के अति पिछडे इलाकों के डाक्टरों के क्या हालात होंगे?

राजधानी दिल्ली के कस्तूरबा और हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों को पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिला है। बावजूद इसके वो दिन रात जान हथेली पर लिए कोरोना मरीजों का इलाज करने में लगे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक? हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों को चार महीने और कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टरों को तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से खुद हाईकोर्ट तक चिंतित हो उठा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत ही याचिका दाखिल की और एमसीडी दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए जल्द से जल्द डाक्टरों के वेतन देने का आदेश दिया है। याद रहे कि ये दोनों अस्पताल उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आते हैं। वेतन ना मिलने से परेशान रेजिडेंट डॉक्टरो के संगठन ने अब अस्पताल प्रशासन को सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी है।

दिल्ली के सिविल लाइंस इलाक़े में स्थित हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों को पिछले चार महीने से और दरियागंज स्थित कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। ये दोनों ही अस्पताल उत्तर दिल्ली नगर निगम यानी एनडीएमसी के अंतर्गत आते हैं। बार-बार शिकायत करने के बाद कोई सुनवाई न होने पर रेज़िडेंट डॉक्टर्सों के संगठन ने अब अस्पताल प्रशासन को चिट्ठी लिखकर सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा देने की चेतावनी दी है।

यही नहीं बल्कि डाक्टरों ने देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर वेतन दिलाने की गुजारिश की है। हिंदू राव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपना वेतन जारी करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है। शाह को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि डीएमए उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले कस्तूरबा अस्पताल, हिंदू राव अस्पताल और अन्य अस्पतालों और डिस्पेंसरियों के रेजिडेंट डॉक्टरों के वेतन का भुगतान नहीं करने के मुद्दे को लेकर बहुत ही चिंतित है। जो पिछले तीन महीनों से कोविड-19 महामारी के इस अत्यधिक तनावपूर्ण समय में नि:स्वार्थ भाव और अथक रूप से काम कर रहे हैं।

रेजीडेंट डॉक्टरों के वेतन के मुद्दे पर गृह मंत्री से हस्तक्षेप की मांग करते हुए पत्र में कहा गया है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर डटकर हमारे डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना लगातार काम कर रहे हैं। और राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा में लगे हुए हैं। वे न केवल अपने के लिए बल्कि अपने परिवारों के लिए भी जोखिम उठा रहे हैं और समाज की सेवा करने के लिए अपनी हर कोशिश कर रहे हैं।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि इससे पहले पीतमपुरा स्थित भगवान महावीर हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमण के शिकार डॉक्टरों के क्वारंटीन पर जाने की वजह से उनके वेतन में कटौती की बात सामने आई थी। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें एक्स्ट्रा ड्यूटी करके क्वारंटीन में छूटी ड्यूटी पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि बाद में स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के चलते मामला सुलझाया गया था।

कस्तूरबा अस्पताल में जहां डाक्टरों को तो हिंदूराव अस्पताल में डाक्टरों के साथ ही नर्सों और बाकी स्वास्थयकर्मियों का वेतन भी नही मिला है। बताया जा रहा है कि हिंदूराव अस्पताल में 500 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हैं। कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टर भी अब सामूहिक इस्तीफा देने पर मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को 16 जून तक का अल्टीमेटम दिया है। यही नहीं बल्कि खबर यह भी मिल रही है कि अस्पताल में जरूरी सामानों की भी कमी है। जिसकी वजह से अस्पताल के करीब 40 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।

गौरतलब है कि गत 12 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को कस्तूरबा गांधी और हिंदू राव समेत अपने 6 अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों को मार्च का वेतन 19 जून तक देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार को नगर निगम को निधि जारी करने के लिए भी कहा ताकि वह अपने अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों को अप्रैल का वेतन 24 जून तक दे सकें। पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और विभिन्न डॉक्टर संघों को भी नोटिस जारी कर जनहित याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। याद रहे कि यह जनहित याचिका हाईकोर्ट ने खुद दायर की है।

हाईकोर्ट ने उन खबरों के आधार पर जनहित याचिका दायर की जिसमें बताया गया कि कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने इस्तीफा देने की धमकी दी है क्योंकि उन्हें इस साल मार्च से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। अदालत ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि इस समय डॉक्टर युद्ध के दौर में सैनिकों की तरह हैं, इसलिए सरकार उन्हें नाराज़ न करे। हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अदालत को दख़ल देने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए। सरकारें आगे बढ़कर स्वास्थ्यकर्मियों की सुविधा का ध्यान रखें। इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तारीख तय की गई है।

हिंदूराव हॉस्पिटल में डॉक्टरों को वेतन न मिलने का कारण फ़ंड की कमी बताया गया है। इस बाबत पूछने पर हिंदूराव हॉस्पिटल के डॉक्टर अभिमन्यु कहते हैं कि जब भी हम प्रशासन के पास अपनी समस्या लेकर जाते हैं, वो यही कहते हैं कि फ़ंड रिलीज़ नहीं हो रहा है। साथ ही डॉक्टर अभिमन्यु बताते हैं कि अस्पताल में ज़रूरी सामानों की कमी है। इसका असर मरीज़ों और हमारे दोनों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसी का नतीजा है कि हिंदूराव हॉस्पिटल में 38-40 के क़रीब स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं।

उधर , इस मामले में जब नॉर्थ एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन जयप्रकाश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों से गुरुवार और शुक्रवार को मीटिंग हुई है।इस मिटिंग में हमने उन्हें भरोसा दिलाया है कि अगले हफ़्ते उनकी पूरी तनख़्वाह आ जाएगी और आगे भी उन्हें नियमित रूप से वेतन मिलता रहेगा। फ़ंड की कमी का कारण पूछे जाने पर वह कहते हैं कि अभी हालात सामान्य नहीं हैं। लॉकडाउन की वजह से हमारा रेवेन्यू लगभग ठप हो गया है। दिल्ली सरकार से मिलने वाला फ़ंड भी 25 फ़ीसदी ही रह गया है। लेकिन हम जल्दी ही डॉक्टरों की समस्या का समाधान कर देंगे।

इस मामले में जब कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील प्रसाद से बात हुई तो उन्होंने बताया कि हम काफी समय से वेतन की मांग कर रहे हैं। लेकिन निगम ने फंड की कमी का कारण बताकर हमारा वेतन नहीं दिया है। वह कहते हैं कि यदि हमें प्रशासन की ओर से वेतन नहीं मिलेगा तो हम निजी अस्पतालों में काम करने के लिए मजबूर होंगे। क्योंकि अब हमारे आगे आर्थिक संकट बढ़ गया है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD