एक तरफ बिहार के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के उप विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इन दोनों ही चुनाव में एक बड़ा फर्क देखने को मिल रहा है। वह यह कि बिहार विधानसभा चुनाव में जनता नेताओं को जूते – चप्पल मार रही है तो मध्य प्रदेश के 28 उप विधानसभा चुनाव में नेता अपनी जुबान को काबू में नहीं रख पा रहे हैं।
हालात यह है कि मध्य प्रदेश के चुनावी माहौल में जमीन से जुड़े मुद्दे कोई नहीं उठा रहा है बल्कि एक दूसरे पर कीचड जरूर उठाई जा रही हैं। बेलगाम नेता महिलाओ तक को नहीं बख्श रहे हैं। जिस देश में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया जा रहा है वहां चुनाव में नेताओं के द्वारा उन बेटियों को कहीं आइटम तो कहीं रखैल तक कहा जा रहा है ।
चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे में चुनाव आयोग रहस्यमय ढंग से चुप्पी साधे हुए हैं। आखिर क्यों ? वह चुनाव आयोग जो नेताओं के मुंह से जुबान फिसलने के नाम पर ही उन पर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटता था, वह चुनाव आयोग क्यों चुप्पी साध रहा है ?
खासकर मध्य प्रदेश के उप विधानसभा चुनाव में। जहां चुनाव आयोग की चुप्पी से कई सवाल खड़े हो गए हैं। यहां तक की कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विवादास्पद बयान पर कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी द्वारा आपत्ति दर्ज करने के बावजूद भी कमलनाथ माफी मांगने को तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि 18 अक्टूबर को एक चुनावी सभा में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक विवादास्पद बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि हमारे राजे ( कांग्रेस प्रत्याशी ) तो सीधे-साधे और सरल है। यह उनके जैसे नहीं है । मैं क्यों उनका नाम लूं। इतने में सभा में बैठे लोगों के बीच से आवाज आती है – इमरती देवी । इस पर हंसते हुए कमलनाथ बोले – आप लोग मेरे से ज्यादा उसको पहचानते हैं। आप लोगों को तो मुझे पहले ही सावधान कर देना चाहिए था कि वह क्या आइटम है ।
पूर्व मुख्यमंत्री के इस आइटम शब्द पर देश में काफी बवाल मच रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया इस मुद्दे को लेकर धरना तक दे चुके हैं। लेकिन बावजूद इसके चुनाव आयोग पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर कोई कार्रवाई करने से बच रहा है ।
यही नहीं बल्कि कांग्रेस के बाद भाजपा नेता भी विवादास्पद बयानों की फेहरिस्त में शामिल हो गए। गत 19 अक्टूबर को मध्य प्रदेश सरकार में भाजपा के मंत्री बिसाहूलाल ने अनूपशहर से कांग्रेस प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह कुंजाम की दूसरी पत्नी को रखैल तक बता दिया। महिलाओं को कहीं आइटम तो कहीं रखैल बनाने का सिलसिला नेताओं द्वारा रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
उधर दूसरी तरफ भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को एक सभा में चुन्नू – मुन्नू तक कहा तो कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की तुलना रावण से कर दी। इस पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर की रही ।
प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर इस चुनाव में धार्मिक माहौल को बिगाड़ने पर आमादा हो गई। उन्होंने कहा कि सारा कट्टरवाद और सारे आतंकवादी मदरसों में पले बढ़े हैं। वह यहीं पर नही रूकी बल्कि उन्होंने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बनाकर कर रख दिया था। ऐसे मदरसे जो हमें राष्ट्रवाद और समाज की मुख्यधारा से नहीं जोड़ सकते, हमें उन्हें सही शिक्षा से जोड़ना चाहिए और समाज के प्रति प्रति के लिए आगे ले जाना चाहिए । जबकि इस मामले में मध्य प्रदेश चुनाव आयोग यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि सभी मामलों को उन्होंने दिल्ली में निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया है।