हाल ही में चुनाव आयोग ने 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग की ओर जारी लिस्ट के मुताबिक इन सभी सीटों पर 3 नवंबर को मतदान और 6 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। जिन 7 विधानसभा सीटों पर पर उपचुनाव होने हैं, उनमें बिहार की 2 और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, ओडिशा की एक-एक सीटें शामिल हैं।
ऐसे में बिहार में दोनों सीटों पर होने वाला मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। इसकी वजह है जदयू, राजद और कांग्रेस का एकसाथ आना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू भाजपा से नाता तोड़ चुकी है। नीतीश पहले ही विपक्षी दलों के साथ आकर 2024 में भगवा पार्टी को मात देने की कोशिशें शुरू कर चुके हैं। इसलिए राज्य में 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को गढ़ बचाने की लड़ाई के तौर पर भी देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि मोकामा विधानसभा सीट को आरजेडी का गढ़ माना जाता है। जेल में बंद बाहुबली नेता अनंत सिंह का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है। पिछले दिनों अनंत सिंह को एके-47 मामले में सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी, इसके बाद मोकामा सीट खाली हो गई। अब उपचुनाव में आरजेडी अनंत सिंह के किसी करीबी को ही यहां से उम्मीदवार बना सकती है। मोकामा से महागठबंधन में आरजेडी का उम्मीदवार उतरना तय माना जा रहा है, उसका मुकाबला बीजेपी से हो सकता है। कहा जा रहा है कि आरजेडी अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी पर ही दांव खेल सकती है। वहीं बीजेपी को यह सीट जीतने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी होगी।
बात अगर गोपालगंज सदर विधानसभा सीट की करें तो यहां भी उपचुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है। पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता सुभाष सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है। सुभाष सिंह यहां से लगातार चार बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। माना जा रहा है कि भाजपा दिवंगत सुभाष सिंह के परिवार से या उनके किसी करीबी को टिकट दे सकती है। पार्टी को सहानुभूति लहर का फायदा मिलने की उम्मीद है। बिहार की इन दोनों विधानसभा सीटों पर मुकाबला बेहद रोचक होने का अनुमान है। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार चुनावी माहौल बन रहा है। एक तरफ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव उपचुनाव को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वहीं, आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने दम पर बिहार जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी के लिए भी उपचुनाव अहम हो गए हैं। बीजेपी की ओर से केंद्रीय स्तर के नेता उपचुनाव में प्रचार के लिए आ सकते हैं। वहीं, नीतीश-तेजस्वी समेत महागठबंधन नेताओं की संयुक्त रैलियां करते भी देखा जा सकता है।
ऐसा ही मुंबई की अंधेरी (ईस्ट) सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भी कहा जा रहा है कि यहां शिवसेना के ठाकरे गुट का मुकाबला बीजेपी और उसके सहयोगियों से होना है। शिवसेना से बगावत के बाद महाराष्ट्र में भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार बनी है। फिलहाल ठाकरे और शिंदे गुट के बीच पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर लड़ाई है। जानकारों का कहना है कि ‘तीर और धनुष’ का निशान ठाकरे की सेना को मिल सकता है।
दरअसल अंधेरी (पूर्व) सीट विधायक रमेश लटके के निधन की वजह से खाली हुई। लगातार दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले लटके का इस साल मई में निधन हो गया था। सत्तारूढ़ भाजपा और शिंदे गुट ने मुंबई नगर निगम के पूर्व पार्षद मुरजी पटेल को उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के दिवंगत लटके की पत्नी रुतुजा लटके को इस सीट से उम्मीदवार बनाने की संभावना है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का उपचुनाव में समर्थन करेगी। वहीं मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने उपनगर अंधेरी में उपचुनाव के लिए पार्टी के केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया। उन्होंने ट्वीट किया कि मुरजी पटेल को स्थानीय लोगों का काफी समर्थन है। मालूम हो कि अंधेरी (पूर्व) विधानसभा क्षेत्र मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है।