उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस का क्रूर चेहरा सामने आया है। यूपी पुलिस की क्रूरता के मामले पर अब विवाद बढ़ता जा रहा है। दरअसल रामपुर के रहने वाले कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर के एक होटल के कमरे में चेकिंग के दौरान मौत हो गई। ये घटना 28 सितंबर , मंगलवार की है। बताया जा रहा है कि गोरखपुर पुलिस आधी रात को चेकिंग करने के उद्देश्य से होटल पहुंची। इसी दौरान चेकिंग के बहाने पुलिस ने मनीष गुप्ता के कमरे में घुस आईडी दिखाने को कहा। मनीष के दोस्त हरवीर ने अपनी आईडी दिखाई लेकिन मनीष उस समय सो रहे थे। जब उन्हें जगाया गया तो मनीष ने पुलिस से उनके व्यवहार को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने पुलिस से कहा कि ये क्या तरीका है आपको हमारी आईडी देखनी थी तो रिसेप्शन पर देख सकते थे।
आरोप है कि इसी बात से इंस्पेक्टर रामगढ़ ताल जेएन सिंह और फल मंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्र इतना नाराज हुए कि उन्होंने पहले मनीष के दोनों दोस्तों को पीटकर होटल के कमरे से बाहर भगा दिया और फिर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके कारोबारी मनीष को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। मनीष की हत्या के बाद में पुलिस वाले उन्हें अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
वहीं पुलिस ने घटना के बाद अपनी ओर से बयान जारी किया है। बयान में एसएस पी विपिन टाडा द्वारा कहा गया कि चेकिंग के दौरान पुलिस अधिकारी एक होटल में गए। उन्हें जानकारी मिली थी कि कृष्णा पैलेस होटल में एक कमरे में अलग-अलग शहर के तीन संदिग्ध लोग ठहरे हैं। चेकिंग के दौरान हड़बड़ाहट में एक युवक को चोट लगी जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। इसके साथ ही एसएसपी विपिन टाडा ने कहा कि हम पता कर रहे है कि ये तीनों युवक यहां किस मकसद से आएं थे।
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क्या है पूरा मामला
एक निजी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर के सिकरीगंज के महादेवा बाजार में रहने वाले व्यापारी चंदन सैनी के बुलाने पर मनीष गुप्ता गोरखपुर आए थे। उनके साथ दो दोस्त प्रदीप चौहान और हरदीप सिंह चौहान भी गोरखपुर घूमने आए थे। चंदन सैनी ने अपने तीनों दोस्तों को रामगढ़ ताल इलाके के एलआईसी बिल्डिंग के समीप स्थित होटल कृष्णा पैलेस के रूम नंबर 512 में ठहराया था। घटना वाली रात के करीब 12:30 बजे रामगढ़ ताल पुलिस होटल में चेकिंग करने पहुंची। इंस्पेक्टर जेएन सिंह, फल मंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा के अलावा अन्य पुलिसकर्मी भी साथ में थे। होटल के कमरे का दरवाजा खुलवाया गया। पुलिस के साथ होटल का रिसेप्शनिस्ट भी था। पुलिस वालों ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि चेकिंग की जा रही हैं सभी अपना आईडी प्रूफ दिखाएं। पहले हरदीप ने खुद का और अपने साथी प्रदीप चौहान की आईडी दिखाई । तब तक मनीष सो रहा था। प्रदीप ने उन्हें आईडी दिखाने के लिए जगाया। इस दौरान मनीष ने पुलिस वालों से कहा कि इतनी रात में यह चेकिंग किस बात की हो रही है।
मनीष की हत्या के गवाह दोस्तों के मुताबिक हत्यारे पुलिस वाले मनीष के इस सवाल से बौखला गए थे। मनीष के दोस्तों का कहना है कि उनमें से कई पुलिस वालों ने शराब पी रखी थी। इंस्पेक्टर जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा ने प्रदीप और हरदीप को पीटते हुए कमरे से बाहर कर दिया और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। चश्मदीद प्रदीप और हरदीप के मुताबिक कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि पुलिस वाले मनीष गुप्ता को घसीटते हुए कमरे से बाहर ला रहे हैं। उस वक्त मनीष खून से लथपथ था। पुलिस वाले मनीष को पहले एक निजी अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने उसकी हालत को गंभीर बताया। इसके बाद मनीष को बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया । मनीष गुप्ता अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। पांच वर्ष पहले ही उनकी शादी हुई थी। परिवार में उनके बीमार पिता और पत्नी के अलावा उनका एक चार साल का एक बेटा है।
पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने दर्ज करवाई एफआईआर
पति के मौत पर मीनाक्षी गुप्ता ने दर्ज कराई गई एफआईआर में रामगढ़ ताल थाने के एसएचओ जगत नारायण सिंह, कांस्टेबल अक्षय मिश्रा और विनोद मिश्र को नामजद किया है। इसके अलावा तीन अज्ञात सिपाहियों को भी अभियुक्त बनाया गया है। रामगढ़ ताल थाने में ही धारा 302 के तहत ये मुकदमा दर्ज किया गया है। इस बीच मृतक का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस ने अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है।
धरने पर बैठा परिवार
मनीष गुप्ता का परिवार कानपुर के बर्रा इलाके में ईवीएस कॉलोनी में रहता है। उनकी पत्नी मीनाक्षी गुप्ता शव के साथ अनशन पर बैठ गई है। धरने पर बैठा परिवार पुलिस और सरकार से 50 लाख रुपये के मुआवजे और पत्नी के लिए सरकारी नौकरी की मांग कर रहा है। वही कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने भी परिवार से मुलाकात करके उन्हें मनाने की कोशिश की। लेकिन परिवार अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है।
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— Meenakshi M. Gupta (@MeenakshiMGupt1) September 29, 2021
मीनाक्षी गुप्ता ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो भी पोस्ट किया है। जिसमें वो पुलिस पर हत्या के आरोप लगा रही हैं। साथ ही पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही हैं।
मीनाक्षी गुप्ता ने एक बयान में कहा कि जब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमसे नहीं मिलेंगे और इंसाफ का भरोसा नहीं देंगे। हम अपना अनशन जारी रखेंगे।
मीनाक्षी अपने पति का शव लेने गोरखपुर पहुंची थीं। मीडिया से बात करते हुए मीनाक्षी ने कहा कि मैंने कल गोरखपुर में पानी की पहली बूंद तब ली जब तबीयत खराब होने के बाद मुझे दवा लेनी पड़ी। अब मैं अनशन पर बैठ रही हूँ। मुझे नहीं पता कि ये अनशन कब तक चलेगा।
वहीं कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने बताया कि जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीड़ित परिवार से भेंट करेंगे। मुख्यमंत्री के आदेश पर ही वो पीड़ित परिजनों से मिलने और सांत्वना देने गए थे। गोरखपुर मामले पर सीएम की ओर 10 लाख के मुआवजे का एलान किया गया है।
बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले पर कहा कि यूपी सीएम के गृह जनपद गोरखपुर की पुलिस ने तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता व उसमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित है। घटना की गंभीरता व परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जाँच कराना जरूरी है।
1. यूपी सीएम के गृह जनपद गोरखपुर की पुलिस द्वारा तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता व उसमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित। घटना की गंभीरता व परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जाँच जरूरी।
— Mayawati (@Mayawati) September 30, 2021
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीड़ित पत्नी मीनाक्षी गुप्ता के बयान का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि गोरखपुर में पुलिस की बर्बरता ने एक युवा व्यापारी की जान ले ली। ये बहुत ही दुखद और निंदनीय है।
गोरखपुर में पुलिस की बर्बरता ने एक युवा व्यापारी की जान ले ली। ये बहुत ही दुखद और निंदनीय है।
उप्र की भाजपा सरकार ने एनकाउंटर की जिस हिंसक संस्कृति को जन्म दिया है, ये उसी का दुष्परिणाम है।
संलिप्त लोगों पर हत्या का मुक़दमा चले और उप्र को हिंसा में धकेलनेवाले इस्तीफ़ा दें। pic.twitter.com/luhjqRTIar
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 28, 2021
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने एनकाउंटर की जिस हिंसक संस्कृति को जन्म दिया है ये उसी का दुष्परिणाम है। संलिप्त लोगों पर हत्या का मुकदमा चले और यूपी को हिंसा में धकेलने वाले इस्तीफा दें। मामला राजनीतिक होने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मृतक के परिजनों से आज कानपुर मिलने पहुंचे थे।