पूरे देश में सोमवार को ईद का त्योहार मनाया गया लेकिन उसके ठीक एक दिन पहले यानी रविवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लड़के से साथ मारपीट का मामला सामने आया जिसके बाद पुलिस को एक्टिव होना पड़ा। मोहम्मद आदिल को कुछ लोगों ने सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि उसने ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं लगाया। आदिल को काफी चोटे आई जिसके बाद उन्हें जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उनके भाई का कहना है कि हमारी गलती इतनी थी कि हम दोनों ने रमजान के कारण सिर पर टोपी पहनी हुई थी। दरअसल, मोहम्मद आदिल और मोहम्मद कामिल दोनों भाई हैं। आदिल पेशे से ऑटो ड्राइवर और कामिल मैकेनिक हैं। दोनों भाई दिहाड़ी मजदूर हैं। लॉकडाउन के बाद से उनका काम बंद है। आदिल अपने एक माह के बच्चे के लिए दवा खरीदने निकले थे। क्योंकि उनका बच्चा कई दिनों से बीमार था।
सभी केमिस्ट बंद थे इसलिए उन्हें दवाई लेने के लिए जाफराबाद जाना पड़ा। दवा खरीदने के बाद वो वापस लौट रहे थे। उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में उनकी स्कूटी का पेट्रोल खत्म हो गया। जिसके बाद छोटे भाई ने स्कूटी को खींचकर घर की ओर चलना शुरु कर दिए। जब मौजपुर मेट्रो स्टेशन के नीचे वे लोग पहुंचे। तो अचानक से उनके पास लगभग 12-13 लोग आकर खड़े हो गए। सब के सब नशे में थे। हमारी गलती इतनी थी कि हम दोनों ने रमजान के कारण सिर पर टोपी पहनी हुई थी।
अचानक से उनके पास लगभग 12-13 लोग आकर खड़े हो गए। अचानक से पुरुषों के एक समूह ने मेरे भाई पर हमला करना शुरू कर दिया। यह घटना मौजपुर मेट्रो स्टेशन के नीचे हुई। सब के सब नशे में लग रहे थे। टोपी लगा देखते ही गाली देना शुरु कर दिया। मुल्ला, कटुआ जैसे शब्द कह रहे थे। फिर उन लोगों ने कहा- ‘जय श्री राम’ का नारा लगाओ। आदिल ने कहने से इंकार कर दिया तो उन लोगों ने पिटाई शुरू कर दी।
‘द वायर’ के एक रिपोर्ट के मुताबिक, आदिल चलने में भी सक्षम नहीं थे। उसके कान और सिर से खून बह रहे थे। कुछ राहगीरों ने उन्हें इस हालत में देखा तो अस्पताल ले गए। वहीं आदिल की मां शहनाज; जोकि हाइपरटेंशन की पीड़ित हैं, ने रोते कहा, “मुझे नहीं पता कि मेरे बेटे के साथ ऐसा क्यों हुआ। वह निर्दोष व्यक्ति है। उसने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया। हम इस क्षेत्र में शांति चाहते हैं। रमजान के दौरान भी इस तरह की बातें हो रही हैं। यह सही नहीं है।”
दूसरी तरफ कामिल ने कहा, “पहले तो हम इस इलाके में शांति चाहते हैं। और दूसरी बात हम चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले। ताकि अगली बार कोई भी ऐसा जघन्य अपराध करने से पहले दस बार सोचे।” एक पुलिस अधिकारी ने इस मामले पर कहा, “पुलिस बल और आईटीबीपी को उनके आवास के बाहर तैनात किया गया है। हम उन्हें आश्वस्त करना चाहते हैं कि चिंता की कोई बात नहीं है। और वे सुरक्षित हैं। हम सीसीटीवी फुटेज की जांच करेंगे और दोषियों की पहचान करेंगे।”
आदिल के सबसे छोटे भाई नासिर ने बताया, “हम पिछले 20-25 सालों से इस इलाके में रह रहे हैं। मुझे अचानक इतना डर लगने लगा है। यह इलाका अभी तक दिल्ली के दंगों से उबर नहीं पाया है और अब ऐसा हुआ है। मेरे भाई ने कुछ नहीं किया। मुझे नहीं पता कि उसका क्या होगा। क्या वे जानवर थे?” आदिल का परिवार विजय पार्क में रहता है जो भजनपुरा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। जबकि जिस इलाके में हमले की घटना हुई वह जाफराबाद पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है।
स्थानीय डीसीपी (पूर्वोत्तर) वेद प्रकाश सूर्या का कहना है कि इसमें सांप्रदायिक एंगल वाला मामला नहीं दिख रहा। किसी को भी कुछ भी कहने के लिए मजबूर नहीं किया गया था। और यह दो समूहों के बीच की लड़ाई है। फिलहाल हम मामले के तथ्यों का सत्यापन कर रहे हैं। जैसे ही हमें और जानकारी मिलेगी हम मामले में कानूनी कार्रवाई करेंगे।
गौरतलब है कि इस इलाके में तनाव फरवरी में हुए दंगे के समय से ही चल रहा है। इसलिए वहां दंगे के समय से ही आईटीबीपी तैनात किया गया है। फरवरी में हुए सांप्रदायिक हिंसा में करीब साठ लोग मारे गए थे।