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नफरत के आगोश में शिक्षा के मंदिर!

भारतीय समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने को लेकर जिस तरह की हरकतें पिछले कुछ वर्षों से की जा रही हैं, वैसा शायद आजादी के बाद अब तक नहीं हुई थी। इसकी आग में समाज जलता तो था, लेकिन इस कदर नहीं जैसा अब जल रहा है। लग रहा है कि हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहां पर नफरत और सांप्रदायिकता का कारोबार चल रहा है जिसकी आंच अब शिक्षा के मंदिरों में भी दिखने लगी है

 

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बच्चों से एक छात्र को पिटवाती शिक्षिका

पिछले कुछ वर्षों से देश में मॉब लिंचिंग और जातीय हिंसा के बढ़ते हिंसक मामलों से देशभर में सम्प्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। गोमांस के नाम पर मुस्लिमों को हिंसक मॉब लिंचिंग का लगातार शिकार बनाया जाता रहा है। लेकिन जाति-धर्म की यह चिंगारी अब शिक्षा के मंदिरों में भी फैलने लगी है। जिन स्कूलों में यूनिफार्म से लेकर शिक्षा तक धर्म का कोई अर्थ नहीं होता वहां से बीते दिनों ऐसी खबर सामने आई।

देशभर में घटना को लेकर आक्रोश पैदा हो गया। वह भी तब जब बचपन से अब तक हम महिलाओं की नरमदिली की बातें सुनते आए हैं। खबरों में महिलाओं की नरमदिली के किस्से सुनते रहे हैं लेकिन असलियत में महिलाओं का दिल नरम होता कितना है? ताजा घटना से इसकी बानगी देख भी ली और बानगी भी ऐसी कि देखकर यकीन करना मुश्किल लगने लगा।

 

दरअसल कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मंदसौपुर थाना क्षेत्र के खुब्बापुर गांव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में महिला टीचर मुस्लिम बच्चे को क्लास के दूसरे बच्चों से पिटवाती नजर आ रही है। वीडियो में देखा जा सकता है कि टीचर के इस रवैये से मुस्लिम बच्चा काफी परेशान हो जाता है और बाद में रोने भी लगता है। वीडियो में क्लास में बैठे हुए बच्चे दिखाई देते हैं, एक महिला टीचर किसी से बात करती हुई दिखती है और एक छात्र दिखाई देता है।

टीचर कहती है कि ‘मैंने तो डिक्लेयर कर दिया जितने भी मुस्लिम बच्चे हैं . . .’ तभी एक बच्चा आता है और सजा में खड़े बच्चे के गाल पर एक थप्पड़ मारता है और तभी वहां बैठे एक शख्स के हंसने की आवाज आती है (चेहरा नहीं दिख पाता है) टीचर आगे कहती है ‘ये क्या तुम मार रहे हो इसको जोर से मारो ना’ और फिर वह दूसरे बच्चों को बुलाते हुए कहती है ‘चलो और किसका नम्बर है’? फिर दो बच्चे उठकर आते हैं और इनमें से एक बच्चा जैसे ही सजा में खड़े बच्चे के मुंह पर थप्पड़ मारता है वो रोना शुरू कर देता है, तभी टीचर कहती है’ अबकी बार कमर पर मारो

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शिक्षिका तृप्ता त्यागी

चलो मुंह लाल हो रहा है कमर पर मारो सारे ‘और फिर दूसरा बच्चा आता है और इस बार वो बच्चे की पीठ पर जोर से मारता है और बच्चा कुछ तेज आवाज में रोना शुरू कर देता है।’ यह वीडियो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर के खुब्बापुर गांव के एक नेहा पब्लिक स्कूल का बताया जा रहा है। जिसमें महिला टीचर क्लास के बच्चों में से एक मुस्लिम छात्र की पिटाई करवाती नजर आ रही है।

इस टीचर का नाम तृप्ता त्यागी बताया जा रहा है। पिटाई के वक्त महिला शिक्षक द्वारा की जा रही टिप्पणियों में मुसलमानों के लिए कुछ कहा जा रहा है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या कहा गया है। बाद में एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें दिख रहा है कि बच्चे को पहाड़ा याद न होने की सजा के लिए खड़ा किया गया था, लेकिन सजा के दौरान मुसलमानों पर की गई टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया। करीब सात-आठ साल के एक बच्चे को अपनी पहचान के चलते टीचर के इस व्यवहार का सामना करना पड़ा।

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सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही देशभर में हंगामा मच गया, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा बीजेपी नेता वरुण गांधी और एआईएमआई सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की है। राहुल गांधी ने लिखा कि मासूम बच्चों के मन में भेदभाव का जहर घोलना, स्कूल जैसी पवित्र जगह को नफरत की मंडी बनाना, एक शिक्षक देश के लिए इससे बुरा कुछ नहीं कर सकता। ‘यह भाजपा द्वारा फैलाया गया वही केरोसिन है जिसने भारत के कोने-कोने में आग लगा दी है। बच्चे भारत का भविष्य हैं, वे हमसे नफरत नहीं करते, हम सबको मिलकर प्यार सिखाना है।

‘नफरत के खिलाफ बोलना होगा’

 

प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट कर लिखा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसा शिक्षा, क्लास रूम, कैसा समाज देना चाहते हैं? जहां चांद पर जाने की तकनीक की बात हो या फिर नफरत की चारदीवारी बनाने की बात हो। तय हमें करना है। नफरत प्रगति का सबसे बड़ा दुश्मन है। हमें एकजुट होना होगा और इस नफरत के खिलाफ बोलना होगा। अपने देश की प्रगति के लिए आने वाली पीढ़ियों के लिए। वायरल वीडियो पर असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और बच्चे के पिता से फोन पर बात भी की।

एक ट्वीट में ओवैसी ने यूपी सरकार पर निशाना साधा और पूछा, ‘योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर और ‘ठोक दो’ का क्या हुआ?’ मामला बढ़ता देख पुलिस ने इस मामले में शिक्षिका तृप्ता त्यागी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 504 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। लेकिन पहले बच्चे के पिता ने समझौते की बात कही थी, अब जब मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। ट्विटर पर #arresttriptatyagi ट्रेंड कर रहा है।

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टीचर ने मांगी माफी

अब आरोपी टीचर द्वारा माफी मांगी जा चुकी है। उनका कहना है कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। वीडियो में मैं जो कह रही हूं वो सभी बातें काट दी गई हैं। केवल एक मुसलमान शब्द रखा गया और ज्यादा सुनाया गया। मेरी भी गलती है मुझे इस तरह से बच्चों से बच्चे को नहीं पिटवाना चाहिए था। मेरा कोई गलत इरादा नहीं था। मैं दिव्यांग हूं, मुझसे कुर्सी से उठा नहीं जा रहा था तो मैंने बच्चे को नियंत्रित करने के लिए दूसरे बच्चों से पिटवा दिया। मैंने बोला था जितनी भी मुस्लिम माएं हैं, मामा के घर न जाएं क्योंकि एग्जाम शुरू होने वाले हैं और पढ़ाई में बहुत ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि बच्चे एग्जाम नहीं दे पाएंगे।

 

मैं सही नहीं मानती इस चीज को लेकिन मैं भी थोड़ी मजबूर थी, बच्चों को कंट्रोल करने के लिए और शिक्षा देने के लिए थोड़ा-बहुत कदम उठाना पड़ता है, क्योंकि बच्चे के पैरेंट्स की भी डिमांड थी कि बच्चों को थोड़ा टाइट करो। फिलहाल सोशल मीडिया पर कई लोगों का कहना है कि टीचर द्वारा दी गई सफाई बड़ी अजीब है कि मुस्लिम माएं अपने बच्चों को मामा के घर लेकर जाती हैं लेकिन इस समय यानी रक्षा बंधन पर तो हिंदू महिलाएं अपने बच्चों को मामा के यहां लेकर जाती हैं।

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थोड़े ही वक्त में मामला मीडिया के लिए खबरों का और बड़े नेताओं के लिए राजनीति का केंद्र बन गया। देश का न रहकर मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेट मीडिया पर सुर्खियां बन गया था। कांग्रेस, रालोद से लेकर सपा समेत विभिन्न पार्टियों के राष्ट्रीय नेताओं, खाड़ी देशों का मीडिया समूह ‘अल जजीरा’ तक मामले पर ट्वीट कर रहे थे। पुलिस द्वारा मंसूरपुर थाने में शिक्षिका तृप्ता त्यागी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पीड़ित छात्र के पिता से फोन पर वार्ता की। लेकिन भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत की मौजूदगी में दोनों समाज के लोगों ने आपसी सहमति के बाद समझौता करा दिया। मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में जन्में चौधरी नरेश सिंह टिकैत ने महिला टीचर द्वारा मुस्लिम छात्र की उसके सहपाठियों द्वारा पिटाई मामले में भाईचारे की मिठास घोल दी। जिसके कारण तूल पकड़ता मामला अचानक से ठंडे बस्ते में चला गया। जिसके बाद बच्चे के पिता का कहना है कि इस घटना को हिन्दू-मुस्लिम नजरिए से न देखा जाए।

कुछ मीडिया संस्थानों ने बच्चे से भी बात की तो बच्चे ने बताया कि मैडम ने इसलिए पिटवाया था क्योंकि मुझे पहाड़ा याद नहीं तो एक दो गलती हुई थी। जब बच्चे से पूछा गया कि मैडम ने क्या कहा था तो बच्चे का कहना था कि उन्होंने कहा कि इन मुसलमानों को जोर-जोर से मारो। यह एक पीड़ित बच्चे का जवाब तो है ही, साथ ही इस बच्चे का समाज से सवाल भी है कि क्यों सांप्रदायिकता का नशा इतना हावी हो गया है कि शिक्षा के मंदिर में नरम दिल होने वाली अध्यापिकाएं भी इस नशे से बच नहीं पा रही हैं। मामले में प्रशासन जांच कर रहा है। इस बीच बच्चे के परिवार ने बच्चे का नाम स्कूल से कटवा लिया है।

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान

इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है, आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक बच्चे को दूसरे बच्चों द्वारा पीटने की घटना की जानकारी मिली है। संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, सभी से अनुरोध है कि बच्चे का वीडियो शेयर न करें, ऐसी घटनाओं की जानकारी ईमेल से दें, बच्चों की पहचान उजागर कर अपराध का हिस्सा न बनें। स्कूल में मुस्लिम बच्चे के साथ इस तरह के व्यवहार पर पिता ने अनुरोध किया है कि यह मुद्दा हिंदू-मुस्लिम का नहीं है। पिता द्वारा की गई यह बात बहुत ही समझदारी वाली बात है, देश में मुसलमानों के साथ जिस तरह का अन्याय हो रहा है वह अब एक आम खबर है। ऐसे माहौल में एक मुस्लिम पिता के लिए यह कहना भी बहुत कुछ बताता है।

 

ये पहला मामला नहीं है जिसमें शिक्षा के मंदिर में मुस्लिम बच्चों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया गया हो ऐसे कई और भी मामले हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि धर्म विशेष होने के चलते कैसे बड़े ही नहीं छोटे बच्चों को भी दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला है उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के एक प्राइवेट स्कूल का। यहां 31 जुलाई को 11वीं कक्षा की एक छात्रा की स्कूल परिसर में ही छत से गिरकर मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि स्कूल के एक टीचर और स्कूल प्रशासन ने छात्रा को प्रताड़ित किया जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने स्कूल के प्रिंसिपल और टीचर को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की इस कार्रवाई ने राज्य भर के स्कूल मालिकों और संचालकों को नाराज कर दिया। इसके चलते प्रदेश भर के गैर सहायता प्राप्त स्कूल बंद रखे गए।

 

जानकारों का कहना है कि शिक्षा के मंदिर में ऐसी घटनाएं साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दे रही हैं। वो भी ऐसे समय में जब नई पीढ़ी हर एक विषय पर सवाल करती है। शिक्षा देने वाले गुरु और शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र दोनों के बीच धर्म ने किस तरह से मतभेद उत्पन्न कर दिए हैं। ये सब मामले उसी तरफ इशारा करते हैं। नतीजे भी हम सबके सामने हैं, आए दिन छात्र आत्महत्या कर रहे हैं और शिक्षा देने वाले मास्टरजी जेल में बंद हैं

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