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तेजस्वी का नीतीश के साथ गुप्त मीटिंग फिर कार्यस्थगन प्रस्ताव के बाद बिहार में राजनीतिक भूचाल

तेजस्वी का नीतीश के साथ गुप्त मीटिंग फिर कार्यस्थगन प्रस्ताव के बाद बिहार में राजनीतिक भूचाल

बिहार विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है। मंगलवार को बजट का दूसरा दिन था। जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने जोरदार हंगामा किया। सदन के विपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बरगलाने का आरोप लगाया। तेजस्वी यादव ने एनआरसी और एनपीआर को देश तोड़ने वाला काला कानून बताया। जिसके बाद सत्ता पक्ष के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। विधायकों ने कहा कि विपक्ष देश के संविधान को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, इसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। बढ़ते हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर देनी पड़ी।

20 मिनट की मुलाकात के बाद पलटी राजनीति
एनआरसी और एनपीआर विरोधी प्रस्ताव मंगलवार विधानसभा में पास हो गया। लेकिन विधानसभा में जिस तरह से एक के बाद एक घटनाएं सामने आई उसने अब बिहार की राजनीति को गर्म कर दिया है। ऐसी अटकले तेज हो गई हैं कि नीतीश कुमार का मन फिर से बदल गया है और जल्द ही बिहार की राजनीति कुछ बड़ा देखने को मिल सकता है। इसके पीछे तेजस्वी और नीतीश कुमार के बीच हुए 20 मिनट की मुलाकात को बताया जा रहा है। इसी मुलाकात के बाद पूरी राजनीति बदल गई है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी के बीच जब गुप्त मीटिंग चल रही थी तब उनके साथ आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और कांग्रेस विधायक अवधेश नारायण सिंह भी मौजूद थे।

कहा जा रहा है कि मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार ने तीनों विपक्षी नेताओं के खुद को धर्मनिरपेक्ष छवि दिखाने की पूरी कोशिश की। मुलाकात के दौरान तेजस्वी ने नीतीश कुमार से कहा कि जब आप खुले मंच से एनसीआर का विरोध पहले ही कर चुके हैं तो एनपीआर के साथ एनसीआर के खिलाफ प्रस्ताव भी आज ही पारित कराई जाए। नीतीश कुमार ने इस तुरंत हामी भर दी। मात्र 20 में दोनों का बंद कमरे में डील पक्की हो गई। अगले ही पल तेजस्वी विधानसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव लेकर आए जिसे स्वीकार कर लिया गया। उसके बाद तेजस्वी सदन से बाहर आए और पत्रकारों से बात की। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनके और अन्य सदस्यों के कार्यस्थगन प्रस्ताव स्वीकार किया गया और जब उस पर बोलने लगा तभी बीजेपी के विधायक हंगामा करने लगे।

उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने एक ओर एनपीआर की अधिसूचना जारी कर दी है और दूसरी ओर मुख्यमंत्री कहते हैं कि एनपीआर 2010 के मुताबिक ही लागू होगा। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि जो एनपीआर लागू होगा वह 2010 के नियम से ही लागू होगा।”जब तेजस्वी ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर को काला कानून, संविधान विरोधी और देश को तोड़ने वाला कानून बताया तो इस पर भाजपा के मंत्री विजय कुमार सिन्हा कड़ी प्रतिक्रिया दिया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी संविधान का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी अपने बयान को वापस लें जिस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। उसके बाद मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा, “विपक्ष सिर्फ हंगामा करना जानता है, उसका जनता के मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार सदन के अंदर विपक्षी पार्टियों के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है।”

जबकि बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र को एनपीआर के फॉर्म में विवादित खंड को हटाने का निवेदन किया है। बिहार में भाजपा के समर्थन वाली जदयू सरकार है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखा है कि एनपीआर के तहत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2010 में अंकित श्रेणियों से संबंधित सूचनाएं ही प्राप्त की जाएं, जिससे लोगों को कठिनाई नहीं हो। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा में रविवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा। उन्होंने एनपीआर पर अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का 2010 में किए गए तरीके से ही अद्यतन किया जाएगा।

बीजेपी का नीतीश पर आहत करने का आरोप
बिहार विधान सभा में भले ही सर्वसम्मति से एनसीआर और एनपीआर को लेकर प्रस्ताव पारित हो गया। लेकिन बीजेपी नेता और प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस पर कहा है कि इस पर अब राजनीति बंद हो जानी चाहिए। वहीं सच्चिदानंद राय ने कल के घटनाक्रम को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि कहीं-न-कहीं कल का यह निर्णय बीजेपी कार्यकर्ताओं को आहत करने वाला है। बीजेपी के अधिकतर नेता दबी जुबान में इसे जेडीयू का धोखा करार दे रहे हैं।

अब बीजेपी द्वारा जताए गए विरोध पर आरजेडी ने चुटकी लेनी शुरू कर दी है। आरजेडी विधायक डॉ. नवाज आलम का कहना है कि ये लोग बेवजह देश को मजहब के नाम पर बांटने की फिराक में थे। लेकिन हमारे नेता तेजस्वी यादव की पहल पर एनसीआर के खिलाफ सरकार ने न सिर्फ कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूरी दी बल्कि उसके विरुद्ध सदन के पटल से प्रस्ताव भी पारित करने का काम किया। उधर तेजस्वी-नीतीश कुमार की मुलाकात पर राबड़ी देवी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बुधवार को कहा, “मुख्यमंत्री से सबलोग मिलते रहते हैं, मैं भी नीतीश जी से मिली थी। हालांकि, नीतीश का मन बदलने पर उन्होंने कहा कि उनका मन पलटता भी है तो आरजेडी स्वीकार नहीं करने वाली। आरजेडी अपना मन बना चुकी है।

आखिर क्या है स्थगन प्रस्ताव
यह प्रस्ताव देश की किसी भी गंभीर और अविलंबनीय समस्या पर चर्चा के लिए लाया जाता है। जैसे देश की सुरक्षा, आपदा या कोई भी गंभीर समस्या पर। स्थगन प्रस्ताव लागू होने पर सदन की सारे कार्य को छोड़कर उन खास विषयों पर तुरंत करवाई की जाती है। इसमें कोई भी कार्य अध्यक्ष की अनुमति के बिना नहीं होता। यह सदन के लिए असामान्य स्थिति होती है। जो सदस्य स्थगन प्रस्ताव पेश करना चाहता है, उसे सुबह 10 बजे के पहले इसकी सूचना अध्यक्ष को, संबंधित मंत्री को और महासचिव को देना होता है।

सदन में यदि अनुमति देने को कम से कम 50 सदस्य खड़े होते हैं तो अध्यक्ष घोषणा कर देता है कि अनुमति दी जाती है। इसके बाद प्रस्ताव गृहीत हुआ मान लिया जाता है। उसके बाद शाम चार बजे से चर्चा शुरू होती है और लगभग ढाई घंटे तक चलती है। ऐसे प्रस्ताव पर चर्चा होने पर और उसे निबटाए जाने तक सदन को स्थगित करने की शक्ति अध्यक्ष के पास भी नहीं होती।

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