लालू यादव के बेटे और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधे हुए हैं। कभी कोरोना के इलाज की व्यवस्था को लेकर तो कभी मजदूरों और छात्रों को लाने की बात हो। तेजस्वी का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार के क्रियाकलापों का आकलन करें तो नीतीश सरकार हर पैमाने पर विफल है। हमारी मांगों को बचकाना कहा गया। लेकिन आज वही करना पड़ रहा है, जो हमने सलाह दी थी। अब नीतीश कुमार ने बिहार के मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए तैयार हो गए हैं। लेकिन उन्होंने साफ कहा है कि सभी को ट्रेन का किराया देना ही पड़ेगा। जिसपर कई नेताओं ने विरोध भी करते दिखे।
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, “2008 में जब कोसी नदी ने अपनी सीमाएं लांघ भयंकर तबाही मचा लाखों लोगों का जीवन प्रभावित किया था, तब तत्कालीन रेलमंत्री आदरणीय श्री लालू प्रसाद जी ने फ्री में ट्रेन चलाई थी। बिहार के मात्र 4-5 जिलों के लिए ही 1000 करोड़ का पैकेज दिलाया। रेलवे से बिहार के मुख्यमंत्री राहत कोष में 90 करोड़ दिलाया। स्वयं 1 करोड़ रुपये दिए थे। मुख्यमंत्री तब भी नीतीश कुमार जी थे और अब भी, लेकिन अब केंद्र और बेशर्म राज्य सरकार का गरीब विरोधी चेहरा देखिए।”
तेजस्वी ने आगे कहा, “दोनों जगह डबल इंजन सरकार है लेकिन कोई भी गरीब मजदूरों का किराया वहन करने के लिए तैयार नहीं है। गरीब बिहारियों को वापस लाने में शुरू से संसाधनों की कमी का रोना रो रही सरकार अब एक और बहाना खोज रही है। श्रमिकों की दयनीय स्थिति है। लोग भुखमरी के शिकार हो रहे हैं।”
इतना ही नहीं तेजस्वी ने आगे कहा, “सरकार एक तरफ 1000 रुपये देने का ढिंढोरा पीट रही है और दूसरी तरफ राज्य सरकार के पास गरीबों का किराया देने का पैसा नहीं है। बिहार सरकार नैतिकता और कर्तव्यपरायणता की सारी मर्यादा भूल चुकी है।” बता दें कि बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बिहार आने वाले मजदूरों से ट्रेन का किराया वसूले जाने पर साफ कहा है कि वे ऐसा केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक कर रहे हैं।
निर्देशों की मुताबिक यात्रियों को अपने किराए का पैसा देना होगा। लेकिन सवाल यह है कि छात्रों और मजदूरों के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन का खर्च राज्य सरकारें क्यों वहन कर रही हैं और मजदूरों से पैसा क्यों लिया जा रहा है। वो भी तब जब लॉक डाउन के लागू हुए लगभग 2 महीनों होने को हैं। जब उनके पास आय का कोई साधन नहीं था। जिसके कारण अपने गांव जाने के लिए विवश हैं।