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मंदी की आहट से सहमा टेक और मीडिया सेक्टर !

आर्थिक मोर्चे पर दुनिया की चुनौतियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा कम होने के बजाए बढ़ गया है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की महाशक्ति अमेरिका, यूरोप और चीन में मंदी की दस्तक दुनिया भर के नीति- नियंताओं के लिए चिंता बढ़ाने वाली है। दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियां कर्मचरियों द्वारा लोगों को नौकरी से निकालना जारी है। इसमें अधिकतर अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं। लेकिन अब दुनिया भर की दिग्गज कंपनियां में हो रही छंटनी को लोगों के सामने रखने वाला मीडिया सेक्टर भी अब छंटनी के इस दौर में शामिल हो गया है।

अमेरिका में टेक कंपनियों के बाद अब मीडिया कंपनियों में भी कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो गई है। हाल ही में सीएनएन, वाशिंगटन पोस्ट, वोक्स मीडिया, और द वर्ज वेबसाइट और न्यूयॉर्क मैगज़ीन के मैनेजमेंट द्वारा घोषणा गई है कि वह जल्द ही अपने सात फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करेंगे। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि CNN ने मैनेजमेंट के इस फैसले के बारे में अपने कर्मचारियों को जानकारी दे दी है।

भेजा गया ईमेल

सीएनएन की ओर से यह भी बताया गया है कि छंटनी से बड़े पैमाने पर कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, सीएनएन में यह वर्षों में सबसे बड़ी छंटनी होगी। प्रबंधन ने कर्मचारियों को भेजे ईमेल में छंटनी के फैसले की जानकारी दी है। मेल में यह भी उल्लेख किया गया है कि जो कर्मचारी 2022 में बोनस के पात्र होंगे, उन्हें छंटनी के बावजूद बोनस दिया जाएगा।

सीएनएन प्रबंधन ज़ूम मीटिंग या व्यक्तिगत रूप से कर्मचारियों की छंटनी के बारे में सूचित करेगा। छंटनी की जानकारी वाला ईमेल कंपनी के सीईओ क्रिस लिक्ट ने जारी किया है। इसमें उन्होंने लिखा है- हमारे कर्मचारी संगठन के दिल और आत्मा हैं। सीएनएन के लिए टीम के किसी भी सदस्य को अलविदा कहना बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने आगे लिखा है कि इस तरह के फैसलों से छंटनी होने वाले कर्मचारियों और बाकी कर्मचारियों दोनों पर असर पड़ता है। आपके समर्थन के लिए हमारे पास कई संसाधन हैं। मैं अपने अगले ईमेल में उन संसाधनों का लिंक शामिल करूँगा।

गौरतलब है कि इससे पहले सीएनएन में 2018 में छंटनी हुई थी। दरअसल, कंपनी ने अपने डिजिटल बिजनेस का पुनर्गठन किया था और इसके चलते करीब 50 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में विज्ञापनों से होने वाली आय में कमी के कारण मीडिया कंपनियों का राजस्व घट रहा है। ऐसे में आने वाले समय में और भी कंपनियां सीएनएन जैसा फैसला ले सकती हैं। डिज्नी और एएमसी नेटवर्क्स ने इसकी घोषणा भी कर दी है।

आखिर कारण क्या है ?

इस छंटनी के दौर का सबसे बड़ा कारण वैश्विक मंदी को माना जा रहा है। मार्केट में सुस्ती छाई हुई है। महामारी और रूस-यूक्रेन जंग के चलते अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई पर काफी असर पड़ा है। चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, भारत और जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में इसका अधिक असर देखने को मिला है।

आसान शब्दों में समझें तो महंगाई दर का तय सीमा से ज्यादा होने का मतलब है कि लोगों को 10 रुपए की चीज के लिए 50 रुपए अदा करने होते हैं। इससे पैसे की वैल्यू घट जाती है। ऐसे में लोगों की खर्च करने की कैपेसिटी भी कम हो जाती है।

इसे कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है। रेपो रेट यानी जिस ब्याज दर पर आरबीआई दूसरे बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट ज्यादा होने की वजह से कंपनियों को अपना बिजनेस बढ़ाने में परेशानी होती है। ऐसे में नेट प्रॉफिट ज्यादा हो इसलिए कंपनियां अपना खर्च कम करने की कोशिश करती हैं। इस वजह से कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी में कटौती करती हैं या उन्हें नौकरी से निकाल देती हैं।

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