सीएए और एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। आज सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी रही। शाहीन बाग में जिस सड़क पर प्रदर्शन हो रहा है, उसे खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा रहा है कि लोगों को कानून के खिलाफ विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि विरोध करना कहां है।
साथ ही कोर्ट ने कहा, “हमारी चिंता यह है कि अगर लोग सड़कों पर उतरने लगेंगे और विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क को अवरुद्ध कर देंगे, तो क्या होगा। एक संतुलन बना रहना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि समझौते से मामला नहीं सुलझता है तो प्रशासन अपने तरीके से काम कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है, लेकिन इसकी भी अपनी एक सीमा होती है।
कोर्ट ने कहा, “विरोध प्रदर्शन करना लोगों का मौलिक अधिकार है। लोग विरोध कर सकते हैं लेकिन जो बात हमें परेशान कर रही है, वह प्रदर्शन के दौरान सड़कों का अवरुद्ध होना है।”
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से कहा है कि वे शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बात करें और प्रदर्शन स्थल को बदलने के लिए मनाने की कोशिश करें। क्योंकि सार्वजनिक रास्तों पर धरना देकर उसे बंद नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बात करने के लिए तीन लोगों के नाम सुझाए हैं।
वहीं दूसरी तरह फैसला आने के बाद शाहीन बाग की महिलाओं ने कहा कि अगली तारीख पर अदालत का जो भी फैसला आएगा उसका स्वागत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट का फैसला रास्ता खाली करने को लेकर भी आएगा तो उसे स्वीकार किया जाएगा।
शाहीन बाग में महिलाएं कोर्ट के फैसले से पहले दुआएं मांगी। हमारे हक में फैसला आए, हमसे हमारा हिंदुस्तान कोई न छीने, हमारे घर हमसे कोई न छीने। दुआएं मांगने वक्त वहां मौजूद सभी महिलाओं की आंखें नम हो गईं।
आपको बता दें कि इससे पहले 10 फरवरी को भी इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार और पुलिस को प्रदर्शन को लेकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। अगली सुनवाई 24 फरवरी यानी सोमवार को होगी।