महाराष्ट्र भाजपा के मराठा नेता कहे जाने वाले विनोद तावड़े को बिहार का प्रभारी बनाकर भाजपा ने बड़ा दांव चला है। राजनीतिक रूप से जागरूक राज्य का प्रभारी बनाए जाने के बाद भाजपा महासचिव विनोद तावड़े के सामने बिहार के पूर्व चुनाव प्रभारी रहे देवेंद्र फडणवीस के साल 2020 के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। साथ ही यह अवसर राष्ट्रीय राजनीति में उनके संगठन कौशल की अग्नि परीक्षा का भी है। तावड़े को ऐसे समय में बिहार की जिम्मेदारी मिली है जब कुछ ही महीनों में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और 2024 लोकसभा चुनाव सहित 2025 में प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं। इन सब के बीच कहा जा रहा है कि क्या विनोद तावड़े कसौटी पर खरा उतर पाएंगे।
विनोद तावड़े महाराष्ट्र भाजपा के दूसरे बड़े नेता हैं जिन्हें बिहार भाजपा का प्रभार सौंपा गया है। इससे पहले 2020 में महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता रहे देवेंद्र फडणवीस को बिहार विधानसभा चुनाव प्रभारी बनाया गया था। फडणवीस के नेतृत्व में न केवल वहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की दोबारा सरकार बनी बल्कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की 43 सीटों के मुकाबले में भाजपा ने 74 सीटें जीती थी। उसके बाद भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार अब लालू प्रसाद की राजद के साथ सत्ता में हैं, जबकि भाजपा सत्ता से बेदखल हो चुकी है। इसलिए बिहार जैसे बड़े राज्य में तावड़े को साल 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व की कसौटी पर खरा उतरना होगा।
मुंबई भाजपा के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष रहे विनोद तावड़े को कुशल संगठनकर्ता माना जाता है। वह विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। इसलिए महाराष्ट्र में साल 2014 में देवेंद्र फडणवीस की सरकार में उन्हें उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री बनाया गया था। उस दौरान तावड़े का फडणवीस से छत्तीस का आंकड़ा सूबे की राजनीति में चर्चा का विषय था। साल 2019 में उनका टिकट कट गया। इससे कुछ दिनों तक तावड़े को राजनीतिक वनवास झेलना पड़ा। लेकिन उसके बाद उन्होंने जोरदार वापसी की। अब बिहार का प्रभारी बनाकार पार्टी ने उन्हें बड़ा उत्तरदायित्व सौंपा है। इसलिए तावड़े की तुलना फडणवीस से की जा रही है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव रहते विनोद तावड़े 90 के दशक में कुछ वर्षों तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहे हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीतिक परिस्थिति से वे बखूबी परिचित हैं। बिहार का प्रभार मिलने से पहले तावड़े हरियाणा भाजपा के प्रभारी थे। पिछले साल तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा के किसानों के बीच विश्वास बहाल करने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। वहीं, चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में कम सीटें होने के बावजूद भाजपा का महापौर बनाकर उन्होंने नेतृत्व कौशल का परिचय दिया है। महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं को भरोसा है कि तावड़े बिहार में कामयाब होंगे।
गौरतलब है कि भूपेन्द्र यादव के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद बिहार भाजपा प्रभारी का पद एक तरह से रिक्त था। भाजपा का बिहार की सत्ता से बाहर होने के बाद तथा इसी माह सीमांचल से गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 का बिहार में शंखनाद करने के पूर्व विनोद तावड़े को प्रभारी बनाया जाना महत्वपूर्ण है।
महाराष्ट्र के मूल निवासी तावड़े विद्यार्थी परिषद से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं। वे सांसद भी रहे हैं। अभी वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले विनोद तावड़े महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री भी रह चुके हैं। विनोद तावड़े के पास बिहार से पहले हरियाणा की जिम्मेदारी थी।
पार्टी ने बिहार के कई नेताओं को भी अहम जिम्मेदारी सौंपी है। बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता मंगल पाण्डेय अब तक हिमाचल और झारखंड के प्रभारी रह चुके हैं। वर्तमान में विधान परिषद् के सदस्य मंगल पाण्डेय बिहार भाजपा के अध्यक्ष तथा बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। कई राज्यों में बतौर सह प्रभारी भी इन्होंने काम किया है। पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य में सांगठनिक कौशल का प्रदर्शन करने का मौका अब इन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व ने दिया है।
बिहार भाजपा के एक और युवा नेता पूर्व मंत्री बांकीपुर के विधायक नितिन नवीन पूर्व की तरह ही छत्तीसगढ़ के सह-प्रभारी बने रहेंगे। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री, युवा नेता रितुराज सिन्हा को नॉर्थ-ईस्ट प्रदेश का सह-संयोजक बनाया गया है।