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तेरह साल पुराने गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट में तारिक काजमी को उम्र कैद

लखनऊ। तारिक काजमी उम्र भर जेल में ही रहेंगे। 27 मई 2007 में यानी 13 साल पहले गोरखपुर में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था। काजमी इन धमाकों में आरोपी थे। उन पर लखनऊ, अयोध्या और बाराबंकी कचहरी में हुए ब्लास्ट को लेकर भी गंभीर आरोप है। काजमी को बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया था। गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट की जिसमें शामिल होने के चलते कोर्ट ने 22 दिसंबर को तारिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। पुलिस के अधिकारी-जवान और खुफिया सुरक्षा एजेंसियां पहुंची। जांच पड़ताल के बाद मालूम हुआ कि महज 200 मीटर के अंदर तीन स्थानों पर साइकिलों के हैंडिल में टिफिन बम लटकाए गए थे। पांच-पांच मिनट के अंतर्गत पर तीनों टिफिन बम फटे और आधा दर्जन लोग घायल हो गए।

ट्रांसफार्मर के आस-पास की दुकानों पर खड़े लोग भी यह भांप नहीं पाए कि क्या हुआ है। आस-पास धुंआ फैल गया। धमाका इतना तेज था कि बिल्डिंगें हिल गईं। गोलघर में धमाके वाले स्थान से थोड़ी दूरी पर इधर-उधर खड़े लोग यह जानने के लिए उत्सुक होकर दौड़े कि क्या हुआ है! पांच मिनट के बाद ही बलदेवा प्लाजा के समीप स्थित पेट्रोल पम्प के सामने दूसरा धमाका हो गया। यहां कुछ लोगों को हल्की चोटें भी आईं। दूसरा धमाका हुआ तो गोलघर में भगदड़ मच गई। लोग यह जान तो गए कि कोई अनहोनी हो रही है लेकिन क्या! इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं था। भागते लोग सवाल कर रहे थे क्या हुआ! पर जवाब कोई नहीं दे रहा था। दूसरे धमाके से महज पांच मिनट बाद तीसरा धमाका गणेश तिराहे पर स्थित ट्रांसफार्मर के पास हो गया।

धमाकों की गूंज न केवल गोलघर बल्कि पूरे गोरखपुर में हो गई। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही बम निरोधी दस्ता गोलघर की तरफ दौड़ पड़ा। खुफिया सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी और कर्मचारी भी गोलघर पहुंच गए। कैंट थाने की पुलिस ने घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंया। अपर जिला सत्र न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार सिंह की अदालत में 21 दिसंबर को इस पूरे मामले में बहस के बाद सजा सुनाई गई। अदालत को बताया कि किस तरह उस दिन शाम को बलदेव प्लाजा, गोलघर, जलकल बिल्डिंग के पास थोड़ी ही देर में तीन ब्लास्ट से अफरा-तफरी मच गई थी। अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए सबूतों के आधार पर तारिक काजमी को उम्रकैद की सजा सुनाई।

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