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तमिलनाडु : 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की राहों में है अभी कई मुश्किलें 

 

अगले वर्ष 2021 के मई में तमिलानाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की वर्तमान  राजनीतिक समीकरणों में कई बदलाव होने की सम्भावना है। तमिलनाडु में अभी सरकार ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईडीएमके) की है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के भीतर ही कई दिनों से आपसी तकरार देखने को मिल रहा था। जहां अब तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी अन्नाद्रमुक (एआईडीएमके) ने उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम और मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी के बीच कई दिनों तक चली तनातनी के बाद 18  नवंबर को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी के संयुक्त संयोजक ओ पन्नीरसेल्वम ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। जहाँ पन्नीरसेल्वम ने कहा कि, ‘2021 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी ने पलानीस्वामी को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है।’

 

पर इसके ठीक विपरीत पन्नीरसेल्वम के गृह नगर में ऐसे पोस्टर दिख रहे हैं जहां पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की बात कहि गयी है। पोस्टर में लिखा गया है कि, ‘‘पन्नीरसेल्वम ऐसे एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जिन्हें पुरचि थलाइवी (जयललिता) ने अपना आशीर्वाद दिया है, जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाता है कि उन्हें ही आगामी विधानसभा  चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार होना चाहिए।”

 

ऐसे में पार्टी के भीतर आपसी विवाद का फायदा विपक्ष को निश्चित तौर पर मिल सकता है। हालाँकि पार्टी के घोषणा के बाद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर पार्टी में स्वतंत्रता दिवस से चल रही खींचतान समाप्त होती नजर तो आ रही है । दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बड़े बेटे एमके अलागिरी ने नई राजनीतिक दल के गठन करने की बात कही है। बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से अब कई राज्यों के स्थानीय पार्टियों ने एक बात जरुर सीखा है कि कांग्रेस पर पहले की तरह दांव नहीं लगाया जा सकता है। इसलिए अब वहां बीजेपी का पैर  ज़माने के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अमित शाह ने अपनी चहल कदमी तेज कर दी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 21 नवंबर को एमके अलागिरी की अमित शाह के राज्य दौरे के दौरान मुलाकात को तय माना जा रहा है। तमिलनाडु में राज्य गठन से लेकर अभी तक दो प्रमुख पार्टियों, डीएमके और एआईडीएमके  ने ही सत्ता में अपनी पैठ बनाये रखी है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों की बात करें तो राज्य में कुल 38 लोकसभा एवं 234 विधानसभा सीट हैं। पिछले लोकसभा चुनाव  2019 में 38  सीटों में से 37 सीटों पर डीएमके+ की जीत हुई और अन्नद्रमुक(एआईडीएमके) को मात्र एक ही सीट हासिल हुई थी। 
 
वहीँ विधानसभा चुनाव में 234 सीटों में से अन्नद्रमुक को अकेले 124 सीटें मिली थीं।  ऐसे में भाजपा का 2021 विधानसभा में सरकार बनाने की योजना तो नहीं ही होगी, वह सिर्फ इस चुनाव में अपना हस्ताक्षर दर्ज कराना चाहता है। अमित शाह इन पार्टियों में से प्रमुख लोगों को तोड़ कर या नई राजनीतिक पार्टियां बना कर वोट बाँटने का काम कर सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के खाते में मात्र कुल वोटरों का 3.55 प्रतिशत ही आ सका था। हालाँकि 2014 में यह 5 प्रतिशत था।
 
 
 

अभिनेता से नेता बनेंगे थलाइवा रजनीकांत!

 
प्रसिद्द अभिनेता रजनीकांत पिछले कई सालों से अपने राजनीतिक विषयों पर बयानबाजी के लिए  सक्रिय रूप से नजर आ रहे हैं।  ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा में रजनीकांत नई पार्टी बना कर राजनीति में उतर सकते हैं और इतना ही नहीं उनके प्रशंसकों और समर्थकों की माने तो वह राज्य के मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। इस पर रजनीकांत ने भी अभी हाल ही में बयान दिया है। उन्होंने इस मामले में मीडिया को कहा है कि, “मैं मुख्यमंत्री बनने के लिए ही नहीं चुनावी रण  में उतरूंगा, बल्कि राज्य में विकास की बाबत काम करना मेरा प्रमुख ध्यान होगा।”
रजनीकांत की ओर से यह भी कहा गया है कि वह अपने लोगों के साथ बैठक करके इस वर्ष दिसम्बर या अगले वर्ष के जनवरी माह में अपनी नई पार्टी का गठन कर सकते हैं। 69 वर्षीय अभिनेता रजनीकांत अगर चुनाव में उतरते हैं तो यह शायद भाजपा के लिए ही लाभकारी सिद्ध होगा।  
 
अभिनेता कमल हसन की पार्टी मक्क्ल निधि मय्यम की क्या होगी भूमिका ?
अभिनेता से नेता बनें कमल हसन की राजनीतिक पार्टी मक्क्ल निधि अय्यम पिछले वर्ष 2019 में ही चर्चा में आयी है। कमल हसन ने पिछले कई वर्षों से डीएमके और एआइडीएमके दोनों पार्टयों का मुखर होकर विरोध किया है। कमल हसन ने 2019 के विधानसभा के उपचुनावों में यह कहकर प्रतिभाग नहीं किया था क्योंकि चुनाव महज दो सीटों पर था और वव 2021 के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। 
 
 
फिलहाल एक धार्मिक रैली जो कि 6 दिसम्बर को है उसमें अमित शाह तमिलनाडु आएंगे और भगवान मुरगन की शोभा यात्रा में प्रतिभाग करेंगे। 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी भी है। ऐसे में इस यात्रा से क्या भाजपा वहां हिन्दू कार्ड आजमाने की सोच रही है? क्या ऐसा करके भाजपा को कोई फायदा मिलेगा? या भाजपा जानती है कि 2021 नहीं, बल्कि यह 2026 के विधानसभा की तैयारी है।

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