एक तरफ सरकार और किसानों के बीच आज 11वें दौर की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला है, तो दूसरी तरफ किसान 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली की तैयारियों जबरदस्त तरीके से जुट गया है। आज कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर बिना कोई निष्कर्ष निकले ही अपनी बात कहकर वार्ता से चले गए। जबकि किसानो ने सरकार को तानाशाही कहते हुए बताया कि वह कोई राजा नहीं है। साथ ही किसानों ने कहा कि कृषि मंत्री ने उनकी मांगो को फिर अनसुना कर दिया।
6 गौरतलब है कि आज किसानों के आंदोलन का 58 वा दिन है। एक महीने से ज्यादा दिनों के लगातार आंदोलन के बाद भी कोई निर्णय नहीं निकल पाया है। किसानों ने सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की धमकी दी है। आज वार्ता की शुरुआत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने अपने फैसले की जानकारी बैठक से पहले ही मीडिया के साथ साझा कर दी।
विज्ञानं भवन में शुरू हुई वार्ता में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से किसानो ने कहा कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करें, जिसके बाद सरकार और किसान संगठन ने अलग-अलग बैठक की। कृषि मंत्री ने वार्ता में किसानों को कृषि क़ानून पर डेढ़ साल की रोक के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को कहा। इसके बाद किसान नेताओं ने 15 मिनट बाद फिर केंद्र को कहा वो कृषि क़ानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं केवल रोक लगाकर कमेटी बनाना काफ़ी नहीं।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली को लेकर बातचीत चल रही है। रैली तो हर हाल में होगी। सरकार रिंग रोड पर आने से मना कर रही है लेकिन किसान पीछे नहीं हटेगा। साथ ही वः कहते है कि हम देखते हैं इसे शांतिपूर्ण तरीके से कहां तक कामयाब किया जा सकता है।