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स्वामी ने फिर साधा पीएम पर निशाना

भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी लंबे अर्से से भाजपा के वर्तमान नेतृत्व, विशेषकर पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह से नाराज चल रहे हैं। अपने तीखे तेवरों के लिए मशहूर स्वामी को भारी मलाल है कि तमाम योग्यताओं के बावजूद मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनाया। हावर्ड सरीखे ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थान में अर्थशास्त्र के शिक्षक रह चुके स्वामी एक समय में आईआईटी दिल्ली में गणित के प्रोफेसर भी रहे हैं। उनकी तमाम शैक्षिक योग्यताओं के बावजूद मोदी सरकार में उन्हें जगह न मिलने का एक बड़ा कारण उनकी अविश्वसनीय छवि को बताया जाता है। राजीव गांधी के निकटतम दोस्तों में शुमार स्वामी वर्तमान में स्व ़ राजीव गांधी के परिवार पर नाना प्रकार के आरोप लगाने और उन पर मुकदमे दर्ज करने के चलते कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में भी प्रतिशोध लेने वाले नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं। उनकी इसी छवि के चलते 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के साथ ही पीएम मोदी उनसे दूर होते चले गए। नतीजा स्वामी का भाजपा नेतृत्व पर लगातार निशानेबाजी बतौर सामने आया। 2020 सितंबर में स्वामी ने भाजपा आईटी सेल पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रख्ने का आरोप तक लगा डाला। इससे पहले 2019 में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कह डाला कि पीएम को अर्थशास्त्र की कतई समझ नहीं। अब एक बार फिर स्वामी ने अपनी पार्टी को पेगासस स्पाईवेयर मामले में घेर असहज कर डाला है। बकौल स्वामी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का बजट 2014-15 में मात्र 44 करोड़ था जिसे 2017-18 में बढ़ा कर 333 करोड़ कर दिया गया। इसमें से तीन सौ करोड़ रुपया साइबर सुरक्षा के लिए खर्च किया जाता है। सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए स्वामी ने सरकार और भाजपा से प्रश्न पूछा है कि यह तीन सौ करोड़ कहां खर्च होते हैं और इसमें से कितना रुपया पेगासस स्वाईवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ को दिया गया है। स्वामी ने यह भी खुलासा किया है कि पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदने वाले देशों को अपने यहां एनएसओ कंपनी का सर्वर इंस्टॉल करना होता है।

बकौल स्वामी सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि भारत में यह सर्वर कहां लगाया गया है। साथ ही स्वामी ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग भी पीएम से लेकर डाली है। उन्होंने मोदी को सलाह दी है कि वे अपने स्तर पर इस मुद्दे को इजरायली प्रधानमंत्री के समक्ष रखें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। दिल्ली के सत्ता गलियारों में खबर जोरों पर है कि इस जासूसी प्रकरण को सिरे से नकार रही भाजपा अब सुब्रह्मण्यम स्वामी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का मन पक्का कर चुकी है। हालांकि खबर यह भी गर्म है कि भाजपा आलाकमान स्वामी से सीधे टकराव के पक्ष में नहीं है। इसलिए मध्यस्थों के माध्यम से स्वामी की नाराजगी दूर करने की रणनीति पर भी विचार पार्टी कर रही है।

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